इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के म्यूजिक डिपार्टमेंट में ‘मुर्दाखोर’ की एंट्री, देखते ही मचा हड़कंप
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के म्यूजिक डिपार्टमेंट में एक दुर्लभ 'मुर्दाखोर' (पाम सिवेट) मिलने से हड़कंप मच गया. यह जीव, जिसे कस्तूरी बिलाव भी कहते हैं, दिखने में भयानक तो होता है पर हमलावर नहीं होता. यह सर्वभक्षी है और आमतौर पर कब्रिस्तान जैसे शांत स्थानों पर रहता है. जीव विज्ञानियों ने इसे रेस्क्यू किया है. यह प्रजाति दुनिया में बहुत कम बची है.

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में मंगलवार को एक हैरान करने वाली घटना हुई. यहां म्यूजिक डिपार्टमेंट में बेहद खतरनाक दिखने वाला एक दुर्लभ जीव टहलता हुआ मिला. आंखे ऐसी, जिसपर कोई एक टक देखने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था. इस जीव की शक्ल सूरत देखकर छात्रों ही नहीं, यूनिवर्सिटी प्रशासन में भी हड़कंप मच गया. आनन फानन में घटना की जानकारी जंतु विभाग के प्रोफेसर और वन्य जीव मित्र को दी गई. इसके बाद इस जीव को रेस्क्यू किया गया.
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर संदीप मेहरोत्रा के मुताबिक यह जीव पॉम सिवेट है. यह एक छोटा स्तनधारी जीव है और इसका वैज्ञानिक नाम Paradoxurus hermaphroditus (एशियाई पाम सिवेट) है. उन्होंने बताया कि यह प्रजाति दुनिया के दुर्लभ प्रजातियों में से एक है. इसे एशियन पॉम सिवेट के अलावा कस्तूरी बिलाव, गंध बिलांव और गंध मार्जर आदि नामों से भी जाना जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में इसे मुर्दाखोर भी कहते हैं.
भयानक शक्ल के बावजूद नहीं होता खतरनाक
जीव विज्ञानियों के मुताबिक बिल्ली जैसा दिखने वाला और भयानक शक्ल का यह जीव हमलवार नहीं होता है. वैसे तो यह यह सर्व भक्षी है और सांप, पक्षी और उनके अंडे, चूहे, छोटे उभयचर जीवों के अलावा मरे हुए जानवर और जमीन के नीचे छुपे रहने वाले छोटे जीवों को खाता है. आम तौर पर यह जीव कब्रिस्तान जैसे शांत स्थानों के आसपास रहता है. इस जीव के सुनने और सूंघने की क्षमता बेहद तेज होती है. जब भी जमीन के नीचे से किसी जीव के होने की आहट मिलती है, ये तुरंत मिट्टी खोदकर उसे अपना आहार बना लेता है.
यूनिवर्सिटी में कैसे पहुंचा यह जीव
इस जीव को रेस्क्यू करने वाले वन्य जीव प्रेमी अंकित टार्जन ने बताया कि यह शांति प्रिय जीव है, लेकिन यूनिवर्सिटी में कैसे पहुंचा, यह समझ के बाहर है. उन्होंने बताया कि यह जीव लाशों को खाता है और भीड़ भाड़ से दूर सूनसान एरिया में रहता है. खासतौर पर इस प्रजाति के जीव कब्रिस्तान के आसपास रहते हैं. यही वजह है कि इस जीव को ग्रामीण इलाके में मुर्दाखोर के नाम से जानते हैं. अंकित के मुताबिक इस दुर्लभ जीव की संख्या दुनिया में बहुत कम रह गई है.