Swan Special: पंचामृत स्नान, मंगला आरती और जागरण… जानें सावन में बाबा विश्वनाथ की दिनचर्या

बाबा की दिनचर्या तड़के 2 बजे जागरण से शुरू होती है. इसके लिए पुजारियों की टोली शास्त्रीय भजनों, वेद मंत्रों और “जागअ-जागअ हो त्रिपुरारी” के स्वर में बाबा को जगाती है. इसके बाद 2:30 से 3:45 बजे के बीच मंगला आरती होती है, जिसमें गंगाजल, पंचामृत स्नान, यज्ञोपवित धारण और मलयागिरि चंदन का लेप कर विधि- विधान से विशेष पूजन किया जाता है.

काशी विश्वनाथ मंदिर

सावन का महीना भगवान शिव को सबसे प्रिय है. मान्यता है कि इस पवित्र महीने में शिव सपरिवार काशी में निवास करते हैं. 11 जुलाई से शुरू हो रहे सावन को लेकर पद्मश्री पं. हरिहर कृपालु ने श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में होने वाली दैनिक सेवाओं का सिलसिलेवार विवरण साझा किया. उनका कहना है कि सावन की पहली सुबह से ही मंदिर में खास तैयारियां शुरू हो जाती है, इस महीने करोड़ो भक्त बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं.

इस पूरे महीने मंदिर प्रशासन एक तय एसओपी के तहत कार्य करता है, जिसमें भक्तों की भारी भीड़ के प्रबंधन से लेकर प्रसाद वितरण तक की व्यवस्थाएं शामिल होती हैं. इसके तहत बाबा के जागरण से लेकर शयन तक की पूरी दिनचर्या भी तय होती है.

ऐसे शुरू होता है बाबा का दिन

बाबा की दिनचर्या तड़के 2 बजे जागरण से शुरू होती है. इसके लिए पुजारियों की टोली शास्त्रीय भजनों, वेद मंत्रों और “जागअ-जागअ हो त्रिपुरारी” के स्वर में बाबा को जगाती है. इसके बाद 2:30 से 3:45 बजे के बीच मंगला आरती होती है, जिसमें गंगाजल, पंचामृत स्नान, यज्ञोपवित धारण और मलयागिरि चंदन का लेप कर विधि- विधान से विशेष पूजन किया जाता है. इसी दौरान गर्भगृह में माता पार्वती की प्रतिमा भी विराजमान रहती है. मंगला आरती देखने वाले भक्त इस दृश्य को सबसे मंगलकारी मानते हैं.

परोसा जाता है ये भोजन

दोपहर 11:30- 12:30 तक मध्यान भोग आरती होती है. इसमें पारंपरिक धोती पहनकर पुजारी बिना लहसुन प्याज वाले सात्विक भोजन जैसे दाल-चावल, रोटी, सब्ज़ी, पापड़, चटनी व मिठाई को गंगाजल के साथ बाबा को अर्पित करते हैं. फिर ये प्रसाद दंडी सन्यासियों को बांटा जाता है.

700 साल से हो रही आरती

शाम 7:30 से 8:30 बजे तक सप्तऋषि आरती होती है. ये परंपरा करीब 700 साल पुरानी है. ऐसा माना जाता है कि ये 7 गोत्रों के ऋषियों का प्रतीक है. इसके बाद 9 बजे से 9:30 बजे तक श्रृंगार भोग आरती में बाबा को तस्मई खीर अर्पित की जाती है. ये खीर भक्तों को प्रसाद के तौर पर बांटी जाती है.

बाबा विश्वनाथ को ऐसे सुलाते हैं भक्त

बाबा विश्वनाथ की आखिरी बार रात में 10:30 से 11 बजे के बीच शयन आरती की जाती है. इसमें बड़ी तादाद में भक्त शामिल होते हैं. मंदिर के भीतर गर्भगृह में रजत पलंग, मसनद, एक लोटा जल, गिलास, खड़ाऊ और दातुन सजाकर भक्त गाते हैं “बाबा के दरबार में माई कहे सो होय” यानी प्रतीकात्मक रूप से बाबा को सुलाया जाता है.


सेवा का ये कार्यक्रम एक दिन नही बल्कि पूरे महीने इसी तरह से चलता है. ऐसी मान्यता है कि इस महीने भगवान शिव सपरिवार काशी में आकर ठहरते हैं, इसीलिए उनके भक्त पूरे मनोभाव से अपने घर के मेहमान की भांति उनका स्वागत करते हैं.