दालमंडी में चौड़ीकरण शुरू, पहली शॉप जमींदोज, दुकानदार बोला-1.20 करोड़ की जगह सिर्फ 15 लाख मुआवजा मिला

दालमंडी चौड़ीकरण प्रोजेक्ट की शुरुआत हो गई है. पहली दुकान राकेश शरण लैब को जमींदोज कर दिया गया है. इस दुकान को चलाने वाले मुन्ने खान बेहद दुखी नजर आए. उनका कहना है परिवार में शादी के लिए दो-दो बेटियां हैं. ऐसे में दुकान ही आमदनी का एकमात्र जरिया था. ऐसी स्थिति में हम अब कहां जाएं. इसके अलावा उन्होंने मुआवजे की रकम पर भी सवाल उठाया.

दालमंडी चौड़ीकरण का काम शुरू

वाराणसी में योगी सरकार की महत्वाकांक्षी दालमंडी चौड़ीकरण प्रोजेक्ट की शुरुआत हो गई है. तकरीबन 187 भवन और दुकानें इसकी जद में आ रहे हैं. सबसे पहली दुकान राकेश कलर लैब चौड़ीकरण की भेंट चढ़ा. प्रशासन की इस कार्रवाई से दुकानदार के परिवार दुखी है. उनका कहना है कि हम प्रशासन से दुकान खाली करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा था, लेकिन हमें मोहलत नहीं दी गई.

राकेश कलर लैब के दुकान के दो पार्टनर राकेश शरण और दीपक शरण थे. इनमें एक पार्टनर की मौत हो गई है. इस दुकान के लिए 15 लाख रुपये दोनों पार्टनर को मुआवजे के रूप में दिए गए हैं. लेकिन अब उनका परिवार कार्रवाई के बाद दुखी हैं. परिवार का आरोप है कि जिस तरह दुकान तोड़ा गया वह सही नहीं था. हम खुद दुकान खाली करने वाले थे. लेकिन हमें मोहलत नहीं मिली.

सर्किल रेट से दोगुना मिला मुआवजा

इस दुकान का कुल एरिया 185 स्क्वायर फीट के आसपास था. इसमें फोटोग्राफी का काम करीब सौ स्क्वायर फीट में होता था. उतना ही बड़ा कमरा ऊपर भी बना हुआ था. प्रशासन ने इसका सर्किल रेट 44000/- रुपये प्रति वर्ग मीटर रखा था. लेकिन मुआवजा सर्किल रेट से दो गुना ज्यादा 88000/- रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से 15 लाख रुपये इस दुकान के दोनों पार्टनर को दिए गए हैं.

किराएदार मुन्ने खान चलाते थे दुकान

इस दुकान को राकेश शरण और दीपक शरण के किराएदार मुन्ने खान चलाते थे. बचपन से इसी दुकान पर रहें. पहले फोटोग्राफी सीखी और फिर मुलाजिम की हैसियत से यहीं फोटोग्राफी का काम करने लगे. पिछले तीन साल से मुन्ने खान ने इस दुकान को किराए पर ले रखा था.

पहले 1.20 करोड़ रुपये लग रही थी कीमत

मुन्ने खान प्रशासन की कार्रवाई पर झुंझलाते हुए कहते हैं कि दो साल पहले जिस दुकान को लोग 1.20 करोड़ में खरीदने के लिए परेशान रहते थे. अब उसी दुकान की कीमत प्रशासन ने 15 लाख लगाया है. इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा? इस दौरान वह भावुक होकर आगे कहते हैं कि दस लोगों का हमारा परिवार है जिसमें दो शादी करने लायक बेटियां भी हैं. अब इन सबको लेकर हम कहां जाएं.

एफिडेविट का क्या हुआ?

दालमंडी के ही रहने वाले और व्यवसायी इमरान अहमद ने जिला प्रशासन से सवाल किया है कि जब हाईकोर्ट में जिलाधिकारी ने एफीडेविट देकर ये कहा था कि जब तक 50% लोगों की सहमति नही होगी तब तक कार्रवाई शुरू नही करेंगे. ये तो कोर्ट की अवहेलना है. कई लोग इस कार्रवाई के ख़िलाफ हाई कोर्ट जाने की तैयारी में हैं.

जानबुझकर प्रशासन ने की ऐसी कार्रवाई

इमरान कहते हैं कि जानबूझकर एक ऐसे दुकान से कार्रवाई शुरू किया गया है जो दो हिन्दू पार्टनर की थी. प्रशासन नरेटिव सेट करने की कोशिश में है. इससे सच्चाई बदल नही जाएगी कि दालमंडी में 98% मुसलमानों के दुकान और मकान जा रहे हैं.