डॉ. आदिल ने सहारनपुर में ही नौकरी करना क्यों चुना? जैश के लिए अहम क्यों है ये लोकेशन

दिल्ली ब्लास्ट केस और फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल कनेक्शन में सहारनपुर से गिरफ्तार डॉ. आदिल अहमद को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है. जांच एजेंसियों के मुताबिक आदिल सहारनपुर को उसकी भगौलिक स्थिति के चलते जैश का बेस एरिया बनाना चाहता था. इसके साथ ही वहां रिक्रूटमेंट कमांड सेंटर जैसी व्यवस्था भी तैयार करना चाहता था.

क्या सहारनपुर को जैश का बेस एरिया बनाना चाहता था डॉ. आदिल?

सहारनपु में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा डॉक्टर आदिल को सहारनपुर से 06 नवंबर को जम्मू और कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था. कश्मीर स्थित उसके घर पर एके-47 राइफल की बरामदगी हुई थी. फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल से भी उसका कनेक्शन सामने आया है. एजेंसियों को शक है कि डॉक्टर आदिल सहारनपुर को जैश का नया बेस एरिया बनाना चाहता था.

आदिल युवाओं को संगठन से जोड़ने की रणनीति पर काम कर रहा था. उसके संपर्क में दीनी तालीम लेने वाले और मेडिकल पढ़ाई कर रहे छात्र थे. इसमें बड़ी संख्या में कश्मीरी भी थे. संभावना जताई जा रही है कि आदिल ‘रिक्रूटमेंट कमांड सेंटर’ जैसी एक व्यवस्था तैयार करने की योजना में था. इसके जरिए वह नौजवानों को अपने डर्टी प्लान में शामिल कर सके.

एजेंसियों को मिले कई अहम सुराग

एजेंसियों को उसके मोबाइल और लैपटॉप से कई अहम चैट और संपर्क नंबर मिले हैं. इन्हीं सुरागों के आधार पर अब जिले भर के दीनी संस्थानों और हॉस्टलों में रह रहे बाहरी छात्रों की जांच की जा रही है. जम्मू-कश्मीर का रहने वाला डॉ. अदील साथी डॉक्टर मुजम्मिल की सलाह पर वेस्ट यूपी में ठिकाना तलाश रहा था.

सबसे पहले वी-ब्रॉस हॉस्पिटल किया ज्वाइन

डॉक्टर आदिल ने इसके लिए हरियाणा के एक बड़े हॉस्पिटल ग्रुप की वेबसाइट पर सहारनपुर लोकेशन के लिए आवेदन किया. इंटरव्यू के बाद डॉ अदिल ने 24 अक्टूबर 2024 को वी-ब्रॉस हॉस्पिटल में ज्वाइन किया. करीब पांच महीने बाद मार्च 2025 में उसने वहां से रिजाइन देकर फेमस मेडिकेयर हॉस्पिटल में पांच लाख रुपये सैलरी पर जॉब ले ली.

लोकेशन के तौर पर सहारनपुर को क्यों चुना

एजेंसियों के मुताबिक, सहारनपुर की भौगोलिक स्थिति उसे रणनीतिक रूप से अहम बनाती है. यहां से हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश तीनों राज्यों तक आसान पहुंच है. इसके अलावा, यहां मौजूद दारुल उलूम देवबंद विश्व का प्रमुख इस्लामिक शिक्षण संस्थान है. यहां देशभर से हजारों छात्र पढ़ाई करने आते हैं.

नौजवानों का ब्रेनवाश करना था मंसूबा

जानकारी के मुताबिक अदील छात्रों में कुछ से संपर्क बनाकर उन्हें संगठन की विचारधारा से जोड़ने की कोशिश कर रहा था. डॉ अदिल MBBS की पढ़ाई कर चुके छात्रों को भी अपने साथ जोड़ना चाहता था ताकि उनका ब्रेनवाश कर उन्हें भी अपने साथ शामिल कर सके.

साल भर में बदले दो किराए के मकान

एक साल के भीतर डॉक्टर अदील ने दो हॉस्पिटल और दो किराए के मकान बदले. दोनों मकानों की खासियत यह थी कि वे सेपरेट, सूनसान और बिना सीसीटीवी वाले इलाकों में थे. एजेंसी सूत्रों के मुताबिक डॉक्टर आदिल ऐसे घर चुनता था जिनमें दो दरवाजे हों ताकि किसी के आने पर दूसरे रास्ते से निकला जा सके.

पैरामाउंट ट्यूलिप कॉलोनी में था पहला मकान

पहला मकान उसने दिल्ली रोड की पैरामाउंट ट्यूलिप कॉलोनी में लिया था. यह हिंदू बहुल इलाका था और अस्पताल से करीब एक किलोमीटर दूर था. बाद में उसने अंबाला रोड की मुस्लिम बस्ती में दूसरा घर किराए पर लिया. पड़ोसी बताते हैं कि डॉ. अदील किसी से बातचीत नहीं करता था. “रात में करीब पांच गाड़ियां आती थीं. उनमें आठ-दस लोग आते और कई बार सुबह तक रुकते थे. वह ऑनलाइन खाना मंगवाता था और दिन में बस हॉस्पिटल जाता था”.

मुजम्मिल को भी सहारनपुर बुलाने की कोशिश

बस्ती के लोग बताते हैं कि वहां न तो कोई सीसीटीवी कैमरा था, न ही कभी किसी ने उसे मोहल्ले के किसी कार्यक्रम में देखा. एजेंसियों को मिले इनपुट्स से पता चला है कि डॉ. आदिल ने वी-ब्रॉस हॉस्पिटल में काम करते हुए अपने साथी डॉ. मुजम्मिल को भी सहारनपुर बुलाने की कोशिश की थी .अस्पताल प्रबंधन से उसने फोन पर उसकी सिफारिश की थी, लेकिन इससे पहले ही उसने वहां से इस्तीफा दे दिया.

आदिल के तीन नजदीकियों से भी पूछताछ

जांच एजेंसियां आदिल के तीन नजदीकी संपर्कों से पूछताछ कर रही हैं. साथ ही उसके नेटवर्क से जुड़े संभावित अन्य लोगों की भी पहचान की जा रही है. सूत्र बताते हैं कि एजेंसियों को जम्मू-कश्मीर से लेकर वेस्ट यूपी तक फैले संभावित मॉड्यूल के संकेत मिले हैं. हालांकि आधिकारिक रूप से एजेंसियों ने अभी कोई बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि अदील सहारनपुर को एक ‘सेफ रिक्रूटमेंट जोन’ की तरह विकसित करना चाहता था.”