पहले बनाई अवैध कॉलोनी, फिर वन विभाग की जमीन पर निकाला रास्ता… कासगंज में बेखौफ भू- माफिया
यूपी के कासगंज में भू- माफियाओं का बेखौफ अंदाज देखने को मिल रहा है. आरोपियों ने पहले बिना किसी अप्रूवल के अवैध कॉलोनी बना दी, फिर वन विभाग की जमीन पर पेड़ों को काटकर इसी कॉलोनी के लिए रास्ता बना लिया.

यूपी में सीएम योगी की सख्ती के बावजूद कुछ भू- माफिया अवैध काम करने से बाज नहीं आ रहे हैं. कासगंज के सहावर रोड स्थित गोरहा इलाके में कुछ प्रॉपर्टी डीलरों ने वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा कर ‘बांके बिहारी कॉलोनी’ बसा दी. पेड़ों की कटाई करके कॉलोनी के लिए रास्ता भी निकाल लिया. ये सारी प्रक्रिया नियमों को ताक पर रखकर की गई है.
क्योंकि न तो इस कॉलोनी को लीगल अप्रूवल मिला है और न ही किसी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है. इसके बावजूद ये भू- माफिया अब तक अवैध तरीके से दर्जनों प्लॉट बेंच चुके हैं.
काट डाले दर्जनों पेड़
आरोप है कि ये कॉलोनी वन विभाग की जमीन को कब्जा करके बनाई गई है और इसमें सभी सरकारी नियमों की धज्जियां उड़ाई गई हैं. इसकी लोकेशन की बात करें तो ये गोरहा नहर के किनारे सहावर मार्ग पर करीब एक किलोमीटर दूर बनाई गई है. इसमें करीब दर्जनभर से अधिक प्रॉपर्टी डीलरों के शामिल होने की बात कही जा रही है. आरोप है कि इन डीलरों ने वन विभाग की जमीन से तारों को हटाकर रास्ता निकाला और दर्जनों पेड़ भी कटवा दिए.
बिना मंजूरी हो रही प्लॉटिंग
कॉलोनी की न तो कोई आधिकारिक मंजूरी है और न ही इसे आबादी क्षेत्र घोषित किया गया है. इसके बावजूद कॉलोनी के मेन गेट से सटे दर्जनों प्लॉट बेचे जा चुके हैं. इस तरह की अनियमितता से न सिर्फ पर्यावरण को नुकसान हो रहा है, बल्कि सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा भी उजागर हो रहा है.
अफसरों ने ये बताया
जब इस मामले में SDM संजीव सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि, “यह कॉलोनी अभी अधिकारिक रूप से प्रमाणित नहीं है. कॉलोनी बसाने से पहले अनुमति और जरूरी प्रक्रियाओं का पालन करना जरूरी होता है. वहीं वन अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि मामले का संज्ञान लिया गया है.
उठ रहे सवाल
इसे लेकर रेंजर विपिन यादव को जांच के आदेश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर अवैध कब्जा पाया गया तो उचित विधिक कार्रवाई की जाएगी. उनका कहना है कि कॉलोनी के लिए वन विभाग की भूमि को रास्ते के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब कॉलोनी बन चुकी है और दर्जनों की तादाद में प्लॉटों की बिक्री हो चुकी है, तब प्रशासनिक अधिकारी जांच की बात कर रहे हैं. इससे कहीं न कहीं जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही भी उजागर होती नजर आ रही है.