कौन हैं IPS अभिषेक सिंह, जिन्होंने ‘ऑपरेशन सवेरा’ से हिलाया ड्रग्स कारोबार का नेटवर्क, 111 को भेजा जेल
एक सिविल सेवक जब वाकई में बदलाव की कमर कस लेता है तो बड़े-बड़े अपराधियों की कमर टूट जाती है. ऐसा ही एक नाम आईपीएस अभिषेक सिंह का है, जिन्होंने ड्रग्स माफियों की बैंड बजाकर रख दी है. ड्रग्स नेटवर्क पर वार करते हुए आईपीएस अभिषेक ने 19 करोड़ से ज्यादा कीमत के नशीले पदार्थ जब्त किए हैं. जानते हैं उनका 'ऑपरेशन सवेरा' इन दिनों यूपी में चर्चा में क्यों है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नशे के बढ़ते जाल पर जिस अफसर ने सीधा वार किया है उसका नाम है आईपीएस अभिषेक सिंह. सहारनपुर रेंज के डीआईजी अभिषेक सिंह ने अपने कार्यकाल की शुरुआत ही एक बड़े अभियान से की है जिसका नाम रखा गया है ‘ऑपरेशन सवेरा’. इस विशेष अभियान के तहत महज़ एक महीने के भीतर पुलिस ने नशे के कारोबार से जुड़े 150 से ज्यादा तस्करों को गिरफ्तार कर लिया, करीब 19 करोड़ से ज्यादा कीमत के नशीले पदार्थ जब्त कर लिए और अब तक 111 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं. इस कार्रवाई से न केवल सहारनपुर मंडल बल्कि पूरे वेस्ट यूपी में ड्रग्स नेटवर्क हिल गया है. इस ऑपरेशन का सबसे बड़ा असर यह रहा कि नशे के पेडलर से लेकर बड़े स्तर के डिस्ट्रीब्यूटर तक पुलिस की गिरफ्त में आए हैं.
डीआईजी अभिषेक सिंह की रणनीति में स्थानीय स्तर पर हॉटस्पॉट की पहचान, मुखबिर तंत्र को मजबूत करना, बॉर्डर स्टेट्स हरियाणा, उत्तराखंड और पंजाब से आने वाली सप्लाई चेन पर नकेल कसना और जिला पुलिस के बीच बेहतर कोऑर्डिनेशन मुख्य बिंदु रहे. यही वजह है कि बहुत कम समय में इतना काफी बड़ा परिणाम सामने आया है.
शुरुआत से ही थे पढ़ाई में अच्छे
अभिषेक सिंह 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद सिविल सर्विसेस में चयनित हुए. उनका जन्म 19 अक्टूबर 1986 को लखनऊ में हुआ था और शुरुआती पढ़ाई भी यहीं से पूरी हुई.
वे शुरू से ही मेधावी छात्र रहे और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी शुरू की. मेहनत और लगन के बल पर उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की और भारतीय पुलिस सेवा में सेलेक्ट हुए. आईपीएस बनने के बाद उनका लक्ष्य हमेशा अपराध पर अंकुश लगाने और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने का रहा.
मुजफ्फरनगर में बतौर एसएसपी रहते हुए उन्होंने बड़े गैंग्स के खिलाफ खुलासे किए और कानून व्यवस्था को नई दिशा दी. प्रमोशन के बाद जब उन्हें सहारनपुर रेंज का डीआईजी बनाया गया तो उन्होंने पदभार ग्रहण करने के साथ ही नशे के खिलाफ जंग छेड़ दी.
अपराधियों का किया एनकाउंटर
उनके रिकॉर्ड में पहले भी गैंगस्टर और कुख्यात अपराधियों के खिलाफ सफल एनकाउंटर ऑपरेशन शामिल हैं. बरेली में तैनाती के दौरान उन्होंने 25 से ज्यादा गैंगस्टर और कुख्यात अपराधियों को खत्म किया था जिससे उनकी कार्यशैली पर लोगों का भरोसा और मजबूत हुआ.
उनकी पोस्टिंग हिस्ट्री पर नजर डालें तो वे लखनऊ, गाजीपुर, फिरोजाबाद, मुजफ्फरनगर और अब सहारनपुर रेंज में अहम पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके हैं. उन्होंने SP बलरामपुर, SP प्रतापगढ़, SP बागपत , SSP मुजफ्फरनगर की जिम्मेदारी निभाई है. हर जिले में उनका फोकस संगठित अपराध और माफिया तंत्र को खत्म करना रहा है.
मिले हैं कई अवार्ड
करियर के दौरान उन्हें कई प्रशस्तियां और पुरस्कार भी मिले जिनमें पुलिस मेडल, डीजीपी प्रशंसा चिन्ह, और कानून व्यवस्था में उत्कृष्ट कार्यों के लिए सराहना पत्र शामिल हैं. 2024 में उन्हें सेलेक्शन ग्रेड दिया गया और 2025 में प्रमोशन पाकर सहारनपुर रेंज का डीआईजी बनाया गया. उन्हें वीरता पदक, मुख्यमंत्री सराहनीय सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है.
अभिषेक सिंह का मानना है कि नशा सिर्फ एक अवैध धंधा नहीं बल्कि परिवारों को तोड़ने वाली सबसे खतरनाक बीमारी है, और जब तक पुलिस सख्ती से नशे के कारोबार पर लगाम नहीं लगाएगी तब तक युवाओं का भविष्य सुरक्षित नहीं हो सकता. उनके नेतृत्व में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और शामली में पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं और अदालत में पुख्ता सबूतों के साथ आरोपियों को सजा दिलाने की तैयारी भी कर रही हैं.
“ऑपरेशन सवेरा” सिर्फ गिरफ्तारी और बरामदगी तक सीमित नहीं है बल्कि इसके साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है जिसमें युवाओं और अभिभावकों को समझाया जा रहा है कि नशे से कैसे दूर रहना है.
भविष्य का विज़न और रणनीति
DIG अभिषेक सिंह का विज़न है कि आने वाले समय में सहारनपुर रेंज को अपराध-मुक्त मॉडल जोन बनाया जाए. वे मानते हैं कि अपराध और नशा, दोनों ही युवाओं को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं. इसलिए उनकी रणनीति तीन स्तरों पर आधारित है-
टेक्नोलॉजी आधारित पुलिसिंग : आधुनिक सीसीटीवी नेटवर्क, डिजिटल ट्रैकिंग और डाटा एनालिसिस की मदद से अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी.
युवाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम : स्कूल और कॉलेज स्तर पर विशेष कैंपेन चलाकर नशे से दूर रहने का संदेश देना और युवाओं को सकारात्मक गतिविधियों से जोड़ना.
संगठित अपराध पर निर्णायक वार : बड़े गैंग्स और नेटवर्क्स को आर्थिक और कानूनी दोनों स्तर पर तोड़ने की योजना ताकि अपराधी दुबारा खड़े न हो सकें.
DIG अभिषेक सिंह का कहना है कि “कानून व्यवस्था तभी मजबूत होगी जब पुलिस और जनता एक साथ खड़े होंगे, इसलिए हमारी कोशिश है कि हर नागरिक को सुरक्षित माहौल मिले और अपराधी इस क्षेत्र की तरफ देखना भी छोड़ दें.
आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चर्चा सिर्फ इसी की है कि यूपी पुलिस का यह अफसर एक महीने में नशा माफियाओं की कमर कैसे तोड़ गया और आगे की रणनीति से किस तरह पूरे क्षेत्र को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है.