रोहिणी आचार्य ने जिस रमीज राज को कहा ‘यूपी का गुंडा’, उनके ससुर रिजवान जहीर की कहानी

लालू परिवार में मचे घमासान के बीच रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी के दोस्त रमीज नेमत को 'यूपी का गुंडा' कहा है. इसी के साथ रमीज नेमत और उनके ससुर पूर्व सांसद रिजवान जहीर सुर्खियों में आ गए हैं. इस प्रसंग में हम पूर्व चेयरमैन की हत्या में जेल गए रिजवान जहीर की पूरी प्रोफाइल बताने की कोशिश कर रहे हैं.

पूर्व सांसद रिजवान जहीर और उनके दामाद रमीज

बिहार चुनाव में करारी हार के बाद लालू परिवार में विद्रोह हो गया है. अपनी किडनी देकर लालू यादव की जान बचाने वाली उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवार और पार्टी दोनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर कहा कि ‘यूपी वाले गुंडे’ के लिए तेजस्वी ने उसे चप्पल मारा. रोहिणी ने यूपी वाला गुंडा शब्द का इस्तेमाल तेजस्वी यादव के बचपन के दोस्त रमीज नेमत के लिए इस्तेमाल किया है. दरअसल रमीज के खिलाफ उत्तर प्रदेश में गुंडा एक्ट की कार्रवाई हो चुकी है.

रमीज नेमत पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष तुलसीनगर हत्या के एक मामले में जेल भी हो आए हैं. इस मामले में केवल रमीज ही नहीं, उनकी पत्नी जेबा और ससुर रिजवान जहीर भी अरेस्ट होकर जेल गए हैं. आरोप है कि पूर्व सांसद रिजवान जहीर ने पूर्व चेयरमैन फिरोज अहमद पप्पू की गला घोंटकर हत्या की थी. उत्तर प्रदेश की बलरामपुर पुलिस ने उनके खिलाफ भी गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की थी. फिलहाल वह जिला कारागार ललितपुर में बंद हैं. वहीं रमीज नेमतइसी साल जमानत पर बाहर आए और तभी से तेजस्वी के लिए चुनाव प्रबंधन का काम देख रहे थे.

रिजवान जहीर की प्रोफाइल

सपा नेता रिजवान जहीर को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है. रिजवान साल 2021 तक बसपा के बैनरतले राजनीति करते थे, लेकिन अक्टूबर 2021 में अखिलेश यादव ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. 1985 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर बलरामपुर लौटे रिजवान ने 1989 में राजनीति शुरू की. शुरूआत में वह निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़े और जीते भी. इसके बाद वह 1993 में सपा के टिकट पर और फिर 1996 में बसपा के बैनरतले तुलसीपुर विधानसभा सीट से विधायक बने. इसके बाद वह 1998 और 1999 में सपा के टिकट पर बलरामपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए.

दो बार बीवी बनी जिला प्रमुख

2000 के दशक में रिजवान जहीर की बलरामपुर में तूती बोलती थी. अपने रसूख के दम पर उहोंने अपनी बेगम हुमा रिजवान को दो बार 2005 और 2010 में जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया. अपने भाई सलमान जहीर और नौमान जहीर को भी उन्होंने राजनीति में उतारा और विधानसभा चुनाव लड़ाया. हालांकि वो चुनाव नहीं जीत सके. इसी दौरान रिजवान ने सीधे मुलायम सिंह यादव को चैलेंज कर दिया कि वह भी उनके सामने लड़ेंगे तो हार जाएंगे. इस चुनौती के बाद से ही रिजवान जहीर के सितारे गर्त में चले गए और वह दोबारा कोई चुनाव नहीं जीत सके.

पहले नेता, फिर बने हिस्ट्रीशीटर

साल 2000 के दशक में पूर्व सांसद रिजवान जहीर के सितारे बुलंदियों पर थे. लेकिन 2010 के दशक में उनके बुरे समय की शुरूआत भी हो गई. पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक उन्हीं दिनों रिजवान जहीर के खिलाफ एक के बाद एक कुल 14 मुकदमें दर्ज हो गए. इनमें हत्या-बलवा, रंगदारी आदि के मामले भी शामिल हैं. नके खिलाफ आखिरी मुकदमा साल 2021 में पंचायत चुनावों के दौरान दर्ज हुआ था. इसके बाद उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह की धाराओं में पाबंद किया गया. इस कार्रवाई की नींव पूर्व चेयरमैन की हत्या के साथ ही पड़ गई थी. आरोप है कि 4 जनवरी 2018 को राजीतिक रंजिश की वजह से पूर्व चेयरमैन की हत्या को अंजाम दिया गया.

दोस्ती से दुश्मनी तक का सफर

बलरामपुर पुलिस के मुताबिक रिजवान जहीर जब अपनी राजनीति शुरू कर रहे थे, उस समय पूर्व चेयरमैन पप्पू उनका हमराह था. इसका उसे फायदा भी मिला. खुद रिजवान जहीर ने ही पप्पू को तुलसीपुर नगर पालिका का चेयरमैन भी बनवाया. इसके बाद ही दोनों में मतभेद हो गया. देखते ही देखते यह अदावत इतनी बढ़ गई कि एक दिन रिजवान ने पप्पू को बातचीत के बहाने बुलाया और आरोप है कि अपने साथियों के साथ मिलकर गला घोंट दिया. इस मामले रिजवान जहीर, उनकी बेटी जेबां और दामाद रमीज नेमत समेत छह आरोपियों को नामजद किया गया है.