नसबंदी के दौरान बिल्ली की हुई थी मौत, अब डॉक्टर को देना होगा 25 हजार रुपये का मुआवजा
जुलाई 2025 में डॉक्टर ने नोएडा के रहने वाले तमन गुप्ता को बिल्ली की नसबंदी का सुझाव दिया था. वह नसबंदी के लिए तैयार हो गए. 35 मिनट तक बिल्ली की सर्जरी चली. लेकिन इसके बाद वह 2 घंटे तक होश में नहीं आई इसके कुछ समय बाद बिल्ली की मौत हो गई. अब इस मामले पर डॉक्टर को 25 हजार रुपये का मुआवजा बिल्ली के मालिक को देना होगा.
नोएडा में इलाज के दौरान एक बिल्ली की मौत हो गई थी. अब इसपर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने पशु चिकित्सक को लापरवाही का दोषी ठहराया है. इसके लिए आयोग ने बिल्ली के मालिक को 30 दिनों के भीतर 25 हजार मुआवजा देने का आदेश दिया है.
नोएडा 105 के रहने वाले शिकायतकर्ता तमन गुप्ता नोएडा ने बताया कि नसबंदी के दौरान आवश्यक सावधानियां नहीं बरती गईं, जिसके चलते बिल्ली की मौत हो गई थी. उन्होंने पेट वेल वेटनरी क्लिनिक के डॉक्टर सुरेश सिंह पर बिल्ली की नसबंदी के दौरान जरूरी सावधानियां नहीं बरतने और ब्लड रिपोर्ट नहीं देने का आरोप लगाया है. डॉक्टर ने सर्जरी के लिए उनसे 17,480 रुपए भी वसूल लिए.
सर्जरी के बाद होश में नहीं आई बिल्ली
तमन गुप्ता के मुताबिक जनवरी 2024 में उनकी मां रेखा पहली बार बिल्ली को लेकर काउंसलिंग के लिए क्लिनिक पर गई थीं. इसके बाद जुलाई में डॉक्टर ने बिल्ली की नसबंदी का सुझाव दिया था. वह नसबंदी के लिए तैयार हो गए. 35 मिनट तक बिल्ली की सर्जरी चली. लेकिन इसके बाद वह 2 घंटे तक होश में नहीं आई.
सही इलाज नहीं बिल्ली की मौत का आरोप
तमन गुप्ता ने बताया इस दौरान उन्होंने डॉक्टर से कई बार संपर्क करने की कोशिश की. लेकिन यह संभव नहीं हो पाया. फिर एक वीडियो क्लिप डॉक्टर को भेजा. उन्होंने बिल्ली को तुरंत इमरजेंसी रूम लाने के कहा. यहां बिल्ली को सही से इलाज नहीं मिला. कुछ ही वक्त बाद बिल्ली ने दम तोड़ दिया.
15 लाख के मुआवजे की मांग की थी
आयोग में दायर शिकायत में तमन गुप्ता ने 15 लाख के मुआवजे की मांग की थी, जिसमें मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी की लागत शामिल थी. शिकायत मिलते ही डॉक्टर के खिलाफ नोटिस भी जारी हुई. इसका कोई भी जवाब नहीं आया है. इसके बाद 17 जून को मामला एकतरफा रूप से सुना गया. कोर्ट ने इस मामले में डॉक्टर को दोषी पाया गया. अब आयोग ने आदेश दिया कि डॉक्टर सुरेश सिंह 30 दिनों के अंदर 25,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो पूरी राशि का भुगतान होने तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर देना होगा.
