37 साल बाद भी कोई तोड़ नहीं पाया गोरखपुर के इस बॉलर का वर्ल्ड रिकॉर्ड
गोरखपुर से ताल्लूक रखने वाले लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी ने अपने डेब्यू टेस्ट में दोनों पारियों को मिलाकर कुल 16 विकेट झटक डाले थे. इसके लिए उन्होंने 136 रन खर्चे थे. उनका यह प्रदर्शन अब तक वर्ल्ड रिकॉर्ड है. पिछले 37 सालों में यह रिकॉर्ड कोई तोड़ नहीं पाया है.
साल 1988, तारीख 11 जनवरी, जगह चेन्नई, मौका भारत-वेस्टइंडीज टेस्ट सीरीज का चौथा मैच. गोल-मटोल शरीर और आंखों पर चश्मा लगाए मैदान पर उतरा एक 19 साल का नौजवान.. पहले के 3 मुकाबले गंवा चुकी भारत के लिए नरेंद्र हिरवानी नाम के इस युवा ने लेग स्पिनर उस मैच में वेस्टइंडीज की बैटिंग लाइनअप को ऐसा तहस-नहस किया कि उसकी दास्तान आज भी उस समय के क्रिकेट फैन्स सुनाते रहते हैं.
वेस्टइंडीज उस समय विश्व चैंपियन मानी जाती थी. उस टीम में विवियन रिचर्ड्स, डेसमंड हेन्स, रिचि रिचर्डसन जैसे दिग्गज थे. ये ऐसे बल्लेबाज थे जो किसी भी गेंदबाज की बखिया उधेड़ सकते थे. इन्हें देखकर बॉलिंग लाइनअप पर जाते हुए नरेंद्र हिरवानी जरूर सहमे होंगे. उन्हें भी अंदाजा नहीं होगा कि टेस्ट डेब्यू में वह ऐसा रिकॉर्ड बना देंगे, जो 37 साल बाद भी नहीं टूट पाएगा.
136 रन देकर झटक डाले थे 16 विकेट
नरेंद्र हिरवानी ने उस मैच में ऐसी चमक बिखेरी की दोनों पारियों को मिलाकर उन्होंने 16 विकेट झटक डाले थे. हिरवानी ने पहली पारी में 8 विकेट झटके. फिर दूसरी में भी 8 विकेट. इसके लिए उन्होंने 33.5 ओवरों में कुल 136 रन खर्चे. यह टेस्ट डेब्यू में अबतक का ‘बेस्ट फिगर’ का वर्ल्ड रिकॉर्ड है. उनके अलावा ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज बॉब मैसी ही 137 रन खर्च कर अपने डेब्यू मैच में 16 विकेट झटक पाए हैं.
गोरखपुर से नरेंद्र हिरवानी का था ताल्लूक
बेहद कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी नरेंद्र हिरवानी ने अपना छात्र जीवन गोरखपुर में बिताया है. सरस्वती विद्या मंदिर से उन्होंने स्कूली शिक्षा की शुरुआत की थी. फिर गोरखपुर के ही एमपी इंटर कॉलेज से होते हुए वीर बहादुर सिंह स्पोर्ट्स कॉलेज में दाखिला लिया. उन्हें बचपन से ही क्रिकेट से लगाव था. इस दौरान पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने क्रिकेट में भी जलवा दिखाना शुरू किया.
संजय जगदाले का मिला मार्गदर्शन
नरेंद्र हिरवानी के पिता दीपचंद हिरवानी ईट भट्टा के कारोबारी थे. बेटे की क्रिकेट से लगाव को देखते हुए उन्होंने नरेंद्र हिरवानी को इंदौर भेज दिया. यहां उन्होंने संजय जगदाले के मार्गदर्शन अपने खूब मेहनत की. 16 साल की उम्र में मध्य प्रदेश की रणजी टीम में मौका मिला. फिर 11 जनवरी 1988 को वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट मैच में उन्हें डेब्यू करने का मौका मिला. उसके बाद हिरवानी जो कारनामा किया, उसमे क्रिकेट इतिहास में उनके नाम को अमर कर दिया.

अपना प्रदर्शन बरकरार नहीं रख पाए नरेंद्र हिरवानी
क्रिकेट से मिलने वाली प्रसिद्धी जितनी खूबसूरत महसूस होती है, उतनी बेरहम भी है. पहले 4 टेस्ट में अपने फिरकी से 36 बल्लेबाजों का शिकार किया. लेकिन अगले 9 टेस्ट मैच में सिर्फ 21 विकेट मिले. इसमें से ज्यादातर मुकाबले विदेशों में थे. धीरे-धीरे उनकी चमक कम होती गई और वह टीम से बाहर कर दिए गए. हालांकि, घरेलू क्रिकेट में वह शानदार प्रदर्शन रहे. उन्होंने 167 प्रथम श्रेणी मैचों में कुल 723 विकेट लिए हैं.
बिना ब्रेक लिए सबसे ज्यादा ओवर फेंकने का भी है रिकॉर्ड
नरेंद्र हिरवानी के नाम सिर्फ डेब्यू टेस्ट में सबसे ज्यादा विकेट लेने का रिकॉर्ड नहीं है. बल्कि उनके नाम टेस्ट में बिना ब्रेक लिए सबसे ज्यादा ओवर फेंकने का भी रिकॉर्ड है. द ओवल में इंग्लैंड के खिलाफ 1990 में खेले गए मैच की दूसरी पारी में एक छोर से लगातार 59 ओवर फेंके थे. यह रिकॉर्ड भी आजतक नहीं टूटा.
2006 में क्रिकेट को कह दिया था अलविदा
नरेंद्र हिरवानी हिरवानी ने 2006 में इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया. आगे चलकर वह बीसीसीआई की चयनसमिति का हिस्सा रहे. हिरवानी के नाम करियर में कुल 17 टेस्ट मैचों 66 विकेट है. वहीं, वनडे में उन्होंने 18 मैचों में 23 विकेट अपने नाम किए.
