अब्बास अंसारी की बच गई विधायकी, हेट स्पीच मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का स्टे ऑर्डर

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को राहत मिल गई है. कोर्ट ने उनकी सजा पर रोक लगा दी है. हेट स्पीच मामले में 30 जुलाई को फैसला सुरक्षित रखा गया था, जिसपर कोर्ट ने स्टे ऑर्डर किया है.

पूर्व विधायक अब्बास अंसारी (फाइल फोटो) Image Credit:

उत्तर प्रदेश में आज मुख्तार अंसारी के बेटे और पूर्व विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से राहत मिल गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी की सजा पर रोक लगा दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद उनके विधायकी को बहाल किया जाएगा. आज इस मामले में कोर्ट ने लगभग 2 बजे के आस-पास फैसला सुनाया है. आज हेट स्पीच मामले में पहले से फैसला सुरक्षित था, जिसे आज सुनाया गया.

भड़काऊ बयान देने का लगा था आरोप

2022 में, मऊ के पहाड़पुरा मैदान में एक चुनावी सभा के दौरान, अब्बास ने कथित तौर पर प्रशासनिक अधिकारियों को धमकी दी थी. उन्होंने कहा था कि अगर समाजवादी पार्टी की सरकार बनी, तो अधिकारियों का हिसाब-किताब होगा. यह बयान न केवल वायरल हुआ, बल्कि चुनाव आयोग ने इसे गंभीरता से लिया, और मऊ कोतवाली में उनके खिलाफ हेट स्पीच का मामला दर्ज हो गया.

31 मई 2025 को मऊ की सीजेएम कोर्ट ने अब्बास को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा और 3000 रुपये का जुर्माना लगाया. जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत, दो साल से अधिक की सजा पाने वाले जनप्रतिनिधि की सदस्यता खुद ही समाप्त हो जाती है. 1 जून को, यूपी विधानसभा सचिवालय ने अब्बास की विधायकी रद्द कर दी और मऊ सदर सीट को खाली घोषित कर दिया गया. इस फैसले ने न केवल अब्बास के राजनीतिक करियर को झटका दिया, बल्कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर दीं, जिसके टिकट पर अब्बास ने चुनाव जीता था.

इलाहाबाद हाई कोर्ट का खटखटाया दरवाजा

अब्बास ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपने वकील उपेंद्र उपाध्याय के माध्यम से पहले जिला जज की अदालत में अपील की, लेकिन 5 जुलाई को उनकी अपील खारिज हो गई. इसके बाद, उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 30 जुलाई को, जस्टिस समीर जैन की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं. अब्बास के वकील ने तर्क दिया कि हेट स्पीच की ऑडियो सीडी और फॉरेंसिक रिपोर्ट में छेड़छाड़ की गई थी. दूसरी ओर, सरकारी वकील ने कहा कि अब्बास का बयान न केवल भड़काऊ था, बल्कि यह सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने वाला था. कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया, और 20 अगस्त को, वह दिन आ गया जब मऊ की सियासत का भविष्य तय होने वाला था.

सजा पर कोर्ट का स्टे ऑर्डर

दोपहर 2 बजे, जब जस्टिस समीर जैन ने फैसला सुनाया, तो मऊ में सन्नाटा छा गया. कोर्ट ने अब्बास की सजा पर स्टे ऑर्डर जारी कर दिया, जिसका मतलब था कि उनकी विधायकी बहाल हो जाएगी. इस फैसले ने मऊ सदर सीट पर प्रस्तावित उपचुनाव को टाल दिया और अब्बास के समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई. उनके घर के बाहर लोग जुटने लगे, और ढोल-नगाड़ों की आवाज गूंजने लगी. लेकिन यह खुशी सभी के लिए नहीं थी. कुछ लोग इसे सियासी दबाव का नतीजा मान रहे थे, जबकि अन्य का कहना था कि यह न्याय की जीत है.

अब्बास, जो उस समय कासगंज जेल में थे, को जब यह खबर मिली, तो उनके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आई. उनके वकील दरोगा सिंह ने कहा कि यह कानून और सच्चाई की जीत है. हम सुप्रीम कोर्ट तक लड़ने को तैयार थे, लेकिन हाई कोर्ट ने सही फैसला लिया.