फिर सुर्खियों में नैनी सेंट्रल जेल का ‘फांसी घर’, आजादी के पहले ठाकुर रोशन सिंह को हुई थी फांसी
प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल का 'फांसी घर' फिर चर्चा में है. हाल ही में अतीक अहमद के बेटे को यहां शिफ्ट किया गया है. यह हाई-सिक्योरिटी सेल आजादी के बाद 3 दोषियों को फांसी दे चुका है. वहीं, आजादी से पहले काकोरी कांड में यहां क्रांतिकारी ठाकुर रोशन सिंह को फांसी दी गई थी.

प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल के अंदर बना ‘फांसी घर’ एक बार फिर चर्चा में है. खंडहर जैसा वीरान पड़ा यह हाई सिक्योरिटी सेल कभी फांसी देने वाले बंदियों का आखिरी आशियाना होता था. इसी में फांसी देने के एक दिन पहले बंदी को रखा जाता था और अगले दिन बंदी को फांसी दे दी जाती थी. इस हाई सिक्योरिटी बैरक में अहम कैदियों को रखा जाता है. ऐसे कैदी जो जेल में हंगामा करते हैं उन्हें यहां रखा जाता है.
हाल में माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद को यहां की हाई सिक्योरिटी बैरक में रखने के बाद यह फिर से चर्चा में है. अली अहमद के बैरक से कैश मिलने के बाद उसे अब नैनी जेल की ‘फांसी घर’ वाली सेल में शिफ्ट किया गया है. हालांकि, अब फांसी की सजा के लिए किसी को यहां नहीं रखा जाता है. आखिरी बार आज से 40 साल पहले हत्या के जुर्म में दो सगे भाइयों समेत तीन लोगों को एक साथ इस फांसी घर में फंदे पर लटकाया गया था.
आखिरी बार 18 नवंबर 1989 में हुई फांंसी
नैनी सेंट्रल जेल रिकॉर्ड के मुताबिक, इस फांसी घर में आखिरी बार 18 नवंबर 1989 में धारा 302 के तहत हत्या के जुर्म में दो सगे भाइयों बाबूलाल और अशर्फी पुत्र बंसू, श्रीकृष्ण पुत्र छेदालाल निवासी, भवानीगढ़, शिवगढ़ रायबरेली को फांसी के फंदे पर लटकाया गया था. उसके बाद आज तक इस ‘फांसी घर’ में किसी को फांसी की सजा नहीं दी गई है. रिकार्ड के मुताबिक, आजादी के बाद यहां केवल 3 दोषियों को फांसी दी गई है.
आजादी के पहले रोशन ठाकुर को हुई फांसी
नैनी केंद्रीय जेल में आजादी के बाद केवल 3 दोषियों को फांसी के फंदे पर लटकाया गया है. और वह भी साल 1989 में. लेकिन आजादी के पहले इसी फांसी घर में एक क्रांतिकारी को फांसी दी गई थी. नैनी सेंट्रल जेल में स्वतंत्रता से पहले केवल एक क्रांतिकारी को फांसी दी गई थी, उनका नाम ठाकुर रोशन सिंह था. साल 1927 में काकोरी कांड के मुकदमे में दोष सिद्ध होने पर उन्हें फांसी की पर लटकाया गया था.
काकोरी कांड में 19 दिसंबर 1927 को हुई थी फांसी
काकोरी कांड को काकोरी ट्रेन एक्शन के नाम से भी जाना जाता है. यह 9 अगस्त 1925 को उत्तर प्रदेश के काकोरी में हुई एक ट्रेन डकैती थी. यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हुई थी. काकोरी कांड के लिए ठाकुर रोशन सिंह के अलावा राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, और राजेंद्र नाथ लाहिरी को फांसी की सजा सुनाई गई थी.
काकोरी कांड का नेतृत्व राम प्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान कर रहे थे. दोष सिद्ध होने के बाद सभी को अलग-अलग जेलों में रखा गया था. राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर में, अशफाक उल्ला फैज़ाबाद में, राजेंद्र लाहिरी गोंडा में और ठाकुर रोशन सिंह को नैनी जेल में ही 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी. हाई सिक्योरिटी सेल में 6-8 फीट के 12 कमरे हैं.
Latest Stories

40 मुकदमे, एक लाख का ईनाम… UP में ढेर हुआ कुख्यात डकैत

न नई नौकरी निकल रही और न कर्मचारियों के ट्रांसफर हो रहे हैं…. आखिर UP में क्या चल रहा है?

CAWNPOOR से लेकर कानपुर तक; यूपी के इस शहर का 21 बार बदला नाम, जानें कब-कब
