सोनभद्र खनन हादसा: 300 फीट नीचे मलबे में दबे हैं मजदूर, देर रात से रेस्क्यू जारी

सोनभद्र में हुए भीषण खनन हादसे ने पूरे जिले को झकझोर दिया है. कई मजदूर 300 फीट नीचे मलबे में दबे हैं. NDRF/SDRF टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं, जो भारी चट्टानों और गहराई के कारण चुनौतीपूर्ण है. अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है. देर रात से ही रेस्क्यू लगातार जारी है.

सोनभद्र खनन हादसा Image Credit: PTI

सोनभद्र के ओबरा क्षेत्र में शनिवार देर शाम भीषण खनन हादसा हुआ. पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा अचानक दरक पड़ा. इस दुर्घटना से एक की मौत जबकि 15-20 मजदूरों के मलबे में दबे होने की आशंका है. सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आया और देर रात से ही रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी है.

मजदूर तकरीबन 300 फीट नीचे मलबे में फंसे हैं. बड़ी गहराई, अंधेरा और भारी चट्टानों की वजह से रेस्क्यू बेहद कठिन हो गया है. बावजूद इसके सभी एजेंसियां युद्ध स्तर पर मलबा हटाने और दबे मजदूरों तक पहुंचने का प्रयास कर रही है. मौके पर SDRF, NDRF समेत तमाम आला अधिकारी मौजूद हैं.

खनन मालिक समेत तीन पर एफआईआर दर्ज

विंध्याचल मंडल के कमिश्नर राजेश प्रकाश, आईजी आरपी सिंह, NDRF के डीआईजी सहित SDRF, NDRF और जनपद पुलिस की टीमें निरंतर राहत कार्य में जुटी हैं. ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली मारकुंडी खनन क्षेत्र में कृष्णा माइनिंग वर्क्स में हादसा हुआ है. हादसे को लेकर खनन मालिक समेत तीन पर एफआईआर दर्ज की गई है.

हादसे ने खनन क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं. जानकारी के अनुसार जहां हादसा हुआ, वहां सुरक्षा मानकों के विपरीत 300 फीट नीचे विस्फोट और पहाड़ तोड़े जा रहे थे. निर्धारित मानकों, सुरक्षा दूरी और निरीक्षण प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाई जा रही थी.

जिले में सैकड़ों वैध और अवैध खनन पट्टे सक्रिय

सोनभद्र देश के सबसे बड़े खनन जिलों में गिना जाता है, जहां बड़े पैमाने पर वैध और अवैध खनन चलता है. स्थानीय लोग लगातार चेतावनी देते रहे कि यहां जोखिम बढ़ रहा है, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. सवाल यह भी उठ रहा है कि ऐसे गंभीर हादसे होने से पहले अधिकारी कार्रवाई क्यों नहीं करते?

जिले में सैकड़ों वैध और अवैध खनन पट्टे सक्रिय हैं. कई जगह बिना निरीक्षण, बिना सुरक्षा प्रोटोकॉल और बिना विशेषज्ञ निगरानी के blasting की जाती है. मजदूरों को सुरक्षा उपकरण तक उपलब्ध नहीं कराए जाते. आरोप है कि कई खदानों में अधिकारी केवल नाममात्र का निरीक्षण करते हैं, और अवैध खनन माफिया बेखौफ नियमों का उल्लंघन करता है.

सोनभद्र में खनन सुरक्षा भ्रष्टाचार के बोझ तले दबी

हर बार हादसे के बाद प्रशासन की नींद टूटती है, रेस्क्यू तेज होता है, जांच बैठती है और फिर समय के साथ सब कुछ शांत हो जाता है. लेकिन इस बार यह बड़ा हादसा फिर याद दिला रहा है कि सोनभद्र में खनन सुरक्षा की व्यवस्था अंतहीन लापरवाही और भ्रष्टाचार के बोझ तले दब चुकी है. फिलहाल रेस्क्यू जारी है. मजदूरों को बाहर निकलने का प्रयास किया जा रहा है.