NDA में हो नेशनल कोआर्डिनेटर, संजय निषाद ने क्यों दी ऐसी सलाह? बोले- कांशीराम मुलायम की राह चलेगी पार्टी
तालकटोरा अधिवेशन के बाद डॉ. संजय निषाद यूपी की राजनीति में सुर्खियों में हैं. अब उन्होंने दावा किया है कि वह निषाद पार्टी को कांशीराम और मुलायम सिंह के रास्ते पर ले चलेंगे. विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि निषाद पार्टी को खत्म करने की साज़िश रची जा रही है. इसी क्रम में बाराबंकी की घटना को लेकर उन्होंने एनडीए में राष्ट्रीय समन्वयक की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया.
दिल्ली की तालकटोरा स्टेडियम में निषाद पार्टी के अधिवेशन के बाद से ही यूपी की राजनीति में डॉ. संजय निषाद सुर्खियों में हैं. उन्होंने कहा कि इस अधिवेशन में उन्होंने पूरा माहौल ही बदल दिया. अब उनकी पार्टी कांशीराम और मुलायम सिंह के रास्ते चलेगी. संजय निषाद ने कहा कि दूसरी पार्टी से इंपोर्टेड नेता विपक्ष से उनकी सुपारी लेकर आए हैं. वो हर जिले में निषाद पार्टी को खत्म करने के लिए नकली निषाद नेता खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. वह विभीषणों को इनाम भी दे रहे हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
डॉ. निषाद टीवी 9 भारतवर्ष से विशेष बातचीत कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने केंद्र और प्रदेश में सत्तारुढ एनडीए गठबंधन में मतभेदों को लेकर भी बात की. कहा कि इन मतभेदों को खत्म करने के लिए एनडीए में एक नेशनल कोआर्डिनेटर की आवश्यकता है. उन्होंने बाराबंकी की घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि विपक्ष ने एक गलतफहमी पैदा कर झगड़ा लगाने की कोशिश की है. इसमें ओमप्रकाश राजभर के ख़िलाफ एक षड्यंत्र रचा गया है. कोशिश हुई है कि उन्हें एबीवीपी के ख़िलाफ कर दिया जाए. लेकिन ओमप्रकाश और वह खुद विद्यार्थी परिषद को परिवार मानते हैं.
उन्होंने कहा कि इस घटना को लेकर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ तो कार्रवाई हो ही रही है, इस घटना को लेकर बने माहौल को देखते हुए अब एनडीए में एक नेशनल कोआर्डिनेटर की जरूरत भी महसूस होने लगी है. इस तरह की गलतफहमी और इस तरह के नाजुक मुद्दों को समय रहते सुलझाने के लिए यह बहुत जरूरी है. विपक्ष तो झगड़ा लगाता ही रहेगा लेकिन ऐसे रोगों को खत्म करने के लिए एक डायगोनोस्टिक सेंटर होना ही चाहिए.
निषाद पार्टी को खत्म करने की सुपारी
डॉ. निषाद ने दूसरी पार्टी से आए नेताओं पर निशाना साधा कहा. कहा कि विपक्ष ने निषाद पार्टी को खत्म कराने की सुपारी ली है. इसकी जिम्मेदारी दूसरे दलों से आए नेताओं को दी गई है. वह हर जिले में नकली निषाद नेता खड़े कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूपी के 250 सीटों पर निषाद नतीजे तय करते हैं. विपक्ष को हमसे समस्या तो होगी ही. लेकिन अब वह पार्टी को कांशीराम और मुलायम सिंह के रास्ते पर लेकर चलेंगे. जैसे बसपा से लड़ने वाला ही असली दलित और सपा से लड़ने वाला ही असली यादव होता है, ठीक वैसे ही निषाद पार्टी से लड़ने वाला ही असली निषाद होगा.
निषादवा से हुए निषादराज
डॉ. संजय निषाद ने कहा कि देश को आज़ाद कराने वाले निषाद समाज को वहले लोग रे-टे बोलते थे, निषादवा कहते थे. अब उन्हीं लोगों को जय निषादराज कहना पड़ रहा है. जिस निषाद समाज को अंग्रेज मार्शल कौम मानती थी और उस पर जुल्म करती थी, उनसे चार गुणा ज़्यादा जुल्म निषाद समाज पर कांग्रेस और सपा बसपा ने किया है. कांग्रेस से ज़्यादा खून तो सपा बसपा ने चूसा है. निषाद समाज को पव्वा पिलाकर झव्वा भर वोट लेते थे. लेकिन अब निषाद समाज पव्वा नही पॉवर चाहता है.
ओमप्रकाश-निषाद की जोड़ी से छूट रहा पसीना
डॉक्टर संजय निषाद ने कहा कि तालकटोरा अधिवेशन के बाद से डॉक्टर संजय और ओमप्रकाश राजभर के बीच दो भाईयों वाला संबंध और प्रगाढ़ हो गया है. कहा कि सियासत में हम दोनों भाई कई लोगों के आंख की किरकिरी बने हुए हैं. दोनों मार्शल कौम से हैं और ताल किनारे के रहने वाले हैं. हम घनघोर राष्ट्रवादी हैं और हम दोनों भाईयों को देख कर विपक्ष के पसीने छूटने लगते हैं. वो कहते हैं कि वो हमारा वैल्यू बढ़ाते हैं उनसे मैं यही कहना चाहता हूं कि वो अपना देखें उनके वैल्यू देने या ना देने से हमें कोई फर्क नही पड़ता.हमारी वैल्यू जय निषादराज कहने से बढ़ती है.