घर का पालतू कुत्ता चल रहा था बीमार, वियोग में दो बहनों ने दी जान; फिनाइल पीकर की आत्महत्या

लखनऊ में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. जहां दो सगी बहनों ने अपने पालतू कुत्ते की वियोग में आत्महत्या कर ली. दोनों बहनें पालतू जर्मन शेफर्ड 'टोनी' की लंबी बीमारी से सदमे में थी. उसकी बिगड़ती हालत ने उन्हें डिप्रेशन में धकेल दिया था, दोनों ने फिनायल पीकर आत्महत्या कर ली.

पालतू कुत्ते के वियोग में दो बहनों ने दी जान Image Credit:

लखनऊ के पारा थाना क्षेत्र में दो सगी बहनों ने अपने पालतू कुत्ते की लंबी बीमारी से सदमे में आकर आत्महत्या कर ली. दोनों बहनों ने बुधवार को फिनायल पीकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. दोनों बहनों को जर्मन शेफर्ड नस्ल के कुत्ते ‘टोनी’ से बेहद लगाव था. टोनी पिछले एक महीने से गंभीर रूप से बीमार था. इससे दोनों बहनें गहरे डिप्रेशन में चली गई थी.

घटना दोदा खेड़ा जलालपुर की है. मृतक बहनों की पहचान राधा सिंह (24) और जिया सिंह (22) के रूप में हुई है. बुधवार सुबह करीब 11 बजे मां गुलाब देवी ने दोनों बेटियों को दुकान से सामान लाने भेजा था. लौटने पर दोनों कराह रही थी. दोनों ने मां को बताया कि उन्होंने फिनायल पी लिया है. दोनों को अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान मौत हो गई.

कुत्ता खाना नहीं खाता तो बहनें भी भूखी रह जाती

पड़ोसियों ने बताया कि दोनों बहन ग्रेजुएट थी. पिता कैलाश सिंह (65) रुई धुनाई का काम करते थे, लेकिन छह महीने से ज्यादा समय से वे बीमार हैं और बिस्तर पर हैं. उनका भी इलाज चल रहा है. बड़ा भाई वीर सिंह प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते हैं. परिवार में एक छोटा भाई भी था, जिसकी करीब सात साल पहले ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई थी.

परिजनों ने बताया कि दोनों बहनों को टोनी से काफी लगाव था, कुत्ता अगर खाना नहीं खाता तो बहनें भी भूखी रह जाती थी. छोटी बहन जिया की मानसिक स्थिति पहले से ही ठीक नहीं बताई जा रही है. पड़ोसी लखनलाल ने बताया, ‘कुत्ता बीमार होने के बाद से दोनों डिप्रेशन में थी. क्या खाकर उन्होंने ऐसा कदम उठाया, पता नहीं चल पा रहा.’

ऐसे मामलों में काउंसलिंग, परिवार का सहारा जरूरी

परिजनों की सूचना पर पुलिस भी घटनास्थल पर पहुंची. पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. यह घटना पालतू जानवरों से गहरे भावनात्मक लगाव और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी की गंभीर समस्या को उजागर करती है. विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में समय पर काउंसलिंग और परिवार का सहारा जरूरी होता है.