ओम प्रकाश राजभर के बयान ने मचाया सियासी बवाल, केशव मौर्य से मुलाकात कर जताई नराजगी
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में मंत्री राजभर की चर्चा बनी हुई है. उनका एबीवीपी के कार्यकर्ताओं पर गुंडा और लाठी चार्ज पर दिया गया बयान तूल पकड़ रहा है. इस विवाद से निपटने के लिए उन्होंने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद से भी मुलाकात की.
उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर तूफान खड़ा हो गया है. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और योगी सरकार में पंचायतीराज मंत्री ओम प्रकाश राजभर का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) कार्यकर्ताओं को “गुंडा” कहने वाला बयान गठबंधन के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है. इस बयान के बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा, जिसके चलते राजभर के सरकारी आवास पर पत्थरबाजी और प्रदर्शन की घटनाएं हुईं. इस विवाद को शांत करने के लिए राजभर ने गुरुवार को उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की, लेकिन सियासी हलचल थमने का नाम नहीं ले रही.
क्या है विवाद की जड़?
विवाद की शुरुआत बाराबंकी के श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी में हुई, जहां एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने एलएलबी कोर्स की मान्यता, अवैध फीस वसूली और दो छात्रों के निष्कासन के खिलाफ प्रदर्शन किया था. इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें कई कार्यकर्ता घायल हो गए. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कदम उठाए. उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक ने घायल कार्यकर्ताओं से अस्पताल में मुलाकात कर घटना की निंदा की.
इसी बीच, ओम प्रकाश राजभर ने एक बयान में कहा, “लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखना पुलिस का काम है. अगर आप गुंडागर्दी करेंगे, तो पुलिस कार्रवाई करेगी. प्यार से मानें तो प्यार से समझाया जाएगा, वरना कानून का डंडा चलेगा.” इस बयान में एबीवीपी कार्यकर्ताओं को “गुंडा” कहने से संगठन में भारी आक्रोश फैल गया. कार्यकर्ताओं ने इसे अपमानजनक बताते हुए राजभर से माफी और उनके इस्तीफे की मांग की.
केशव मौर्य से मुलाकातकर जताई नाराजगी
विवाद के तूल पकड़ते ही राजभर ने गुरुवार को लखनऊ में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के कैंप कार्यालय में उनसे मुलाकात की. इस मुलाकात को दोनों नेताओं ने “शिष्टाचार भेंट” करार दिया, लेकिन सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान ताजा विवाद पर गंभीर चर्चा हुई. राजभर ने अपने आवास पर हुए पत्थरबाजी और प्रदर्शन पर नाराजगी जताई, साथ ही सोशल मीडिया पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं द्वारा अभद्र टिप्पणियों का मुद्दा भी उठाया.
तस्वीरों में केशव मौर्य मुस्कुराते नजर आए, जबकि राजभर का चेहरा गंभीर दिखा, जिससे कयास लगाए जा रहे हैं कि वह मौजूदा माहौल से तनाव में हैं. सूत्रों के अनुसार, राजभर ने अपनी स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की और बीजेपी के साथ गठबंधन की एकजुटता पर जोर दिया. केशव मौर्य ने उन्हें धैर्य रखने का भरोसा दिलाया और आश्वासन दिया कि ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी.
एबीवीपी का प्रदर्शन
राजभर के बयान के बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं का गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा. 3 सितंबर देर रात लखनऊ में उनके सरकारी आवास के बाहर सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया, पुतला फूंका और नारेबाजी की. इस दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की और पत्थरबाजी की घटनाएं भी हुईं. कुछ कार्यकर्ता इतने आक्रोशित थे कि वे राजभर के आवास परिसर में कूद गए और नारे लगाए. पुलिस ने उन्हें बाहर निकाला, लेकिन इस दौरान कई कार्यकर्ताओं और पुलिसकर्मियों को चोटें आईं.
एबीवीपी के छात्र नेता शिवम पाण्डेय ने कहा, “मंत्री राजभर का बयान संवेदनहीन और अपमानजनक है. हम मांग करते हैं कि वे सार्वजनिक रूप से माफी मांगें, वरना हम आंदोलन को और तेज करेंगे. राजभर को “दलबदलू नेता” करार देते हुए उनके इस्तीफे की मांग की.
सुभासपा की सफाई
विवाद को बढ़ता देख सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव और राजभर के बेटे अरुण राजभर ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की. उन्होंने कहा, “मंत्री आवास पर कुछ अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी और गाली-गलौज की. यह एक अतिपिछड़े वर्ग के नेता के साथ अस्वीकार्य व्यवहार है. सुभासपा लाठीचार्ज की निंदा करती है, लेकिन अभद्रता बर्दाश्त नहीं की जाएगी.” उन्होंने प्रशासन से उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की.
बीजेपी नेताओं की तल्ख टिप्पणियां
विवाद ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को भी असहज कर दिया है. पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने राजभर को “हल्का व्यक्ति” करार देते हुए उनके बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, “ऐसे हल्के व्यक्ति की बात का जवाब नहीं देते.” यह बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि बृजभूषण बीजेपी के प्रभावशाली नेता हैं.
गठबंधन पर सवाल
यह विवाद बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के बीच तनाव को उजागर करता है. एबीवीपी, जो बीजेपी का छात्र संगठन माना जाता है उसकी नाराजगी आगामी पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक, राजभर ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी फोन पर बात की और अपने आवास पर हुए प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणियों पर नाराजगी जताई. हालांकि, सुभासपा कार्यकर्ता एबीवीपी के खिलाफ कार्रवाई न होने से नाराज हैं.