कोविड काल GST अफसरों के लिए कैसे बना ‘कुबेर काल’? लखनऊ में बना डाली 200 करोड़ की बेनामी प्रापर्टी

कोविड काल में उत्तर प्रदेश के जीएसटी अफसरों ने अवैध कमाई कर लखनऊ में 200 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्तियां बनाईं. मोहनलालगंज और सुल्तानपुर रोड पर ऐसी संपत्तियां चिन्हित हुई हैं, जिनमें 11 अफसरों का निवेश सामने आया है. इस बड़े भ्रष्टाचार की जांच जारी है, जिसमें और खुलासे होने की उम्मीद है.

सांकेतिक तस्वीर

कोविड काल में जब पूरा देश अपनी जान बचाने में जुटा था, उस आपदा के समय में भी उत्तर प्रदेश में जीएसटी विभाग के अफसर अवैध कमाई का अवसर तलाश रहे थे. इन अफसरों ने जी भर कर अवैध कमाई की और इस अवैध कमाई को प्रापर्टी में खपाकर सफेद कर लिया. ऐसा ही एक मामला लखनऊ में सामने आया है. यहां 50 से अधिक अफसरों ने 200 करोड़ रुपये से भी अधिक ब्लैक मनी को बेनामी प्रापर्टी में लगाया है. मोहनलालगंज और सुल्तानपुर रोड पर स्थित इन बेनामी संपत्तियों को चिन्हित कर लिया गया है. वहीं इन संपत्तियों में निवेश करने वाले 11 अफसरों को भी चिन्हित किया गया है.

अभी इस मामले की जांच का शुरूआती दौर है और अब तक मोहनलालगंज और सुल्तानपुर रोड पर अरबों रुपये की रजिस्ट्री के दस्तावेज बरामद हुए हैं. इन दस्तावेजों से साफ हो गया है कि जीएसटी विभाग के इन अफसरों कैसे अपनी काली कमाई को सफेद करने की कोशिश की है. इस मामले में अब तक 11 अधिकारियों के नाम करोड़ों की संपत्तियों को पकड़ा गया है. वहीं बाकी संपत्ति और उसमें निवेश करने वाले अफसरों को चिन्हित करने का काम जारी है. यह खुलासा शासन को मिली एक गुमनाम शिकायत की जांच के बाद हुआ है.

रजिस्ट्री कार्यालयों से मिले दस्तावेज

इस शिकायत की जांच के तहत जब रजिस्ट्री कार्यालयों के दस्तावेज खंगाले गए तो एजेंसियों के भी होश उड़ गए. जांच एजेंसियों के मुताबिक इन अधिकारियों ने लखनऊ के एक चर्चित बिल्डर के जरिए बेनामी संपत्तियों में अपनी काली कमाई खपायी है. बताया जा रहा है कि यह बिल्डर भी एक वरिष्ठ अधिकारी का रिश्तेदार है. जांच एजेंसियों के मुताबिक अब तक की जांच में पाया गया है कि यह सारी बेनामी संपत्तियां उन अफसरों की हैं जो सचल दल या एसआईबी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच) में तैनात रहे हैं।

11 अफसरों की बेनामी संपत्ति चिन्हित

रिपोर्ट के मुताबिक ये अफसर कोविड काल के दौरान गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और नोएडा जैसे जिलों में ‘मलाईदार’ पदों पर तैनात रहे और कोविड काल में ट्रांसफर प्रक्रिया ठप होने की वजह से तीन से पांच साल तक तक अपनी कुर्सी पर जमे रहे थे. जांच टीम में शामिल अधिकारियों के मुताबिक अब तक 11 अधिकारियों की संपत्तियां मोहनलालगंज और सुल्तानपुर रोड पर पकड़ी गई हैं. इनकी कीमत अरबों में आंकी जा रही है. इन संपत्तियों में प्लॉट, फार्महाउस और व्यावसायिक संपत्तियां शामिल हैं. जांच के दायरे में फिलहाल 50 अधिकारी हैं, लेकिन जांच आगे बढ़ने पर यह दायरा भी बढ़ सकता है.

रजिस्ट्री में पकड़ी गई धोखाधड़ी

एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “यह सिर्फ जमीन का खेल नहीं है, बल्कि जीएसटी रिटर्न और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के फर्जीवाड़े से जुड़ा है. इसमें ना केवल काली कमाई खपायी गई है, बल्कि रजिस्ट्री में भी फर्जीवाड़ा किया गया है. बताया जा रहा है कि बिल्डर ने सर्किल रेट से भी कम दाम पर जमीनें उपलब्ध कराई थीं. इस इनपुट के बाद आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति सेल भी सक्रिय हो गई है. यह टीम पहले से यूपी में 242 अधिकारियों और नेताओं की जमीन खरीद की जांच कर रही है.