लखनऊ जेल में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर हमला, सफाईबंदी ने किया लोहे की पटरी से वार

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ जेल में बंद पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर एक सफाईबंदी कैदी ने लोहे की पटरी से हमला किया है. इस घटना में उन्हें मामूली चोटें आईं हैं. इस घटना ने जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. गायत्री प्रजापति अपने विवादित अतीत के लिए जाने जाते हैं, जिसमें दुष्कर्म और खनन घोटाले के आरोप शामिल हैं.

गायत्री प्रजापति पर जेल में हमला Image Credit:

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की जेल में बंद पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर जानलेवा हमला हुआ है. समाजवादी पार्टी के नेता और अमेठी से विधायक रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति पर एक सफाईबंदी ने लोहे की पटरी से हमला किया है. इस हमले में प्रजापति के सिर पर मामूली चोटें आईं हैं. आनन फानन में उन्हें जेल के मेडिकल यूनिट ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार किया गया है. जेल महानिदेशक (डीजी) पीसी मीना ने घटना की पुष्टि की. बताया कि अब प्रजापति की हालत स्थिर है और उन्हें अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं है. उधर, समाजवादी पार्टी ने इस घटना पर चिंता जताते हुए सरकार और जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

बताया जा रहा कि मंगलवार की शाम करीब 6:30 बजे जेल के बैरक नंबर-3 में प्रजापति का एक सफाईबंदी से विवाद हो गया था. इनके बीच की कहासुनी देखते ही देखते इतनी बढ़ गई कि सफाईबंदी ने गुस्से में लोहे की एक पटरी से उनके सिर पर वार कर दिया. इस हमले में प्रजापति के सिर पर मामूली चोटें आई. इसके बाद जेल स्टाफ ने उन्हें मेडिकल यूनिट पहुंचाया. डीजी जेल पीसी मीना के मुताबिक यह घटना अचानक झगड़े का नतीजा था.

जेल में सुरक्षा पर सवाल

जेल प्रबंधन ने घटना के तत्काल बाद हमलावर सफाईबंदी को अलग बैरक में शिफ्ट कर दिया है. उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा रही है. प्रारंभिक जांच में पता चला है कि विवाद की जड़ छोटी-मोटी बात थी, लेकिन लोहे की पटरी जैसे खतरनाक औजार का इस्तेमाल जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है. जेल प्रशासन ने अभी हमलावर की पहचान उजागर नहीं की है. बता दें कि गायत्री प्रसाद प्रजापति सपा सरकार (2012-2017) में खनन और परिवहन विभाग के मंत्री थे.

विवादों में रहे गायत्री प्रजापति

अमेठी- क्षेत्र में मजबूत पकड़ होने के बावजूद गायत्री प्रजापति लगातार विवादों में रहे. साल 2017 में चित्रकूट की एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी ने उनके खिलाफ दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाया था. इसके अलावा, खनन घोटाले में कथित संलिप्तता ने उनके राजनीतिक करियर को तहस-नहस कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मार्च 2017 में उनकी गिरफ्तारी हुई, और 2021 में लखनऊ की विशेष कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई है. आय से अधिक संपत्ति के मामले में उन्हें हाल ही में जमानत मिली थी, लेकिन दुष्कर्म और खनन घोटाले के मामलों में वह अभी भी जेल में हैं.