Nag Panchami 2025: आज भी यहां विश्राम कर रहे नाग वासुकी, भगवान नारायण ने दिया था ये स्थान; समुद्र मंथन से जुड़ी है कथा

नागपंचमी के पर्व की हिंदू धर्म में बहुत अधिक मान्यता है. इस दिन भक्त महादेव के प्रिय नाग देवता की पूजा करते हैं और उनके दर्शन के लिए मंदिरों में जाते हैं. आज प्रयागराज के ऐसे नागदेवता के मंदिर के बारे में जानेंगे, जिनका इस्तेमाल समुद्र मंथन के समय रस्सी के तौर पर किया गया था.

नागवासुकी मंदिर में नागपंचमी के दिन भक्तों की भारी भीड़ Image Credit:

आज यानी 29 जुलाई को नाग पंचमी के दिन देश भर के अलग-अलग हिस्सों में नाग देवता की पूजा की जा रही है. लोग सांपों के दर्शन कर रहे हैं और उनका आशीर्वाद भी प्राप्त कर रहे हैं. नाग पंचमी का त्योहार सावन के महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है. ऐसे में आज प्रयागराज के एकलौते ऐसे वासुकी नाग मंदिर के बारे में जानेंगे, जिनकी कोई दूसरी मंदिर देश में मौजूद नहीं है. प्रयागराज के नागवासुकी मंदिर के पुजारी ने टीवी9 भारतवर्ष से बातचीत के दौरान इस मंदिर के महत्व और प्रचलित कथा के बारे में जानकारी दी.

नागवासुकी मंदिर के पुजारी

मंदिर के पुजारी ने बताया कि समुद्र मंथन में वासुकी नाग का इस्तेमाल रस्सी के रूप में किया गया था, इसके बारे में विष्णु पुराण में बताया गया है. वासुकी नाग मंदिर के पुजारी ने कहा कि सागर मंथन के बाद वासुकी नाग की स्थिति इतनी ज्यादा खराब हो गई थी कि उन्होंने विष्णु भगवान से विश्राम के लिए जगह मांगी. उन्होंने कहा कि हे प्रभु मेरे शरीर में शायद प्राण है, लेकिन जान बिल्कुल भी मौजूद नहीं है. तब भगवान विष्णु ने तीर्थों के राजा प्रयागराज में उन्हें स्थान लेने के लिए कहा.

वासुकी नाग की दो शर्तें

मंदिर के पुजारी ने बताया कि जब भगवान विष्णु ने वासुकी नाग को प्रयागराज में स्थान लेने के लिए कहा तो नाग देवता ने तीन शर्तें रखीं. उन्होंने कहा कि नाग पंचमी के दिन वासुकी नाग की पूजा हो. दूसरी शर्त के तौर पर उन्होंने कहा कि जो भी भक्त प्रयागराज में अपनी तीर्थ यात्रा के लिए आएं वो मेरे दर्शन के लिए जरूर आए. अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उनकी तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाए और उन्हें इसका पूरा फल नहीं मिलेगा. भगवान ने नाग देवता की दो शर्तें मानी और उन्हें यहां निवास करने को कहा.

पंचकोसीय परिक्रमा में नागवासुकी का दर्शन जरूरी

मंदिर के पुजारी ने बताया कि जो भक्त दूर-दूर से तीर्थ यात्रा के प्रयोजन से प्रायगराज में आते हैं उन्हें नागवासुकी के दर्शन भी करना अनिवार्य है. नागवासुकी के दर्शन को पंचकोसीय परिक्रमा में शामिल किया गया है. पुजारी ने नीचे दिए गए श्लोक की चर्चा करके इसके बारे में बताया. महाकुंभ के समय जो श्रद्धालु यहां कल्वास के लिए आते हैं वो भी इस परिक्रमा को अनिवार्य रूप से पूरा करते हैं, तभी उनके कल्पवास का फल उन्हें पूर्ण रूप से मिल पाता है.

नाग पंचमी के दिन भक्तों की भीड़

त्रिवेणी माधवं सोमं भारद्वाजं च वासुकीम्‌। वन्दे अक्षयवटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम्‌॥

ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों ने की मंदिर की स्थापना

मंदिर के पुजारी ने कहा कि नागवासुकी मंदिर की स्थापना किसी मानव ने नहीं की है बल्कि, ब्रह्मा के चार मानस पुत्रों के द्वारा ही इस मंदिर की स्थापना की गई है. अब ये नागदेवता का मंदिर है, इस लिहाज से भक्त दूर-दूर से यहां पूजा करने के लिए आते हैं. जैसे महादेव की नगरी काशी है वैसे ही प्रयाग भगवान विष्णु की नगरी है.

पुलिस और RAF जवानों की तैनाती

नाग पंचमी के दिन के महत्व की वजह से नागवासुकी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रही. मंदिर के पुजारी ने बताया कि रात के 12 बजे तक इसी संख्या में भक्तों का तांता मंदिर प्रांगण में देखने को मिलता है. काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए इस मंदिर का महत्व अद्भुत है. ऐसे में लोगों की सुरक्षा के लिए पुलिस और आरएएफ जवानों को तैनात किया गया. मंदिर की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए दोनों सुरक्षाबलों की तरफ से सभी तरह के पुख्ता इंतजाम किए गए थे.