क्या फिर कोई नया समीकरण बना रहे हैं राजभर? चुनावी सीजन में वायरल हो रही चिट्ठी, गरमाने लगा राजनीतिक माहौल

ओमप्रकाश राजभर की OBC आरक्षण के बंटवारे को लेकर लिखी चिट्ठी ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है. चुनावी माहौल में माना जा रहा है कि उनकी यह चिट्ठी BJP पर दबाव बनाने के लिए और 2027 के चुनावों के दौरान सीट बंटवारे में फायदा लेने के लिए लिखी गई है. हालांकि उनके ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ओमप्रकाश राजभर एक नए समीकरण बनाने की फिराक में भी हो सकते हैं.

ओमप्रकाश राजभर Image Credit:

सुभासपा अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर हमेशा कुछ ना कुछ ऐसा करते हैं, जिसकी वजह से वह सुर्खियों में रहते हैं. इस समय उनकी एक चिट्ठी सियासी गलियारे में तूफान लेकर आई है. यह चिट्ठी ओबीसी आरक्षण में बंटवारे को लेकर है. इसी मुद्दे पर वह पिछले विधानसभा चुनावों से पहले एडीए छोड़ कर सपा गठबंधन में चले गए थे. अब एक बार फिर उन्होंने आगामी चुनावों के शंखनाद से पहले पुरानी चाल चल दी है. उनकी चिट्ठी ने एक बार फिर ओबीसी आरक्षण में बंटवारे के मुद्दे को हवा दे दी है.

वैसे तो वर्ष 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर ओमप्रकाश राजभर पहले से ही गुणा गणित लगा रहे हैं. संजय निषाद के साथ गलबहियां करते कई बार नजर भी आए. माना जा रहा था कि वह इस बार के विधानसभा चुनावों में सीटों को लेकर बीजेपी पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि अब सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारे में तैर रही उनकी चिट्ठी ने इसकी मुहर भी लगा दी है. सियासी जानकारों को कहना है कि राजभर की यह चिट्ठी ना केवल बीजेपी पर दबाव बनाने का काम करेगी, बल्कि निषाद पार्टी समेत अन्य सहयोगी दलों को भी असहज कर सकती है.

ओबीसी आरक्षण में बंटवारा शुरू से रहा मुद्दा

सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर के लिए ओबीसी आरक्षण मेंबंटवारा शुरू से ही बड़ा मुद्दा रहा है और गाहे बगाहे वह इस मुद्दे पर बोलते भी रहे हैं. वह अक्सर तर्क देते हैं कि ओबीसी आरक्षण का लाभ पिछड़े वर्ग में आने वाली तमाम जातियों को नहीं मिल पाता. इसलिए वह इस वर्ग में आने वाली सभी जातियों के लिए आरक्षण उपलब्ध कराने के लिए ओबीसी आरक्षण में बंटवारे की मांग करते रहे हैं. एक और बड़ी बात, आमतौर पर ओमप्रकाश राजभर इस मुद्दे को उसी समय हवा देने की कोशिश करते हैं, जब चुनाव की रणभेरी बजने वाली हो. माना जा रहा है कि ऐसा वह सियासी दबाव बनाने के लिए करते हैं.

अलग अलग निकाले जा रहे निहितार्थ

सियासी गलियारे में ओमप्रकाश की वायरल हो रही इस चिट्ठी पर जितनी चर्चा नहीं हो रही, उससे ज्यादा चर्चा इसकी टाइमिंग पर हो रही है. सियासी पंडित इस चिट्ठी के कई निहितार्थ निकाल रहे हैं. ज्यादातर लोग इसे 2027 के चुनावों से पहले सीटों के बंटवारे में फायदे लेने के तौर पर देख रहे हैं. वहीं, कुछ जानकार इसे ओमप्रकाश राजभर की राजनीतिक चाल बता रहे हैं. इनका कहना है कि राजभर इस चिट्ठी से बीजेपी को मुश्किल में डालने और एक नया राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश में हैं. हालांकि सुभासपा के महासचिव अरुण राजभर इसका अलग ही मतलब बताते हैं.

अरुण राजभर ने की बीजेपी की सराहना

अरुण राजभर के मुताबिक यह चिट्ठी बीजेपी से इतर अन्य दलों की हकीकत उजागर करने के लिए लिखी गई है. उन्होंने बताया कि यह मसले के निस्तारण के लिए रोहिणी कमीशन की रिपोर्ट पर केंद्र सरकार पहले से विचार कर रही है. यह रिपोर्ट पिछले साल ही केंद्र सरकार को सौंपी गई थी. इस रिपोर्ट में माना गया है कि ओबीसी कैटेगरी में आने वाली 2000 से अधिक जातियों को उनके हिस्से का आरक्षण नहीं मिल रहा है. अरुण राजभर ने दोहराते हुए कहा कि उन्हें बीजेपी की नीति और नीयत पर पूरा भरोसा है. उन्हें उम्मीद है कि चाहे ओबीसी आयोग बनाने का मुद्दा हो या जातिगत जनगणना, बीजेपी ने हमेशा ही पॉजिटिव रूख दिखाया है.