‘उगा-उगा हे सूरज देव…’ गोहराती रह गए छठ व्रती, नोएडा-गाजियाबाद में अर्घ्य के लिए नहीं हुए दर्शन
छठ पर्व पर नोएडा-गाजियाबाद सहित पूरे उत्तर प्रदेश में खराब मौसम के कारण लाखों छठ व्रतियों को सूर्य देव के दर्शन नहीं हुए. घने बादलों में छिपे भगवान भास्कर का इंतजार करते हुए व्रतियों ने निराश मन से पश्चिम दिशा में अर्घ्य दिया. मौसम विभाग ने पहले ही बारिश और घने बादलों का अलर्ट जारी किया था.
भगवान भुवन भास्कर ने छठ पर्व पर लाखों भक्तों को निराश कर दिया. छठ घाटों पर व्रती सूर्य देव की गुहार करते ही रह गए, लेकिन बादलों की ओट में छिपे भगवान भुवन भास्कर ने एक झलक भी नहीं दी. ऐसे में पंचांग में वर्णित सूर्यास्त के समय को ध्यान में रखते हुए व्रतियों ने पश्चिम दिशा में मुंह कर अर्घ्य दिया और भगवान सूर्य से प्रार्थना करते हुए कल सुबह अरुणोदय के वक्त दर्शन की गुहार की. यह स्थिति मौसम में हुए बदलाव की वजह से समूचे उत्तर प्रदेश में देखी गई.
भारतीय मौसम विभाग ने पहले ही सोमवार को छठ पूजा के वक्त मौसम खराब होने का अलर्ट जारी किया था. 10 से अधिक जिलों में हल्की बारिश, 30 से अधिक जिलों में घने बादल और तेज हवा चलाने की रिपोर्ट दी थी. मौसम विभाग के मुताबिक दोपहर तक तो मौसम साफ रहा भी, लेकिन शाम ढलने से पहले ही आसमान में घने बादल छा गए. खासतौर पर छठ व्रतियों के घाट पर जाने से पहले ही भगवान सूर्य बादलों की ओट में छिप गए थे. मौसम विभाग ने मंगलवार को भी ऐसा ही मौसम रहने की संभावना जताई है.
मथुरा-मेरठ में भी छिपे रहे सूर्यदेव
केवल नोएडा-गाजियाबाद ही नहीं, बल्कि मथुरा, मेरठ में भी शाम के अर्घ्य के वक्त भगवान सूर्य के दर्शन नहीं हुए. वहीं आगरा, अलीगढ़ समेत कई जिलों में अर्घ्य के वक्त ही हल्की बूंदाबांदी भी हुई. यही स्थिति ललितपुर, झांसी समेत बुंदेलखंड के कई जिलों में देखी गई. इनमें से कई जिलों में तो आज सुबह से ही धूप नहीं खिली. वहीं कुछ जिलों में सुबह के वक्त सूर्य देव प्रकट तो हुए, लेकिन दोपहर में ही बादलों की चादर ओढ़ ली. ऐसी स्थिति में छठ व्रत रखने वाले व्रतियों को अर्घ्य के समय निराश होना पड़ा.
नोएडा गाजियाबाद में 20 हजार से अधिक घाट
वैसे तो उत्तर प्रदेश में लाखों की तादात में लोग छठ पूजा करते हैं. अकेले नोएडा और गाजियाबाद में ही छठ व्रत करने वालों की तादात एक लाख से अधिक है. व्रतियों की सुविधा के लिए नोएडा और गाजियाबाद में 20 हजार से अधिक छठ घाटों का निर्माण कराया गया था. कई जगहों पर इसके लिए शासन और प्रशासन की ओर से इंतजाम किया गया था, तो कुछेक स्थानों पर व्रतियों ने अपने दम पर छठ घाट बनाकर साफ सफाई कराई थी. इसी प्रकार बड़ी संख्या में छठ व्रती अपने घरों की छतों पर अर्घ्य का इंतजाम किया था.
इकलौता प्रकृति पर्व है छठ
छठ महाव्रत दुनिया का इकलौता अनुष्ठान है, जिसमें प्रत्यक्ष देव की पूजा होती है. इसमें ना तो मंत्र पढ़ने के लिए किसी पंडित पुजारी की जरूरत होती है और ना ही किसी ऐसे फल या मिष्ठान की जरूरत होती है, जिसे स्थानीय स्तर पर उगाया ना जा सके. पौराणिक मान्यता के मुताबिक इस व्रत की शुरुआत बिहार के कैमूर जिले में माता सीता ने त्रेता युग में की थी. उसके बाद से पहले बिहार और उत्तर प्रदेश में यह परंपरा बन गई. अब तो छठ पर्व की धूम समूचे भारत ही नहीं, विश्व के कई अन्य देशों में भी देखने को मिलती है.
