मोबाइल-वीडियो गेम से सूख रहा है आपके बच्चे के आंखों का पानी, चौंकाने वाला खुलासा
कानपुर मेडिकल कॉलेज के एक शोध में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. स्मार्टफोन और वीडियो गेम के अत्यधिक उपयोग से 65% बच्चों की आँखें सूख रही हैं. बच्चे आई स्ट्रेन के शिकार हो रहे हैं. इसमें आंखों से पानी आना, रेड आई, ड्राई आई होना जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं.
आजकल ज्यादातर बच्चे घंटों मोबाइल देखते हैं, जिससे उनकी आंखों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है. कानपुर में बच्चों में आंखों से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं. शहर में स्मार्टफोन और वीडियो गेम के अत्यधिक उपयोग से 65% बच्चों की आंखें सूख रही हैं. कानपुर मेडिकल कालेज के स्टडी में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज (GSVM) के नेत्र रोग विभाग द्वारा अध्ययन किया गया. इसमें 19 स्कूलों के कक्षा दो से आठ के लगभग 10 हजार बच्चों को शामिल किया गया. करीब तीन महीने चले इस अध्ययन में लगभग 6500 बच्चों में ‘ड्राई आई’ यानी आंखों का सूखना पाया गया. वहीं, 55 प्रतिशत मायोपिया से ग्रस्त मिलें.
स्क्रीन टाइम, धूप की कमी और जंक फूड कारण
डॉ. शालिनी मोहन, जो इस अध्ययन की मुख्य लेखिका हैं, ने बताया कि बच्चों का मोबाइल स्क्रीन पर तीन घंटे से अधिक समय बिताना, धूप से बचाव के लिए घर के अंदर रहना और फास्ट फूड का अधिक सेवन बच्चों की आंखों के लिए काफी हानिकारक साबित हो रहे हैं. लगातार स्क्रीन के आगे बैठने से आंखों में जलन, सूखापन और भारीपन की समस्या पैदा हो रही है.
विशेषज्ञों का सुझाव है कि बच्चों को दिन में एक घंटे से अधिक मोबाइल या लैपटॉप स्क्रीन के सामने नहीं बैठना चाहिए. इसके साथ ही उन्हें दो से तीन घंटे रोजाना बाहर खेलकूद और अन्य आउटडोर गतिविधियों में शामिल करना जरूरी है. विशेषज्ञों ने बच्चों को ’20-20-20 नियम’ अपनाने, बाहरी गतिविधियों और पौष्टिक आहार लेने की सलाह दी है.
आंखों की सुरक्षा के लिए ’20-20-20 नियम’ का पालन
डॉ शालिनी मोहन ने बताया कि आंखों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए ’20-20-20 नियम’ का पालन अत्यंत महत्वपूर्ण है. इसका मतलब है कि हर 20 मिनट के बाद 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखना चाहिए, जिससे आंखों को आराम मिलता है और तनाव कम होता है. साथ ही पलकें झपकाना, आंखों को नियमित धोने चाहिए.
इसके अलावा बच्चों को अपने हाथों को गर्म करके हथेलियों से आंखों को मालिश करने की आदत अपनानी चाहिए, ताकि आंखों की नमी बनी रहे. डॉ. मोहन ने यह भी बताया कि बच्चों के खानपान में हरी सब्जियों और मौसमी फलों को शामिल करना और उन्हें आठ से दस घंटे की अच्छी नींद दिलाना भी आंखों की समस्या से बचाव में सहायक है.
परिवारों और विद्यालयों को जागरूक होने की आवश्यकता
विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि बढ़ता प्रदूषण भी बच्चों की आंखों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है, जिससे मायोपिया और ड्राई आई की समस्याएं और गहराती जा रही हैं. बच्चों को धूप में खेलने और ताजी हवा में समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा स्क्रीन पर समय की सीमा निर्धारित करनी चाहिए.
इस अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया है कि आंखों की देखभाल के लिए परिवारों और विद्यालयों को जागरूक होने की आवश्यकता है ताकि बच्चों की दृष्टि स्वस्थ और सुरक्षित बनी रहे. कानपुर के अभिभावक और शिक्षकों को चाहिए कि वे बच्चों के मोबाइल उपयोग और पोषण पर खास ध्यान दें ताकि उनकी आंखों को भविष्य में किसी बड़ी समस्या का सामना न करना पड़े.
