डीएम के दावे हैं झूठे, हमारे नाम नहीं थे लिस्ट में… दो वोटरों ने अखिलेश यादव की बात को सही ठहराया
उत्तर प्रदेश विधानसभा 2022 के चुनावों में बाराबंकी में मतदाता सूची से नाम कटने के अखिलेश यादव के दावों को स्थानीय मतदाताओं ने सही ठहराया है. नसरीन बानो और मोहम्मद फुरकान ने दावा किया कि उनके नाम 2022 की सूची में नहीं थे, जबकि पहले सभी चुनावों में मतदान किया था. जिलाधिकारी के दावों के विपरीत, मतदाताओं ने वोट न डाल पाने की बात कही है. उन्होंने कहा कि हमारा लिस्ट में नाम नहीं था.

उत्तर प्रदेश में बारबंकी में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के वोट चोरी को लेकर किए जा रहे दावों को बाराबंकी के उन मतदाताओं ने मजबूती दी है जो 2022 के विधानसभा चुनाव में मतदाता सूची से नाम काटने के चलते वोट नहीं डाल सके. उनका कहना है कि 2022 से पहले सभी चुनाव में वह मतदान करते आए हैं, लेकिन 2022 की मतदाता सूची में उनके नाम नहीं थे जिसके चलते वह अपना वोट नहीं डाल सके.
दरअसल, बीते दिनों अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर आरोप लगाया था कि 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी पार्टी ने मतदाता सूची से नाम हटाए जाने के खिलाफ शपथपत्र जमा किए थे. उन्होंने बाराबंकी की कुर्सी विधानसभा सीट के भी दो मतदाताओं का जिक्र किया. सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार ने इन शपथपत्रों में से किसी एक का भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया. इसके बाद बाराबंकी के जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने अखिलेश यादव के दावों पर पलटवार करते हुए उसे फर्जी बताया था. उन्होंने कहा कि दोनों मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में शामिल हैं और किसी के नाम नहीं काटे गए हैं.
वोटर्स ने डीएम के वादे को बताया गलत
वहीं अब दो मतदाता जिनका जिक्र अखिलेश यादव ने किया था, वह खुद सामने आकर बाराबंकी के जिलाधिकारी के दावों को ही झूठ बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव की बात एकदम सही है. नसरीन बानो और मोहम्मद फुरकान के नाम 2022 की मतदाता सूची में शामिल नहीं थे. इसकी वजह से दोनों वोटिंग नहीं कर सके थे. जबकि 2022 से पहले सभी चुनाव में उनके नाम मतदाता सूची में शामिल रहते थे और वह मतदान भी करते थे.
फुरकान के बड़े भाई मोहम्मद इमरान ने बताया कि मेरे पिता के गुजरने के बाद मां की वलदियत में मेरे बहनोई मोहम्मद साजिद का नाम डाल दिया गया. जबकि मेरे भाई फुरकान की वलदियत में बहन शहनाज बानो का नाम डाल दिया गया. इसकी वजह से इन दोनों के नाम मतदाता सूची में नहीं आ सके. गांव के दूसरे लोगों ने भी आरोप लगाया कि अखिलेश यादव की बात एकदम सही है. उन्होंने कहा कि आज तक गांव में कोई भी जांच करने नहीं आया कि आखिर मतदाताओं के नाम क्यों काटे गए?