कौन है लखनऊ का वकील परमानंद? दर्ज कराए थे रेप और SC-ST के 29 फर्जी केस, सजा सुनाते हुए कोर्ट बोला- ऐसे लोग तो….

लखनऊ के वकील परमानंद गुप्ता को एससी-एसटी कानून का दुरुपयोग करने और 29 झूठे मुकदमे दर्ज कराने के मामले में विशेष अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. आरोपी ने अपनी पत्नी के ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली एक महिला को हथियार बनाकर यह कृत्य किया था. मामले का खुलासा होने के बाद कोर्ट ने आरोपी वकील के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए बार काउंसिल को सूचित करने को कहा है. साथ ही वकील पर 5.10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

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उत्तर प्रदेश में कई लोगों ने एससी-एसटी कानून को अपना हथियार बना लिया है. इन्हीं लोगों में लखनऊ का एक वकील परमानंद भी शामिल है. इस वकील ने रेप और एससी-एसटी कानून के तहत एक दो नहीं, 29 एफआईआर दर्ज कराए थे और लोगों को जेल भिजवाया था. इस वकील की करतूतों का खुलासा होने पर लखनऊ की विशेष अदालत ने इस वकील को उम्रकैद की सजा सुनाई है. सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे ही लोग न्यायिक प्रक्रिया को दूषित करते हैं. इसी के साथ कोर्ट ने इस संबंध में बार काउंसिल को भी सूचित करने का आदेश दिया है.

कहा कि ऐसे लोगों को वकालत करने से रोकना होगा. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए टिप्पणी करते हुए कहा कि यह मामला कानूनी पेशे की नैतिकता पर सवाल तो उठाता ही है, इससे जाहिर होता है कि सख्त जांच और मजबूत कानूनी कार्रवाई से ही इस तरह के फर्जी मुकदमों के खेल को रोका जा सकता है. एससी-एसटी कोर्ट के विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने अपने फैसले में आरोपी वकील परमानंद पर 5.10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

यह है मामला

केस डायरी के मुताबिक वकील परमानंद गुप्ता ने एक षड़यंत्र के तहत अपनी पत्नी संगीता गुप्ता के ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली पूजा रावत के साथ मिलकर इस खेल को शुरू किया था. वकील ने पूजा रावत को हथियार बनाया और विभिन्न थानों में अलग अलग लोगों के खिलाफ रेप, छेड़छाड़, मारपीट और एससी-एसटी कानून के तहत मुकदमे दर्ज कराए. इस कारनामों का खुलासा तब हुआ, जब इसने विभूतिखंड में रहने वाले अरविंद यादव और उनके भाई अवधेश यादव के खिलाफ केस दर्ज कराया. मामले की जांच तत्कालीन एसीपी विभूतिखंड राधा रमण सिंह की. इसमें पाया गया कि पूरा मामला ही फर्जी है.

ऐसे करता था FIR का खेल

एसीपी ने कोर्ट में पेश अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि परमानंद ने 18 जनवरी 2025 को मुकदमा दर्ज कराया था. दरअसल परमानंद की पत्नी और आरोपियों अरविंद व अवधेश के बीच जमीनी विवाद था. इसमें आरोपी ने पूजा रावत को हथियार बनाया और दोनों आरोपियों को जेल भिजवाने के लिए उनके खिलाफ रेप एवं एससी एसटी का मुकदमा दर्ज करा दिया. लेकिन जांच में इस वारदात के ना तो कोई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य मिले और ना ही कोई फोन कॉल डिटेल्स या कोई अन्य सबूत मिला. इसी जांच में पता चला कि परमानंद ने 18 और पूजा के जरिए 11 अन्य फर्जी मुकदमे भी दर्ज कराए हैं.

पूजा ने ही कर दिया खुलासा

विशेष लोक अभियोजक अरविंद मिश्रा के मुताबिक कोर्ट में पूजा ने खुद पूरी वारदात का खुलासा किया है. कोर्ट ने जब उसे तलब किया तो उसने शपथपत्र देकर बताया कि वह रोजगार के सिलसिले में गोरखपुर से लखनऊ आई थी. यहीं पर उसकी मुलाकात परमानंद और उनकी पत्नी संगीता से हुई और इन लोगों ने अपने जाल में फंसा कर झूठे मुकदमे दर्ज कराए हैं. पूजा ने बताया कि उसने परमानंद के कहने पर ही मजिस्ट्रेट के सामने भी झूठे बयान दिए थे. जबकि उसके साथ कभी कोई छेड़छाड़ या रेप की घटना ही नहीं हुई. लोक अभियोजक अरविंद मिश्रा के मुताबिक परमानंद ने जिस स्थान पर बने कमरे में रेप की बात कहीं थी, वहां कोई कमरा ही नहीं मिला. बल्कि वहां खाली प्लॉट था.