लखनऊ के सैनिक स्कूल में अब बेटियों को कक्षा 6 में मिलेगा दाखिला, शासन ने प्रस्ताव को दी मंजूरी
अब लखनऊ के सैनिक स्कूल में कक्षा 6 में बेटियों को पढ़ाई का अवसर मिलेगा. शासन ने विद्यालय द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में समानता और बेटियों को बढ़ावा देगा. अब शिक्षा सिर्फ छात्रों तक सीमित नहीं रहेगी.

कैप्टन मनोज कुमार पांडेय यूपी सैनिक स्कूल, लखनऊ में दाखिले के नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है. अब सैनिक स्कूल में कक्षा 6 में बेटियों को भी पढ़ाई का अवसर मिल सकेगा. विद्यालय द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को शासन ने मंजूरी दे दी है. इसके तहत अब कक्षा छह में 40 छात्राओं को प्रवेश मिलेगा.
मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी किया है. साथ ही सैनिक स्कूल के प्रधानाध्यापक को भी कक्षा-6 में बालिकाओं को प्रदेश दिये जाने के निर्देश दिए हैं. इसमें कहा है कि यह व्यवस्था शैक्षिक सत्र 2027-28 से लागू होगी जिसमें कुल 40 छात्रों को दाखिला लिया जाएगा.
1960 में स्थापित हुआ था यूपी सैनिक स्कूल
यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में समानता और सेना में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इससे पहले साल 2017 में यूपी सरकार ने इसमें 9वीं कक्षा में छात्राओं को दाखिला देने का प्रस्ताव पास किया था. इसके तहत 2018-19 सत्र में 9वीं कक्षा में 15 छात्राओं को प्रवेश मिला था.
देश में मौजूदा समय में कुल 33 पारंपरिक सैनिक स्कूल हैं, जो देश के सभी राज्यों में स्थित हैं. इसका प्रबंधन रक्षा मंत्रालय के अधीन सैनिक स्कूल सोसाइटी (SSS) के तहत किया जाता है. वहीं, यूपी सैनिक स्कूल लखनऊ 1960 में स्थापित किया गया था. साल 2017 में इसका नामकरण परमवीर चक्र कैप्टन मनोज कुमार पांडेय पर हुआ.
कैप्टन मनोज पांडे इसी स्कूल के छात्र थे
कैप्टन मनोज कुमार पांडेय सैनिक स्कूल से अब तक 1000 से ज्यादा छात्र सेना में विभिन्न पद पर अधिकारी बने हैं. यह सैनिक स्कूल देश का पहला स्कूल है जहां के छात्र मनोज पांडेय को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया है. कैप्टन मनोज पांडे इसी स्कूल के छात्र थे. 1999 के कारगिल युद्ध के दौरान वह वीर गति को प्राप्त हुए थे.
कैप्टन मनोज कुमार पांडेय सैनिक स्कूल में दाखिले के नियमों में यह बदलाव विद्यार्थियों और अभिभावकों के लिए एक बड़ा तोहफा है. इससे बेटियों के लिए बेहतर माध्यमिक शिक्षा के रास्ते खुलेंगे. साथ ही इस कदम से प्रदेश में महिला शिक्षा को भी बढ़ावा मिल सकेगा.