आजम खान को बड़ी राहत, RSS पर टिप्पणी मामले में कोर्ट ने किया बरी; जानें क्या था आरोप
समाजवादी पार्टी नेता आजम खान को RSS मानहानि मामले में बड़ी राहत मिली है. लखनऊ की MP-MLA कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है. 2019 में दर्ज यह केस दर्ज किया गया था. आजम खान मंत्री रहते हुए अपने लेटर पैड पर आरएसएस पर टिप्पणी की थी. वहीं, कोर्ट के फैसले के बाद आजम खान ने भावनात्मक प्रतिक्रिया दी है.
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान को बड़ी राहत मिली है. लखनऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें मानहानि मामले में बरी कर दिया है. उनपर आरएसएस को बदनाम करने का आरोप था. आजम खान मंत्री रहते हुए आरएसएस पर टिप्पणी की थी. इस मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में 2019 में केस दर्ज हुआ था.
कोर्ट के फैसले पर आजम ने इमोशनल रिएक्शन दिया है. कोर्ट से बाहर निकलने पर आजम खान ने कहा, ‘हम खून की किस्तें तो कई दे चुके लेकिन ऐ खाके वतन कर्ज अदा क्यों नहीं होता.’ मीडिया से बात करते उन्होंने कहा कि यह बहुत ही ईमान वाला फैसला है. जज साहब को दुआ दे सकता हूं, उनका शुक्रिया अदा करता हूं. कोर्ट से ही उम्मीद बची है.
अव्वामा जमीर नकवी ने दर्ज कराया था केस
लेखक अव्वामा जमीर नकवी द्वारा आजम खान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. यह मामला साल 2014 का था, वहीं, पांच साल देरी के बाद फरवरी 2019 में यह मामला लखनऊ के हजरतगंज थाने में दर्ज हुआ था. आजम खान पर सरकारी लेटर पैड का उपयोग कर बीजेपी, आरएसएस और शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद के खिलाफ टिप्पणी करने का आरोप लगा था.
शिकायतकर्ता जमीर नकवी का आरोप था कि आजम खान का यह काम न केवल सरकारी पद की गरिमा को ठेस पहुंचाता है, बल्कि इससे सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंच सकती थी. इसके बाद आजम खान पर भारतीय दंड संहिता की धारा 500 (मानहानि) और 505 (सार्वजनिक रूप से नुकसान पहुंचाने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज किया गया था.
ठोस सबूत पेश नहीं होने पर आजम खान बरी
वहीं, लखनऊ एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश आलोक कुमार वर्मा ने यह फैसला सुनाया है. अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आजम खान को बरी कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया. अभियोजन पक्ष आजम खान के खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा, इसलिए उन्हें बरी किया जाता है.
