फतेहपुर: मकबरे में तोड़फोड़ के पीछे किसकी चूक? IG और कमिश्नर ने तैयार की 80 पेज की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर में मकबरे को लेकर हुए बवाल के मामले तहकीकात करके में अधिकारियों ने विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजी है. करीब 80 पेजों में तैयार की गई इस रिपोर्ट में आखिर क्या बातें निकल के सामने आई हैं, आपको बताते हैं.

मकबरा विवाद की रिपोर्ट सरकार को भेजी

यूपी के फतेहपुर में जिस जगह पर मकबरे और मंदिर को लेकर हिंसा हुई थी, अब अधिकारियों ने उसे लेकर डिटेल रिपोर्ट शासन को भेजी है. इसे लेकर प्रयागराज के कमिश्नर और आईजी ने 6 दिनों तक फतेहपुर में कैंप किया और फिर जांच- पड़ताल के बाद 80 पेजेज की डिटेल रिपोर्ट तैयार की.

रिपोर्ट में क्या पता चला

इस रिपोर्ट में इस बात की भी जांच की गई है कि भीड़ यहां के डाक बंगला से मकबरे तक कैसे पहुंची. इसके अलावा मकबरे और आसपास की विवादित जमीन को लेकर भी जांच रिपोर्ट सामने आई है. सोशल मीडिया से लेकर तमाम जगहों पर जब हिंदू संगठन के द्वारा मकबरे के साफ सफाई की अभियान को लेकर बात की गई थी तो क्या जिला प्रशासन ने इन संगठनों से बात की. इन सभी बातों का जिक्र इसमें किया गया है. कमिश्नर विजय विश्वास पंत और आईजी अजय मिश्रा ने ये जॉइंट रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें मकबरे में तोड़फोड़ को लेकर कई अहम सवालों के जवाब दिए गए हैं.

मकबरा है राष्ट्रीय संपत्ति

दरअसल फतेहपुर में हुए बवाल और हिंसा के बाद शासन की तरफ से इन दोनों सीनियर अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार करने को लेकर जिम्मेदारी सौंपी गई थी. सूत्रों के मुताबिक मकबरे की जमीन गाटा संख्या- 753 का जिक्र इस रिपोर्ट में किया गया है. इसमें मकबरे को राष्ट्रीय संपत्ति के तौर पर बताया गया है. मकबरे के मालिकाना हक से लेकर उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वर्क बोर्ड में दर्ज होने का पूरा विवरण कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में दिया है.

किसकी चूक से हुई हिंसा

यही नहीं इस रिपोर्ट में मकबरे के साथ- साथ गाटा संख्या- 1159 का भी उल्लेख किया गया है. इस गाटा संख्या में ठाकुर जी मंदिर भी दर्ज है. इसके अलावा यहां की विवादित जमीन का भी जिक्र है. मालिकाना हक को लेकर सिविल जज और ऊपरी अदालत के किसी भी केस में सरकार पार्टी नहीं है इसका भी जिक्र इस रिपोर्ट में किया गया है. इस रिपोर्ट में उस समय की सरकार और प्रशासन की कमियों को उजागर किया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार के द्वारा कोर्ट के किसी भी फैसले के खिलाफ कभी भी कोई भी अपील नहीं की गई.

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फतेहपुर डाक बंगले से लेकर मकबरे तक किसी भी पुलिस अधिकारी ने भीड़ को रोकने की कोशिश नहीं की. इसीलिए भीड़ बैरिकेडिंग तोड़ते हुए मकबरे तक पहुंच गई. इस बात का भी जिक्र किया गया है कि पुलिस प्रशासन द्वारा जिन संगठनों ने मकबरे में साफ सफाई का आह्वान किया था उनसे बातचीत नहीं की गई.