शराबी बेटे ने मां से कर डाली दरिंदगी, पोते की गवाही पर कोर्ट ने सुनाई ये सजा
कानपुर में मां से दरिंदगी करने वाले कलयुगी बेटे को फास्टट्रैक कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. आरोपी ने यह वारदात शराब के नशे में धुत होकर अंजाम दिया था. हालांकि आरोपी के बेटे ने ही पहले पुलिस बुलाकर उसे अरेस्ट कराया और अब उसकी ही गवाही पर उम्रकैद की सजा हुई है. कोर्ट ने भी इस मामले में फैसला सुनाते हुए इसे जघन्य करार दिया है. कहा कि आरोपी किसी हाल में सहानुभूति का हकदार नहीं है.

उत्तर प्रदेश की कानपुर में अपनी ही मां से दरिंदगी करने वाले हैवान को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने यह फैसला आरोपी के बेटे की गवाही और मौके से मिले सबूतों के आधार पर सुनाई है. यह वारदात 9 मार्च 2025 का है. उस समय आरोपी की मां घर में अकेली थी. उसी समय शराब के नशे में धुत आरोपी आया और मां को अकेले देखकर उसके साथ दरिंदगी की. आरोपी के चंगुल से छूटकर घर के बाहर निकली पीड़िता को उसके बीएससी में पढ़ने वाले पोते ने देखा और तुरंत पुलिस को सूचना दी.
इसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेते हुए पीड़िता का मेडिकल कराया. इसमें रेप की पुष्टि होने के बाद पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी. इस मामले में पुलिस ने आरोपी के बेटे समेत चार गवाहों की कोर्ट में गवाही कराई. इसमें आरोपी की बेटे की गवाही सबसे अहम रही. गवाहों के बयान और साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट में मामले की पैरवी सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता जितेंद्र कुमार पांडेय ने की.
सहानुभूति का हकदार नहीं आरोपी
कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए आरोपी के खिलाफ कठोर टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि बाकी रिश्ते तो जन्म के बाद बनते हैं, लेकिन मां-बेटे का रिश्ता जन्म के नौ माह पहले ही बन जाता है. मां नौ माह तक गर्भ में पालती है उसके बाद बच्चे का जन्म होता है. यह रिश्ता पवित्र और सामाजिक मर्यादा का आधार है. शराब के नशे में भी ऐसा घृणित कृत्य करने वाला बेटा किसी हाल में सहानुभूति का हकदार नहीं हो सकता. ऐसे में आरोपी को जितनी भी सजा दी जाए, वह कम है.
फास्टट्रैक कोर्ट में सुनवाई
शासकीय अधिवक्ता जितेंद्र कुमार पांडेय के मुताबिक मामले की सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट 41 के विशेष न्यायाधीश पीयूष सिद्धार्थ की कोर्ट में हुई. उन्होंने इस मामले को मर्यादा और नैतिकता को ठेस पहुंचाने वाला करार देते हुए आरोपी को उम्र कैद की सजा सुनाई है. साथ ही आरोपी पर 35 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. इसमें से आधी राशि पीड़िता को मिलेगी. इसी के साथ कोर्ट ने पीड़िता को अतिरिक्त क्षतिपूर्ति दिलाने के लिए विधिक सेवा प्राधिकरण को संस्तुति भेजी है.