मजदूर की बेटी को मिलेगा PM बाल पुरस्कार, जापान में लहराया था परचम
बाराबंकी के छोटे से गांव से निकली 8वीं की छात्रा और बाल वैज्ञानिक पूजा पाल को प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. यह पुरस्कार उन्हें धूल-रहित थ्रेसर के इनोवेशन के लिए दिया जाएगा. बता दें कि पूजा पाल अपनी प्रतिभा का परचम अंतराष्ट्रीय मंचों पर भी लहरा चुकी हैं.
बाराबंकी की अगेहरा गांव की रहने वाली बाल वैज्ञानिक पूजा पाल को प्रधानमंत्री बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. किसानों के लिए धूल-रहित थ्रेसर का मॉडल विकसित करने वाली पूजा को यह सम्मान 26 दिसंबर को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में दिया जाएगा.
पूजा पाल आज जिले और प्रदेश के लिए एक गौरव बन चुकी है. बाराबंकी के छोटे से गांव से निकली पूजा पाल ने अपनी प्रतिभा का परचम अंतराष्ट्रीय मंच पर भी लहराया. उनके इस धूल-रहित थ्रेसर के नवाचार से किसानों को फसल मड़ाई के दौरान उड़ने वाली धूल से राहत मिलती है. इससे किसानों को सांस संबंधी बीमारियां होने का खतरा काफी कम हो जाता है.
पूजा पाल की उपलब्धी से बारबंकी में खुशी की लहर
जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने बताया कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद तहसील सिरौलीगौसपुर के ग्राम अगेहरा निवासी पूजा पाल को यह सम्मान दिया जाएगा. पूजा की इस उपलब्धि से न केवल बाराबंकी बल्कि पूरे प्रदेश में खुशी की लहर है.
किसानों को सांस संबंधी समस्याओं से बचाएगा उनका इनोवेशन
आठवीं कक्षा की छात्रा पूजा पाल उस समय चर्चा में आईं, जब उन्होंने किसानों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए धूल-रहित थ्रेसर का मॉडल तैयार किया. यह थ्रेसर फसल की मड़ाई के दौरान उत्पन्न होने वाली धूल को नियंत्रित करता है और किसानों को सांस संबंधी समस्याओं से बचाने में मदद करता है.
जापान में भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मिला अवसर
पूजा पाल ने कक्षा सात में पढ़ाई के दौरान राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में अपने धूल-रहित थ्रेसर मॉडल को प्रस्तुत किया था. उनके इस मॉडल को केंद्र सरकार और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने उपयोगी और प्रभावी माना था. अपने इस मॉडल के चलते पूजा को जापान सहित अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिला खा.
पूजा पाल को पहले भी मिल चुके हैं सम्मान
पूजा पाल को इससे पहले राज्य सरकार की तरफ से भी बाल वैज्ञानिक के रूप में एक लाख रुपये की सम्मान राशि दी जा चुकी है. बता दें कि पूजा के पिता पुत्तीलाल मजदूरी करते हैं, जबकि मां सुनीला देवी एक सरकारी स्कूल में रसोइया हैं. पूजा तीन बहनों और दो भाइयों के साथ रहती हैं. उनके परिवार का जीवन बेहद सीमित संसाधनों में चलता रहा है और वे लंबे समय तक छप्परनुमा मकान में रहे. लेकिन अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत परिवार को पक्का मकान स्वीकृत हो चुका है.
पूजा पाल को मिशन शक्ति का रोल मॉडल भी बनाया गया
प्रशासन ने पूजा पाल को जिले में मिशन शक्ति का रोल मॉडल भी बनाया है. पूजा का कहना है कि “मेहनत, लगन और सही दिशा में सोच हो तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता.”आज पूजा पाल की सफलता प्रदेश की बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं. उनकी कहानी यह साबित करती है कि प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती.
