उमाशंकर के पिता तेल बेचते थे, कौन थे दयाशंकर सिंह के मामा? जिन्हें ‘बलिया का मालवीय’ कहा गया

बलिया में एक पुलिया को लेकर बसपा विधायक उमाशंकर सिंह और बीजेपी के मंत्री दयाशंकर सिंह के बीच ठन गई है. इनके बीच शुरू हुआ यह विवाद अब इनके परिवारों तक पहुंच गया है. उमाशंकर सिंह ने दयाशंकर सिंह पर बलिया को लूटने का आरोप लगाया, जबकि दयाशंकर सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि उनके पिता तेल बेचते थे.

विधायक उमाशंकर सिंह बनाम मंत्री दयाशंकर सिंह Image Credit:

उत्तर प्रदेश के बलिया में एक पुलिया को लेकर बसपा विधायक उमाशंकर सिंह और बीजेपी के मंत्री दयाशंकर सिंह के बीच ठन गई है. दोनों नेताओं के बीच का विवाद अब घर परिवार तक पहुंच गया है. एक तरफ उमाशंकर सिंह ने आरोप लगाया है कि दयाशंकर सिंह बिहार के रहने वाले हैं और बलिया को लूटने के लिए यहां आए हैं. वहीं, उमशंकर सिंह ने भी पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि वह बलिया के मालवीय कहे जाने वाले मैनेजर सिंह के भांजे हैं, लेकिन उमाशंकर सिंह के पिता तो तेल बेचते थे.

अब विवाद गहरा ही गया है तो यही सही मौका है कि उमाशंकर के पिता के बारे में जान लिया जाए. साथ में यह भी जान लेना जरूरी है कि दयाशंकर सिंह के मामा मैनेजर सिंह कौन थे. पहले उमाशंकर सिंह और उनके पिता की बात कर लेते हैं. उमाशंकर सिंह के पिता घूरहू सिंह मूल रूप से बलिया में रसड़ा के पास खनवर गांव के रहने वाले हैं. 100 से अधिक वसंत पार कर चुके घूरहू सिंह रिटायर्ड फौजी हैं और रिटायरमेंट के बाद सरकारी राशन गल्ले की दुकान करते थे.

विधायक रहे हैं दयाशंकर सिंह के मामा

इसकी वजह से सरकारी राशन में मिट्टी का तेल, चीनी आदि चीजों को सस्ती एवं सरकारी रेट से बेचते थे. हालांकि बाद में, जब अपनी उम्र की ढलान की वजह से उन्होंने दुकान सरेंडर कर दिया था. अब वह घर में रहकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. जबकि, मंत्री दयाशंकर सिंह के मामा मैनेजर सिंह बलिया के द्वाबा विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. वह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे. इसके अलावा वह आधा दर्जन से अधिक स्कूलों के प्रबंधक भी थे.

मैनेजर सिंह ने शिक्षा की अलख जगाई

28 जनवरी 1920 को बैरिया के करमानपुर गांव में पैदा हुए मैनेजर सिंह ग्राम प्रधान और ब्लाक प्रमुख भी रहे हैं. उन्होंने 28 अक्टूबर 1993 को अंतिम सांस ली और जीवन पर्यंत सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे. अपने जीवन काल में उन्होंने शिक्षित भारत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया. उनके द्वारा स्थापित सुदिष्ट बाबा पीजी कॉलेज, इंटर कॉलेज, जूनियर हाईस्कूल समेत 14 से अधिक शिक्षण संस्थान आज भी बदस्तूर संचालित हो रहे हैं. यही वजह है कि उन्हें बलिया का मालवीय भी कहा जाता था.

ये है विवाद की वजह

पिछले दिनों बाढ़ की वजह से बलिया में तबाही का आलम था. इसी दौरान कटहर नाला पर बना पुराना पुल जर्जर हो गया था. ऐसे में हादसे की आशंका को देखते हुए पीडब्ल्यूडी ने बिना उद्घाटन कराए ही नए पुल पर आवागमन शुरू कर दिया था. इसकी सूचना मिलते ही उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री दयाशंकर सिंह बिफर पड़े थे. उन्होंने बीच सड़क पर पीड्ब्ल्यूडी के अधिकारियों को बुलाकर हड़काया था. उन्होंने आरोप लगा दिए थे कि ये अधिकारी बसपा विधायक उमाशंकर सिंह के घर से दफ्तर चला रहे हैं. इसके जवाब में बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने भी मंत्री पर आरोप लगाए थे.