केवल एक फिल्म नहीं है ‘Me No Pause Me Play’, एक्ट्रेस काम्या बोली- इस मुद्दे पर लोग चुप क्यों हैं?

फिल्म ‘मी नो पॉज मी प्ले’ भारतीय सिनेमा में मेनोपॉज जैसे महत्वपूर्ण और अक्सर अनछुए विषय पर एक नई बहस छेड़ रही है. काम्या पंजाबी अभिनीत यह फिल्म महिलाओं की इस अवस्था से जुड़ी शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों को दर्शाती है. यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि मेनोपॉज पर समाज में चुप्पी तोड़ने और महिलाओं को पारिवारिक व सामाजिक समर्थन देने की एक सशक्त पहल है, जिसे हर किसी को देखना चाहिए.

बॉलीवुड एक्ट्रेस काम्या पंजाबी Image Credit:

वैसे तो भारतीय सिनेमा में ज्यादातर कहानियां रोमांस, एक्शन, पारिवारिक ड्रामा पर ही बनती हैं, लेकिन हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ने ‘Me No Pause Me Play’ ने एक नई बहस छेड़ दी है. यह फिल्म महिलाओं की कॉमन समस्या मनोपॉज पर आधारित है. यह ऐसा मुद्दा है, जिसका हरेक महिला को अपने जीवन में एक बार जरूर सामना करना पड़ता है. बावजूद इसके लोग इस मुद्दे पर बात करने से भरसक बचते हैं.

इस फिल्म की कहानी डॉली खन्ना यानी काम्या पंजाबी की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है. डॉली उम्र के उस पड़ाव से गुजर रही हैं, जहां मेनोपॉज की शुरुआत होती है. इस दौरान उन्हें एक रेयर कंडीशन का सामना करना पड़ता है. इसमें उन्हें चलने फिरने में दिक्कत होती है. खाने-पीने में बदलाव, शरीर में कई शारीरिक परेशानियां, यहां तक कि बाल झड़ने जैसी समस्या पैदा हो जाती है. ऐसे हालात में उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ जाता है.

काम्या का शानदार अभिनय

टीवी पर एक बिंदास और बेबाक एक्ट्रेस के तौर पर पहचान बना चुकीं काम्या ने इस फिल्म के जरिए बड़े पर्दे पर मजबूती के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. खुद काम्या पंजाबी कहती हैं कि पहली बार वह बड़े पर्दे पर हैं, लेकिन इसके लिए उन्होंने सोचा भी नहीं था. फिल्म पर मिल रहे रिस्पांस से उत्साहित काम्या ने कहा कि इस मूवी का सब्जेक्ट बहुत अच्छा है. यह हर एक औरत की कहानी है और इसे हर एक मर्द को समझनी चाहिए.

पैसा कमाने के लिए ही नहीं होती हर फिल्म

काम्या ने कहा कि महिलाओं को मेनोपॉज को लेकर घर में, परिवार में और समाज में बात होनी चाहिए. इस दौर से गुजर रही महिला को पूरी फैमिली का सपोर्ट मिलना चाहिए, ताकि वह इस फेस से आसानी से निकल पाएं. उन्होंने कहा कि हर फिल्म सिर्फ पैसे कमाने के लिए नहीं होती. कुछ फिल्में ऐसी होती है जो जीवन के काफी करीबी होती है. यह फिल्म भी कुछ ऐसी ही है. यह फिल्म भी सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक बातचीत की शुरुआत है. इस मुद्दे पर समाज में आज भी चुप्पी है.