यूपी में पुश्तैनी जमीन का नक्शा पाना अब होगा आसान, नहीं काटने पड़ेंगे तहसील के चक्कर

उत्तर प्रदेश सरकार ने पुश्तैनी जमीन के नक्शे प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक अहम आदेश जारी किया है. तहसील स्तर पर नक्शे उपलब्ध न होने पर इन्हें नए सिरे से तैयार किया जाएगा. प्रयागराज से भी मदद ली जाएगी. यह कदम जमीन से जुड़े विवादों को कम करने और नागरिकों का समय बचाने में मददगार होगा. आवेदकों को नक्शों की कॉपी आसानी से उपलब्ध कराई जाएगी.

सांकेतिक तस्वीर

उत्तर प्रदेश में अब पुश्तैनी जमीन के नक्शे पाना आसान हो जाएगा. बार-बार तहसील और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी. राजस्व विभाग ने इस संबंध में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जिसके तहत तहसील स्तर पर भू-मानचित्र उपलब्ध न होने या खराब होने की स्थिति में उसे नए सिरे से तैयार कर सुरक्षित रखा जाएगा. साथ ही, आवेदकों को इसकी कॉपी आसानी से उपलब्ध कराई जाएगी.

आयुक्त एवं सचिव, राजस्व परिषद, एसवीएस रंगाराव ने सभी जिलाधिकारियों को इसको लेकर निर्देश जारी किए हैं. आदेश में कहा गया है कि तहसील, जिला स्तर और राजस्व अभिलेखागार के साथ-साथ बंदोबस्त अधिकारी और सहायक अभिलेख अधिकारी के कार्यालयों में भू-मानचित्रों की खोजबीन कर उन्हें संग्रहीत और सुरक्षित किया जाए. यदि कोई नक्शा नष्ट हो गया है,मौके पर मौजूद नहीं है या खराब हालत में है, तो इसके कारणों की जांच की जाएगी और जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई होगी. जांच के बाद संबंधित रिपोर्ट राजस्व परिषद को भेजी जाएगी.

प्रयागराज से मिलेगी मदद

यदि तहसील, जिला या राजस्व परिषद स्तर पर भी भू-मानचित्र उपलब्ध नहीं है, तो निदेशक, मुद्रण एवं लेखन सामग्री, प्रयागराज से संपर्क किया जाएगा. वहां से नक्शा प्राप्त करने का प्रयास होगा. अगर वहां भी नक्शा उपलब्ध नहीं हुआ, तो संबंधित राजस्व ग्रामों के भू-मानचित्र नए सिरे से तैयार कराए जाएंगे. इन्हें सुरक्षित रखा जाएगा और जरूरत पड़ने पर आवेदकों को उपलब्ध कराया जाएगा.

इस पहल से आम नागरिकों को अपनी पुश्तैनी जमीन की सटीक जानकारी प्राप्त करने में आसानी होगी. नए और सुरक्षित भू-मानचित्रों की कॉपी आवेदन करने पर उपलब्ध कराई जाएगी. इससे जमीन संबंधी विवादों का निपटारा करने में भी मदद मिलेगी. यह कदम खासकर उन लोगों के लिए वरदान साबित होगा, जो अपनी पैतृक संपत्ति की जानकारी जुटाने के लिए लंबे समय से परेशान थे. इससे उनका समय बचेगा और उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे.