भवन बनाने के लिए कौन सी NOC होती है जरूरी? धन्नीपुर मस्जिद का नक्शा रिजेक्ट होने से उठ रहे सवाल
अयोध्या के धन्नीपुर में प्रस्तावित मस्जिद के नक्शे को खारिज कर दिया गया है. इसके बाद भवन निर्माण के लिए NOC की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं. इस लेख में बताया गया है कि भवन निर्माण से पहले NOC प्राप्त करना क्यों आवश्यक है और इन NOCs में क्या-क्या शामिल होता है?

श्रीराम जन्मभूमि के बदले अयोध्या के धन्नीपुर में आवंटित जमीन पर प्रस्तावित मस्जिद का नक्शा अयोध्या विकास प्राधिकरण ने खारिज कर दिया है. इसके पीछे तर्क दिया गया है कि मुस्लिम पक्ष ने जरूरी एनओसी जमा नहीं कराया. अब सवाल उठ रहा है कि ऐसी कौन सी और कितनी एनओसी है, जिसके ना होने की वजह से इस बहुचर्चित मस्जिद, जिसपर पूरे देश की निकाहें टिकी हैं, उसका नक्शा तक खारिज कर दिया गया. चूंकि प्रसंग मौजू हैं, इसलिए यहां आपको बता रहे हैं कि किसी भी भवन के निर्माण के लिए कौन कौन सी एनओसी चाहिए होती है और यह एनओसी क्यों जरूरी है?
सबसे पहले NOC राजस्व विभाग से लेनी होती है
आर्किटेक्ट आरके विश्वकर्मा कहते हैं कि यदि आम आदमी की सुरक्षा को प्राथमिकता दिया जाए तो यह एनओसी बहुत जरूरी होती हैं. इसमें बिल्डिंग की सुरक्षा के मानकों को पूरा करना होता है. इसके बाद संबंधित विभाग उसकी जांच करता है और फिर सबकुछ ठीक होने पर एनओसी जारी करता है. सबसे पहले एनओसी राजस्व विभाग से लेनी होती है. इसमें राजस्व विभाग देखता है कि जिस जमीन पर इस बिल्डिंग का निर्माण होने वाला है, उसका मालिकाना हक किसके पास है. इसमें खासतौर पर देखा जाता है कि यह जमीन कहीं नजूल भूमि या शत्रु संपत्ति तो नहीं है.
इसके बाद उस बिल्डिंग तक पहुंचने के लिए यातायात व्यवस्था की एनओसी पीडब्ल्यूडी विभाग देता है. इसमें देखा जाता है कि प्रस्तावित बिल्डिंग तक आने जाने के लिए समुचित रास्ता है कि नहीं, खासतौर पर एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड की गाड़ी जा सकती है कि नहीं. पीडल्यूडी ही बिल्डिंग की ऊंचाई के हिसाब से उसकी मजबूती का भी आंकलन करती है. फिर तय करती है कि बिल्डिंग की ऊंचाई अधिकतम कितनी है और सुरक्षा के लिए इसमें क्या मानक इस्तेमाल हो रहे हैं?
इसके बाद उद्यान विभाग और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की एनओसी आती है. यह दोनों विभाग देखते हैं कि जिस बिल्डिंग का निर्माण होने वाला है, वह कहीं ऐसी जमीन पर तो नहीं, जहां जल भराव होता हो. इसके अलावा यहा भी देखा जाता है कि इस बिल्डिंग के बनने से पर्यावरण को तो कोई नुकसान नहीं होगा. इसी के साथ बिल्डिंग के प्रस्तावित नक्शे में ग्रीनरी के लिए कितनी जगह है, यह भी देखने का काम उद्यान विभाग और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड का होता है.
सबसे महत्वपूर्ण एनओसी फायर ब्रिगेड की होती है
आर्किटेक्ट आरके विश्वकर्मा के मुताबिक इन चार विभागों की एनओसी मिलने के बाद पांचवीं और सबसे महत्वपूर्ण एनओसी फायर ब्रिगेड की होती है. फायर ब्रिगेड बिल्डिंग के प्रस्तावित नक्शे में संभावित आग से बचाव के उपायों की समीक्षा करता है. इसमें खासतौर पर बिल्डिंग में पानी का टैंक कहां है, बिल्डिंग के हर कोने तक पानी पहंचाने के लिए पाइपिंग का सिस्टम क्या है, फायर ब्रिगेड की गाड़ी को बिल्डिंग तक पहुंचने का रास्ता क्या है, इसके अलावा बिल्डिंग की ऊंचाई कितनी हैं और उस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए फायर ब्रिगेड के पास संसाधन हैं कि नहीं, यदि नहीं हैं तो बिल्डिंग मालिक द्वारा अपने स्तर पर क्या इंतजाम किए गए हैं? इन सभी कसौटियों पर कसने के बाद फायर ब्रिगेड एनओसी देता है.
छठीं नगर निकाय और 7वीं NOC बिजली विभाग से
इसके बाद छठीं एनओसी संबंधित नगर निकाय की लेनी होती है. इसमें नगर निगम का प्लानिंग विभाग देखता है कि बिल्डिंग कामर्शियल है कि पर्सनल, इसके अलावा बिल्डिंग में एक समय में अधिकतम कितने लोग आ सकते हैं? यह देखने के बाद यह विभाग देखता है कि जिस स्थान पर यह बिल्डिंग बनने वाली है, वहां इतने लोगों के लिए जरूरी सीवर और पानी के क्या इंतजाम हैं. यदि नगर निकाय द्वारा पहले से उस स्थान पर यह इंतजाम नहीं किए गए हैं तो बिल्डिंग मालिक द्वारा अपने नक्शे में इसका क्या समाधान दिया है. इस जांच के बाद नगर निकाय एनओसी देता है.
फिर आखिर सातवीं एनओसी बिजली निगम की लेनी होती है. इसमें बिजली निगम इस बिल्डिंग में बिजली के संभावित उपभोग और बिल्डिंग के नक्शे में किए गए प्रावधानों के आधार पर आंकलन करता है. फिर अपने संसाधनों की स्थिति देखने के बाद एनओसी देता है.
इन भवनों के लिए जरूरी नहीं एनओसी
उत्तर प्रदेश में यदि भवन का एरिया 1000 वर्ग फीट से कम है तो उसे ना तो एनओसी की जरूरत है और ना ही नक्शा पास कराने की जरूरत है. भले ही वह भवन व्यावसायिक हो. लेकिन यही भवन यदि 15 मीटर से ऊंची बनने वाली हो तो उसके लिए नक्शा जरूरी हो जाता है. फिर नक्शा पास कराने के लिए विभिन्न विभागों से एनओसी लेना जरूरी हो जाता है.