साइबर ठगों ने खुद को बैंककर्मी बताकर पूर्व IG को भरोसे में लिया, फिर खाते से उड़ाए लाखों रुपए, FIR
यूपी के प्रयागराज से साइबर ठगी की ऐसी घटना सामने आई है, जहां शातिरों ने खुद को बैंककर्मी बताकर पहले तो पूर्व IG को अपने भरोसे में लिया, फिर उनके बैंक अकाउंट से ₹4.32 लाख उड़ा दिए. पीड़ित पूर्व IG ने प्रयागराज पुलिस को शिकायत देकर FIR दर्ज कराई है.
प्रयागराज में साइबर क्राइम के जरिए ठगी का मामला दर्ज हुआ है. यहां एक पूर्व IG, जो कि मौजूदा वक्त में भक्तिभाव में लीन हैं और खुद को कलियुग की राधा कहते हैं, उनके बैंक अकाउंट से शातिरों ने 4.32 लाख साफ कर दिए. पीड़ित D.K पांडा ने इसे लेकर प्रयागराज पुलिस को तहरीर देकर FIR दर्ज कराई है.
पीड़ित D.K पांडा ने बताया कि साइबर ठगों ने खुद को बैंक कर्मचारी बताया था, जिसके बाद उन्होंने शातिरों पर भरोसा कर लिया. ठगों ने पीड़ित को अपने जाल में फंसाने के बाद लाखों की ठगी को अंजाम दिया.
व्हाट्सएप पर लिंक भेजकर ठगी
प्रयागराज के एडीए कॉलोनी प्रीतमनगर में रह रहे डीके पांडा ने घटना के बारे में बताया कि वह इंडियन बैंक मुंडेरा शाखा का टोल-फ्री नंबर इंटरनेट पर सर्च कर रहे थे. तभी उनके पास राहुल कुमार नामक व्यक्ति का कॉल आया. उसने खुद को बैंककर्मी बताते हुए मदद करने का भरोसा दिलाया और व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा. लिंक ओपेन करने के बाद शातिर ने उन्हें घंटों तक बातचीत में उलझाए रखा और इसी दौरान उनके यूको बैंक सेविंग्स खाते से चार ट्रांजेक्शन्स में कुल 4.32 लाख रुपये साफ कर दिए. इनमें 1,95,023 रुपये, 95,008 रुपये, 98,000 रुपये और 44,012 रुपये चार बार में निकाले गए.
दर्ज हुई FIR
पांडा ने 10 सितंबर को साइबर क्राइम सेल में शिकायत दी, लेकिन एफआईआर 15 सितंबर को धूमनगंज थाने में दर्ज की गई. इस मामले की जांच इंस्पेक्टर सुरेंद्र पाल सिंह को सौंपी गई है. पांडा ने ठग का मोबाइल नंबर भी पुलिस को मुहैया कराया है. धूमनगंज थाने के प्रभारी अमर नाथ राय ने बताया कि यह मामला साइबर फ्रॉड का है. पुलिस ठग के मोबाइल नंबर और लिंक की जांच कर रही है. पुलिस ने लोगों को सतर्क करते हुए कहा कि अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें और बैंक संबंधी जानकारी केवल आधिकारिक वेबसाइट या ऐप से ही प्राप्त करें.
IPS अफसर रहे हैं ‘पांडा’
पीड़ित मूलरूप से ओडिशा के रहने वाले हैं. वे 1971 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं. उन्होंने 2005 में सिविल सेवा छोड़कर खुद को राधा के रंग में ढ़ाल लिया और खुद को ‘दूसरी राधा’ मानने लगे. इसके बाद में 2015 में वे कृष्णानंद बन गए. प्रयागराज के प्रीतम नगर में उनका ठिकाना है. जिसे वे राधा कुंज कहते हैं. पीड़ित 2024 में भी साइबर ठगी का शिकार हो चुके हैं. तब उन्हें ऑनलाइन ट्रेडिंग में 3.81 करोड़ रुपये मुनाफे का लालच देकर 8 लाख रुपये की ठगी की. उन्होंने इसकी शिकायत दर्ज कराई थी.