झांसी: आजादी की वो पहली चिंगारी, जो समय से आगे चलती थी; तस्वीरों में रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा
रानी लक्ष्मी बाई आजादी की वो पहली चिंगारी थी, जो हमेशा समय से आगे चली. झांसी की रानी ने अपनी इसी तलवार से ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी थी. उसने देश की तमाम महिलाओं को भरोसा दिया कि हिम्मत सिर्फ पुरुषों की बपौती नहीं. यदि महिलाएं भी चाह दें तो देश की आन-बान और शान के लिए ना केवल अपनी जान न्यौछावर कर सकती हैं, बल्कि दुश्मन के दांत खट्टे भी कर सकती है.
इस 15 अगस्त को हम आजादी के 78 साल पूरे कर रहे हैं. इस मौके पर देश भर में जश्न की तैयारी शुरू हो गई है. यह सही मौका है कि इस मौके पर हम इस आजादी के इतिहास को भी खंगालें. हम खुद जान सकें और आने वाली पीढ़ी को बता सकें कि यह आजादी हमें किस भाव में मिली है. इसी क्रम में हम आज तस्वीरों के जरिए झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की कहानी बता रहे हैं.
1 / 7
रानी लक्ष्मी बाई आजादी की वो पहली चिंगारी थी, जो हमेशा समय से आगे चली. झांसी की रानी ने अपनी इसी तलवार से ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिला दी थी. उसने देश की तमाम महिलाओं को भरोसा दिया कि हिम्मत सिर्फ पुरुषों की बपौती नहीं. यदि महिलाएं भी चाह दें तो देश की आन-बान और शान के लिए ना केवल अपनी जान न्यौछावर कर सकती हैं, बल्कि दुश्मन के दांत खट्टे भी कर सकती है.
2 / 7
1857 की क्रांति में भारत में आज़ादी की पहली गर्जना के रूप में झांसी की रानी को आज भी जाना और पहचाना जाता है. रानी लक्ष्मीबाई के पास ना तो कोई बड़ी फौज थी और ना ही पर्याप्त संसाधन. उन्हें किसी अन्य भारतीय शासक ने समर्थन भी नहीं किया. फिर भी लक्ष्मीबाई ने अपने साहस और ताकत से अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए थे. साहस लक्ष्मीबाई को विरासत में मिली थी. वह बचपन से ही चंचल थीं.
3 / 7
जिस उम्र में लड़कियां गुड़ियों से खेलती हैं, उसी उम्र में लक्ष्मीबाई तीर तलवारों से खेलने लगी थी. बालपन की मनु जब शादी के बाद झांसी की रानी बनीं, तो उनके सिर पर ताज के साथ दिल में तलवार की धार भी आ गई.रानी ने पति राजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद गद्दी और जिम्मेदारी दोनों को अकेले संभाला.
4 / 7
उस समय अंग्रेज झांसी राज्य को हड़पना चाहते थे, लेकिन रानी ने दो टूक कह दिया कि “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी.” यह सिर्फ विरोध नहीं था, बल्कि क्रांति की घोषणा थी. लक्ष्मीबाई ने युद्ध में महिलाओं को भी शामिल किया. सेना में दलित और किसान भी जुड़े. उनके नेतृत्व में लड़ने वाली झलकारी बाई जैसी महिलाओं की कहानियां खूब प्रचलित हैं.
5 / 7
रानी लक्ष्मीबाई को तलवार चलाने का बहुत शौक था. अंग्रेजों से भी उन्होंने अपनी पूरी जंग तलवार से ही लड़ीं और इसी तलवार से दुश्मनों के दांत खट्टे कर दिए थे. जब तक उनके हाथ में तलवार रही, कोई दुश्मन पास नहीं फटक सका.
6 / 7
झांसी के म्यूजियम में आज भी रानी के हथियार और तमाम चित्र सजीव मौजूद हैं. इस म्यूजियम में लाइट एंड साउंड शो के माध्यम से भी रानी के जीवन चरित्र को पिक्चराइज किया गया है. इस म्यूजियम में घूमकर लोगों की छाती गर्व से चौड़ी हो जाती है.