
त्याग, तपस्या और प्रेम… दिव्यांग पति के लिए 200KM पैदल ही निकल पड़ी पत्नी
ये कहानी है उस प्रेम की, जिसमें ना शिकायत है, ना सीमा. ये कहानी है उस आस्था की, जो शरीर नहीं, आत्मा से चलती है. ये सिर्फ एक कांवड़ यात्रा नहीं. ये त्याग है, समर्पण है और प्रेम की वो मिसाल है, जिसे देख कर हर आंखें नम हो गई. गाजियाबाद की आशा देवी एक साधारण महिला नहीं, बल्कि वो शक्ति हैं, जो अपने दिव्यांग पति को पीठ पर बिठाकर 200 किलोमीटर की कठिन कांवड़ यात्रा पर निकल पड़ी हैं.
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