आक्रांताओं के नाम वाली जगहों को बदला जाना चाहिए… डॉ. दिनेश शर्मा ने की ये मांग

बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद डॉ दिनेश शर्मा ने देश में मौजूद आक्रंताओं के नाम वाली जगहों के नामों को बदलने को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा आजादी के दशकों बाद भी इन नामों को न हटाने का मतलब है कि उनका महिमामंडन किया जा रहा है.

डॉ दिनेश शर्मा Image Credit:

बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा ने देश में मौजूद आक्रांताओं के नाम पर सड़कों, इमारतों और संस्थानों के नाम बदलने को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि देश के आजादस हुए इतने दशकों के बाद भी इन नामों का बनाए रखने का कोई मतलब नहीं है. अगर हम ऐसा करते हैं तो ये उन विदेशी हमलावरों का महिमामंडन करने जैसा है, जिन्होंने भारत पर हमला किया और यहां रहने वाले लोगों पर तरह- तरह के अत्याचार किए.

नायकों के नाम पर हों स्थल

राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान उन्होंने ये मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि ये सिर्फ नाम बदलने का सवाल नहीं है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय पहचान और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा से जुड़ा विषय भी है. डॉ. शर्मा ने कहा कि जिन लोगों ने देश के लिए बलिदान दिया उन स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को सराहा जाना चाहिए. ऐसे सार्वजनिक स्थानों के नाम उनके ही नामों पर रखे जाने चाहिए.

महाराष्ट्र का दिया उदाहरण

इसे लेकर उन्होंने उदाहरण महाराष्ट्र का उदाहरण भी दिया कि कैसे औरंगाबाद का नाम बदलकर ‘छत्रपति संभाजी नगर’ और उस्मानाबाद का नाम ‘धाराशिव’ किया गया है. इसी तरह दिल्ली में ‘औरंगज़ेब रोड’ का नाम बदलकर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के नाम पर रखे जाने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि ये बदलाव लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हैं साथ ही एक सही ऐतिहासिक संदेश देते हैं.

सरकार से की ये मांग

सांसद ने गृह मंत्रालय से मांग की है कि देशभर में ऐसे नामों की एक बार फिर से समीक्षा की जानी चाहिए. इसके साथ ही एक संगठित प्रक्रिया के तहत उन सभी स्थानों के नाम बदले जाने चाहिए जो कहीं न कहीं विदेशी आक्रांताओं से जुड़े हैं. उन्होंने कहा कि इससे हमारी आने वाली पीढ़ियों को अपने नायकों से प्रेरणा मिलेगी और वे गर्व के साथ अपनी विरासत को समझ पाएंगे. अगर ऐसा नहीं होगा तो उन लोगों के त्याग और बलिदान का अपमान है जिन्होंने अपना जीवन देश की सेवा में समर्पित कर दिया.