कानपुर-उन्नाव के बीच गंगा नदी पर बनेगा चार किलोमीटर लंबा पुल, 10 साल बाद शासन की मंजूरी

कानपुर-उन्नाव को जोड़ने वाले वाई-आकार पुल को हरी झंडी मिल गई है. इस परियोजना से दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी सुधार होगा. 10 साल के इंतजार के बाद मंजूर हुआ यह पुल कानपुर के वीआईपी रोड को ट्रांसगंगा सिटी से सीधे जोड़ेगा, जिससे लखनऊ का सफर भी आसान हो जाएगा.

कानपुर-उन्नाव वाई-पुल को मिली मंजूरी

कानपुर-उन्नाव को जोड़ने वाले बहुप्रतीक्षित वाई-आकार पुल को बुधवार को शासन से हरी झंडी मिल गई. यह कानपुर के वीआईपी रोड को सीधे उन्नाव की ट्रांसगंगा सिटी से जोड़ेगी. इस परियोजना दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी सुधार होगा. इस परियोजना से दोनों शहरों के बीच कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी सुधार होगा.

2015 से कागजों में अटकी यह परियोजना दस साल बाद पटरी पर आई है. यूपीसीडा ने अप्रैल 2024 में 799 करोड़ का संशोधित बजट प्रस्ताव भेजा था, जिसे जून में वित्त व्यय समिति ने कुछ आपत्तियों के साथ वापस कर दिया था. आपत्तियों के निस्तारण के बाद अब 730 करोड़ रुपये की अंतिम स्वीकृति मिल गई है.

यह पुल कुल चार किलोमीटर लंबा होगा

यह पहला मौका है जब इस परियोजना को आधिकारिक बजट मंजूरी मिली है. अब कैबिनेट की मुहर के बाद शासनादेश जारी होगा और इसके तुरंत बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. सेतु निगम के अनुसार यह पुल कुल चार किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें 1825 मीटर हिस्सा गंगा नदी के ऊपर होगा. रानीघाट जलकल पंपिंग स्टेशन से इसकी शुरूआत होगी.

ट्रांसगंगा सिटी के गेट नंबर-2 से करीब 400 मीटर पहले दोनों ओर से आने वाले पुल आपस में मिलकर फोरलेन मार्ग में बदल जाएंगे. इससे भारी वाहनों का दबाव नियंत्रित होगा और वीआईपी रोड से ट्रांसगंगा तक का सफर काफी छोटा हो जाएगा. अभी गंगा पार करने के लिए लंबा चक्कर लगाना पड़ता है. यह पुल धोबीघाट तक जाएगा.

पुल के रास्ते में 33 पुराने मकान हटेंगे

पुल के रास्ते में आने वाले पंपिंग स्टेशन के पास बने 33 आवासों को निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया गया है. इनके बदले पैरा घाट के पास नए आवास बनाए जाएंगे, जिनकी अनुमानित लागत 13 करोड़ रुपये है. PWD और सेतु निगम के अधिकारियों का कहना है कि नए आवासों की स्वीकृति मिलते ही इन्हें हटाने का काम शुरू हो जाएगा.

टेंडर प्रक्रिया जल्द शुरू कर दी जाएगी- अधिकारी

सेतु निगम के अधिकारियों के अनुसार, शासनादेश जारी होते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. लक्ष्य है कि काम समय से पूरा हो और क्षेत्र को जल्द लाभ मिले. दस साल के लंबे इंतजार के बाद अब कानपुर और उन्नाव के लोगों को उम्मीद है कि यह पुल जल्द ही हकीकत का रूप लेगा और दोनों शहरों के बीच की दूरी हमेशा के लिए कम हो जाएगी.