बांके बिहारी मंदिर में फिर टूटी परंपरा, शरद पूर्णिमा पर भक्त नहीं कर पाए श्रृंगार आरती दर्शन; ये रही वजह

वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में शरद पूर्णिमा पर परंपरा टूटने से हजारों भक्त श्रृंगार आरती दर्शन से वंचित रह गए. गर्भगृह के सामने जगमोहन पर सिंहासन लगाने को इसकी वजह बताया जा रहा है. गोस्वामी समाज ने मंदिर प्रबंधन कमेटी पर मनमाना फैसला लेने का आरोप लगाया. कहा कि इस फैसले की वजह से ही दर्शन 45 मिनट देरी से शुरू हुए और भक्तों को निराशा हुई.

बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन

वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर की परंपरा एक बार फिर टूट गई. इसकी वजह से शरद पूर्णिमा पर मंदिर में उमड़े हजारों भक्त श्रृंगार आरती दर्शन से वंचित रह गए. यह स्थिति गर्भगृह के सामने जगमोहन पर बांके बिहारी का सिंहासन लगाने की वजह से बनी. इस घटना को लेकर गोस्वामी समाज ने बांके बिहारी हाई पावर मैनेजमेंट कमेटी के फैसले को जिम्मेदार बताया है. गोस्वामी समाज ने आरोप लगाया कि कमेटी को पहले ही संभावित स्थिति से अवगत करा दिया गया था, लेकिन कमेटी ने मनमाने तरीके से अपना फैसला लागू किया.

इसकी वजह से ना केवल ठाकुर बांके बिहारी के दर्शन 45 मिनट की देरी से शुरू हुए, बल्कि श्रृंगार आरती के दर्शन से भी हजारों की तादात में भक्त वंचित रह गए. गोस्वामी समाज के मुताबिक साल 2023 में भी एक बार मंदिर की परंपरा के साथ खिलवाड़ किया गया था. उस समय भी गोस्वामी समाज ने आपत्ति जताते हुए कुछ सुझाव दिए थे. इसके बावजूद इस बार भी मैनेजमेंट कमेटी ने मनमाने तरीके से फैसला करते हुए हजारों भक्तों को आरती दर्शन से वंचित कर दिया.

शरद पूर्णिमा पर होती है विशेष आरती

बांके बिहारी मंदिर में सेवायत हिमांशु गोस्वामी के मुताबिक परंपरा के मुताबिक मंदिर में शरद पूर्णिमा के अवसर पर विशेष श्रृंगार आरती होती है. इसके दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त भगवान की रास स्थली वृंदावन आते हैं और इसमें शामिल होते हैं. इस बार भी विशेष श्रृंगार आरती तो हुई, लेकिन ये सभी वक्त दर्शन नहीं कर पाए. यह स्थिति श्रृंगार आरती से ठीक पहले गर्भ ग्रह के सामने जगमोहन पर ठाकुर बांके बिहारी महाराज का सिंहासन लगाने की वजह से बनी है. इस बात को लेकर गोस्वामी समाज ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है.

ये रही वजह

जानकारी के मुताबिक शरद पूर्णिमा के अवसर पर ठाकुर बांके बिहारी महाराज सुबह और शाम जगमोहन में विराजमान होकर श्वेत वस्त्रों में भक्तों को दर्शन देते हैं. इस दौरान वह मोर मुकुट कट कछानी और हाथ में बंसी भी धारण करते हैं.इससे पहले ठाकुर जी की गर्भगृह में श्रृंगार आरती होती है. चूंकि इस बार गर्भगृह के सामने ही जगमोहन में भगवान का सिंहासन लगा दिया गया था, इसलिए भक्तों को श्रृंगार आरती के दर्शन ही नहीं हो पाए. इस संबंध में कमेटी के अध्यक्ष अशोक कुमार ने सफाई दी है. कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक भक्तों को सुविधाएं दी जा रही है. जहां तक परंपरा टूटने की बात है तो इसपर विचार किया जाएगा.