छह दिन बीत गया ‘अदरा’, फिर भी नहीं बरसे बदरा; UP में कब बुझेगी माटी की प्यास?

उत्तर प्रदेश में अदरा नक्षत्र के छह दिन बीत जाने के बावजूद पर्याप्त बारिश नहीं हुई है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है. अदरा नक्षत्र में बारिश की कमी से फसल उत्पादन प्रभावित हो सकता है. ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार, आने वाले दिनों में बारिश की संभावना है, लेकिन गुरु-राहु चांडाल योग और अंगारक योग जैसे ग्रहों के संयोग चिंता का कारण हैं. पशुओं में महामारी फैलने का भी खतरा है.

अदरा नक्षत्र

खेती किसानी के लिए अदरा नक्षण काफी अहम होता है. मान्यता है कि अदरा नक्षत्र में बारिश होती है तो फसल अच्छी होती है. यही वजह है उत्तर भारत खासतौर पर उत्तर प्रदेश में अदरा नक्षत्र चढने पर घरों में जश्न मनाया जाता है. लोग खीर पूड़ी आदि पाकवान बनाकर भगवान सूर्य की पूजा करते है और अदरा नक्षत्र की पहली बारिश के साथ धान की बुवाई और रोपनी का काम शुरू हो जाता है. इस बार अदरा नक्षत्र ने किसानों को निराश कर दिया है.

आज छह दिन हो गए भगवान सूर्य के अदरा में गोचर करते, लेकिन अब तक बारिश नहीं हुई है. इसकी वजह से किसान सशंकित हैं. उन्हें महाकवि घाघ की वो कविता याद आने लगी है, जिसमें वह कहते हैं कि ‘ आवत आदर ना दियो जात ना दिनो हस्त…’. इस बार भगवान सूर्य का अदरा नक्षत्र में गोचर आषाढ़ कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि यानी 22 जून की सुबह करीब छह बजे गोचर किए हैं. इस नक्षत्र में वह छह जुलाई तक रहेंगे.

पहले चरण में बहुत कम हुई बारिश

ज्योतिष शास्त्रियों के मुताबिक अदरा नक्षत्र के देवता रुद्र हैं और स्वामी राहु हैं. इस नक्षत्र का स्वभाव स्त्रियों जैसे होता है. माना जाता है कि इस नक्षत्र के पहले चरण में यानी सूर्य के प्रवेश करते ही धरती ‘रजस्वला’ हो जाती है. इस चरण में खेतों की जुताई तो नहीं होती, लेकिन बारिश से धरती नरम हो जाती है. यह पहला चरण 22 जून से 25 जून तक था.चूंकि पहले चरण में बारिश नहीं हुई है, या बहुत कम हुई है. इसलिए किसान दूसरे चरण में बारिश की बाट जोह रहे हैं.

कब होगी अदरा की बारिश

ज्योतिषीय गणनाओं के मुताबिक इस साल भगवान सूर्य का अदरा नक्षत्र में प्रवेश जल राशि के लग्न में हुआ है. ज्योतिष विज्ञानी इसे किसानों के लिए शुभ बता रहे हैं. माना जा रहा है कि अदरा के दूसरे और तीसरे चरण में अच्छी हो सकती है. इससे धरती की प्यास बुझ जाएगी. वहीं चौथे चरण में होने वाली बारिश में फसल की बुवाई का काम रफ्तार पकड़ लेगा. लेकिन चूंकि द्वादशी तिथि में सूर्य के अदरा में गोचर को विद्वान शुभ नहीं मान रहे. उनका कहना है कि इस परिस्थिति में पशु-पालकों को नुकसान हो सकता है. आशंका है कि पशुओं में महामारी फैल सकती है.

क्या है ग्रहों के योग का संकेत?

सूर्य के राहु के नक्षत्र में होने और देवगुरु वृहस्पति के अस्त होने की वजह से गुरु-राहु का चांडाल योग की स्थिति बन गई है. यह स्थिति मिथुन राशि में सक्रिय है. दूसरी ओर सिंह राशि में मंगल और केतु की युति की वजह से अंगारक योग देखने को मिल रहा है. इन दो योगों का प्रभाव भी साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. यही वजह है कि धरती पर भीषण गर्मी, दुर्घटना, महामारी जैसी स्थिति बन रही है. वहीं भूकंप और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं के भी संकेत मिल रहे हैं.