कानपुर की रामलीला में ‘बेटे’ को अगवा करेगा रावण, अकाउंटेंट सूरज बनेंगे राम
कानपुर की 148 साल पुरानी रामलीला में इस बार अनोखा दृश्य देखने को मिलेगा. रावण की भूमिका निभा रहे पिता अपने बेटे (सीता) का अपहरण करेंगे. दुबई से आए अकाउंटेंट सूरज चतुर्वेदी राम की भूमिका में होंगे और रावण का वध करेंगे. यह रामलीला परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम है, जो शहरवासियों के लिए आस्था और मनोरंजन का केंद्र है.
उत्तर प्रदेश में कानपुर की रामलीला का रावण अपने खुद के ही बेटे को अगवा को अगवा करेगा. वहीं दुबई से आए अकाउंटेंट राम रावण का वध करेंगे. यह सुनकर आप एक बार हैरान हो सकते हैं. पूछ सकते हैं कि ऐसा भी कहीं होता है क्या? लेकिन इस रामलीला में कुछ ऐसा ही होने वाला है. जी हां, दरअसल इस रामलीला में सीता की भूमिका आठवीं के छात्र कार्तिकेय चतुर्वेदी निभा रहे हैं. वहीं रावण की भूमिका में उनके पिता रत्नेश दत्त चतुर्वेदी उतरेंगे. इसी प्रकार राम की भूमिका निभाने वाले सूरज चतुर्वेदी दुबई में एक कंपनी में अकाउंटेंट की नौकरी करते हैं.
उत्तर प्रदेश की औद्योगिक नगरी कानपुर के परेड में 148 साल से हर साल रामलीला का आयोजन हो रहा है. हमेशा की तरह इस बार भी इस रामलीला में परंपरा और अभिनय का अनूठा संगम देखने को मिलेगा. श्री रामलीला सोसाइटी परेड के तत्वावधान में आयोजित होने वाली इस रामलीला में मथुरा की मंडली अभिनय करने जा रही है. इस बार खास बात यह है कि मंच पर सीता की भूमिका में आठवीं के छात्र कार्तिकेय चतुर्वेदी उतरेंगे. वहीं साधु वेश में रावण की भूमिका उनके पिता रत्नेश दत्त चतुर्वेदी निभाएंगे. यह पिता-पुत्र की यह जोड़ी सीता हरण के प्रसंग को जीवंत करेगी.
दुबई में अकाउंटेंट हैं राम
रामलीला कमेटी के मुताबिक राम की भूमिका निभाने वाले 24 वर्षीय सूरज चतुर्वेदी दुबई में अकाउंटेंट की नौकरी करते हैं. कृष्ण जन्मभूमि मथुरा के रहने वाले सूरज एम कॉम की पढ़ाई के बाद दुबई में अकाउंटेंट की नौकरी तो करते हैं, लेकिन हर साल रामलीला करने के लिए भारत आ जाते हैं. अपने गुरु व्यास महेश दत्त चतुर्वेदी से अभिनय की बारीकियां सीखने के बाद वह बीते आठ वर्षों से राम की भूमिका निभा रहे हैं. वह कहते हैं कि उनके लिए रामचरितमानस केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शक भी है.
1877 से हो रही रामलीला
वहीं, लक्ष्मण की भूमिका में 25 वर्षीय अंकुर चतुर्वेदी मंच पर नजर आएंगे. वह मथुरा में ही पैक्ड पानी और शीतलपेय की एजेंसी चलाते हैं. तीन वर्षों तक राम की भूमिका करने के बाद वह इस साल लक्ष्मण के किरदार में मंच पर उतरने जा रहे हैं. वहीं 28 वर्षीय अभिषेक दत्त चतुर्वेदी हनुमान की भूमिका में होंगे. इससे पहले वह अहिरावण, बाली और शंकर जैसे किरदारों में अपनी छाप छोड़ चुके हैं. बता दें कि परेड की रामलीला की शुरुआत 1877 में पं. प्रयाग नारायण तिवारी ने की थी. उन दिनों वह अनंत चतुर्दशी को ही बच्चों को बुलाते और फिर 15 दिन तक उनकी दीक्षा, मुंडन और यज्ञोपवीत कराने के बाद उन्हें मंचन की बारीकियां सिखाते थे. इसके बाद उन्हें मंच पर उतारते थे. 1975 तक स्वरूप परंपरा के तहत भगवान के अंशावतार के रूप में बच्चों को तैयार किया जाता था. हालांकि इसके बाद से रामलीला मंचन की जिम्मेदारी मथुरा की मंडली को दे दिया गया.
मुकुट पूजन की अनूठी परंपरा
रामलीला की शुरुआत पहले राम वनवास के प्रसंग से होती थी और बीएनएसडी भवन सेक्शन हाल में मंचन किया जाता था. हालांकि राजगद्दी उत्सव हटिया में मनाया जाता था. बाद में यह रामलीला परेड मैदान में होने लगी. इसमें आज भी मुकुट पूजन की परंपरा को निभाया जाता है. यह रामलीला न केवल धार्मिक उत्साह का प्रतीक है, बल्कि कला, संस्कृति और समर्पण का अनूठा संगम भी है. शहरवासियों के लिए यह रामलीला केवल एक नाट्य मंचन नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का पीढियों से चला आ रहा जीवंत उत्सव है.