क्या बलिया आने को तैयार नहीं बॉलीवुड कलाकार? पहले से बड़ा हुआ ददरी मेला; फिर भी घट गई रौनक
बलिया के ददरी मेले को वैसे तो उत्तर भारत का दूसरा सबसे बड़ा मेला कहा जाता है, लेकिन इस साल यह मेला अपनी रौनक खो चुका है. मेला क्षेत्र बढ़ने के बावजूद बॉलीवुड और अन्य कलाकारों की अनुपस्थिति, साथ ही लंपी वायरस के डर से पशु मेले का न लगना इसकी प्रमुख वजहें हैं. मेले की शान भारतेंदु मंच पांच दिनों से सूना पड़ा है.
बिहार में सोनपुर के बाद उत्तर भारत का दूसरे सबसे बड़े ददरी मेले में इस बार कुछ खास रौनक नहीं है. यह स्थिति उस समय है जब यह मेला पहले से काफी बड़ा हुआ है. मेला शुरू हुए पांच दिन बीत चुके हैं. मेले का मुख्य आकर्षण कहा जाने वाला मीना बाजार और लकड़ी बाजार भी सज गया. कपड़ा बाजार में भी सैकड़ों व्यापारी पहुंच चुके हैं. झूले हैं, खाने पीने की दुकानें हैं, फिर भी इस बार का मेला कुछ उजड़ा उजड़ा सा नजर आ रहा है.
TV9 भारतवर्ष की टीम ने मेले में पहुंचकर हालात का जायजा लिया. अयोजकों से भी बात की. स्थानीय लोगों के मुताबिक लंबे समय से ददरी मेला मुश्किल से डेढ़ वर्ग किमी में लगता रहा है, लेकिन इस बार मेले का एरिया करीब डेढ़ गुना कर दिया गया है. पहले यहां दुकानें भी मुश्किल से 600 से 700 के आसपास लगती थीं, लेकिन इस बार दुकानों की संख्या भी बढ़ाकर 1200 कर दी गई हैं. फिर भी मेले में रौनक ना होने की वजह मेले में सजने वाले भारतेंदु मंच पर सन्नाटा और पशु मेला है.

इस बार नहीं लगा पशु मेला
ददरी मेले में इस बार करोड़ों का बिजनेस देने वाला पशु मेला नहीं लगा है. लंफी वायरल की खौफ की वजह से प्रशासन ने पशु मेले को अनुमति ही नहीं दी. जबकि हर साल यहां लगने वाले पशु मेले में डेढ़ सौ से दो सौ करोड़ का कारोबार होता था. इस मेले में दक्षिण भारत की छोटी गायों से लेकर गुजरात की गिर और हरियाणा की साहीवाल गाय रौनक हुआ करती थीं. इसी प्रकार मुर्रा नश्ल की भैंसों से लेकर भेंड-बकरियों का भी बड़ा कारोबार होता था. इस पशु मेले से सरकार को राजस्व भी सबसे ज्यादा आता था.

भारतेंदु मंच पर क्यों पसरा सन्नाटा?
सांस्कृतिक कार्यक्रमों को समर्पित भारतेंदु मंच को ददरी मेले की शान कहा जाता है. परंपरा के मुताबिक इस मंच पर हर साल देश के जाने मानें कवि आते रहे हैं. बॉलीवुड कलाकारों से लेकर भोजपुरी कलाकारों तक का जमावड़ा होता रहा है. लेकिन इस बार मेला शुरू होने के पांच दिन बाद भी ऐसी कोई सरगर्मी नजर नहीं आ रही. स्थानीय लोगों के मुताबिक बीते 40 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब ददरी मेले का यह सबसे महत्वपूर्ण पंडाल सूना पड़ा है. लोगों ने इसके लिए जिले के अधिकारियों की लापरवाही और जिले के राजनीतिक दलों की बेरूखी को जिम्मेदार बताया है.
प्रशासन ने किया मेले का आयोजन
अब तक ददरी मेले का आयोजन नगर पालिका द्वारा किया जाता रहा है. हर बार मेले के आखिर में भ्रष्टाचार और घोटाले के आरोप भी लगते रहे हैं. हालात को देखते हुए इस बार जिला प्रशासन ने मेले की कमान अपने हाथ में ले ली. हालांकि इसको लेकर नगर पालिका चेयरमैन ने काफी हंगामा भी किया था. जिला प्रशासन का दावा है कि परंपरा के मुताबिक मेले का आयोजन किया गया. इसी क्रम में भारतेंदु मंच को सजाने की भी कोशिश की गई, लेकिन बॉलीवुड कलाकारों को टोकन मनी जाने में देरी की वजह से अब तक किसी कलाकार का नाम घोषित नहीं किया जा सका. डीएम मंगला प्रसाद सिंह के मुताबिक कलाकारों से बात हो गई है. जल्द ही लिस्ट फाइनल हो जाएगी.
मेले में अभी क्या है?
ददरी मेले को लेकर लोगों में हमेशा से काफी उत्सुकता रही है. इस बार भी है. लोग मेले से लौटकर जाने वालों से पूछ रहे हैं कि इस बार क्या नया है. लोगों की इस सुविधा को देखते हुए टीवी9 भारतवर्ष ने पूरे मेले का भ्रमण किया है. हमेशा की तरह मेले में इस बार मीना बाजार अपने भव्य रूप से सजा है. लकड़ी बाजार में कुर्सी चारपायी से लेकर बेड सोफा तक हर आइटम मौजूद है. लोहा बाजार में थोड़ी रौनक कम है, लेकिन कपड़ा बाजार में खादी से लेकर सिल्क तक एक से बढ़कर एक कपड़े देखने को मिल जाएंगे. बाजार में खाने पीने और मौज मस्ती के भी पूरे इंतजाम हैं.
