SIR में नाम कट जाएगा… इस डर से बहन ने साइन किए कागज, भाई ने अपने नाम करा लिया दुकान और घर

फिरोजाबाद में भाई ने मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) के बहाने अपनी बहन सरताज खानम की संपत्ति धोखे से हड़प ली. गुरुग्राम में सिलाई कर सरताज ने मकान-दुकान खरीदी थी, जिसे उसके भाई आजाद ने बैनामा कराकर अपने नाम करवा लिया. पीड़ित अब न्याय और संपत्ति वापस पाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है. ये मामला पारिवारिक विश्वासघात और संपत्ति धोखाधड़ी का चौंकाने वाला उदाहरण है.

यूपी मतदाता सूची से कट सकते हैं 3 करोड़ नाम ( प्रतीकात्मक तस्वीर)

फिरोजाबाद से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां विधानसभा मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) के नाम पर एक महिला के साथ बड़ा धोखाधड़ी का खेल खेला गया. हैरानी की बात ये है कि इस फर्जीवाड़े के पीछे किसी बाहरी व्यक्ति का नहीं, बल्कि पीड़ित महिला के अपने सगे भाई का हाथ निकला.

महिला को ये जानकर गहरा आघात लगा कि जिस भाई पर वह सबसे ज्यादा भरोसा करती थीं, उसी ने उसकी मेहनत की कमाई से खरीदी गई संपत्ति हड़पने की साजिश रची.

पीड़िता सरताज खानम गुरुग्राम में रहकर सिलाई का काम करती हैं. कई वर्षों की मेहनत से उन्होंने रसूलपुर थाना क्षेत्र के नालबंद चौराहा के पास एक मकान और दुकान खरीदी थी. लेकिन कुछ समय पहले उनके भाई आज़ाद ने फोन कर उन्हें बताया कि SIR यानी मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण का फॉर्म न भरने पर उनकी संपत्ति से जुड़े सभी कागज़ात निरस्त हो सकते हैं. ये सुनकर सरताज घबरा गईं क्योंकि उन्हें इस प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं थी. इसी बात का फायदा उठाते हुए आज़ाद ने उन्हें फिरोजाबाद बुला लिया.

SIR के बहाने धोखा

फिरोजाबाद पहुंचते ही सरताज को उनका भाई सीधे रजिस्ट्री कार्यालय ले गया. वहां उसने उनसे कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करवाए, ये कहते हुए कि ये सब SIR से जुड़े औपचारिक कागज़ात हैं. अपने भाई पर भरोसा करते हुए सरताज ने बिना शक किए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए. लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि जिन कागज़ों पर उन्होंने हस्ताक्षर किए, वे मतदाता सूची से संबंधित फॉर्म नहीं थे, बल्कि उनके मकान और दुकान का बैनामा था. इन दस्तावेजों के आधार पर पूरी संपत्ति आज़ाद के नाम चढ़ा दी गई थी.

शिकायत और कानूनी लड़ाई

जब सच सामने आया, तो सरताज के पैरों तले जमीन खिसक गई. उन्होंने तुरंत एसएसपी कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई और सख्त कार्रवाई की मांग की. साथ ही रजिस्ट्री को निरस्त कराने के लिए उन्होंने अदालत में वाद भी दायर किया है. सरताज का कहना है कि उन्होंने वर्षों की मेहनत से जो संपत्ति खरीदी थी, उसे उनके अपने ही भाई ने धोखे से उनसे छीन लिया. अब वह न्याय की उम्मीद में अदालत का दरवाजा खटखटा रही हैं और चाहती हैं कि उन्हें उनका हक वापस मिले.