घायल संजय सेतु: देवीपाटन की जीवनरेखा पर मंडराता खतरा! निर्माण में देरी पर लखनऊ में गूंजी आवाज

लखनऊ-बहराइच को जोड़ने वाला संजय सेतु गंभीर रूप से जर्जर है, जो देवीपाटन मंडल की जीवनरेखा है. बार-बार मरम्मत के बावजूद इसकी स्थिति खतरनाक बनी हुई है. 300 करोड़ के नए पुल की मंजूरी के बाद भी निर्माण में देरी से क्षेत्रवासी आक्रोशित हैं. अब निर्माण की मांग की गूंज लखनऊ तक पहुंच चुकी है.

संजय सेतु संकट: लखनऊ में पुल निर्माण की आवाज Image Credit:

लखनऊ से बहराइच को जोड़ने वाली घाघरा नदी पर बना संजय सेतु लंबे समय से जर्जर हालत में है. 1984 में निर्मित यह पुल अब भारी वाहनों का बोझ सहन नहीं कर पा रहा. बार-बार दरारें आने, जॉइंट्स क्षतिग्रस्त होने और मरम्मत के बावजूद इसकी स्थिति खतरनाक बनी हुई है. यह पुल देवीपाटन मंडल (बहराइच, गोंडा, श्रावस्ती, बलरामपुर) की जीवनरेखा है.

लाखों लोगों की दैनिक आवाजाही, व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पुल का निर्माण जरूरी है. लेकिन उपेक्षा के कारण क्षेत्रवासियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है. हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता और अपना दल (एस) के युवा मोर्चा के राष्ट्रीय सचिव संजीव सिंह राठौर ने लखनऊ विधानसभा भवन के सामने जोरदार प्रदर्शन किया.

नया पुल और हाईवे बनाने की मिली थी मंजूरी

संजीव सिंह राठौर ने क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से सीधा सवाल उठाया, ‘आखिर घायल संजय सेतु का निर्माण कब होगा? यह पुल न केवल बुनियादी ढांचे की जरूरत है, बल्कि लाखों नागरिकों की सुरक्षा और भविष्य का सवाल भी है. लंबे समय से जर्जर अवस्था में होने के बावजूद नए पुल के निर्माण में देरी अस्वीकार्य है.

उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस जनहित के मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर समयबद्ध योजना बनाई जाए और कार्य तत्काल शुरू कराया जाए. जब तक निर्माण नहीं होता, जनता अपनी आवाज बुलंद करती रहेगी. सरकार ने पुराने पुल के बगल में 300 करोड़ रुपये की लागत से नया पुल और फोरलेन हाईवे बनाने की मंजूरी दी है, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ.

पुल की जर्जर स्थिति क्यों है गंभीर मुद्दा?

2024-2025 में कई बार पुल के जॉइंट्स में दरारें आईं, पिलर धंसे और यातायात बाधित हुआ. मरम्मत के बाद भी समस्या दोहराई जा रही है. प्रभावित क्षेत्र लखनऊ-बहराइच राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित यह पुल नेपाल बॉर्डर को भी जोड़ता है. देवीपाटन मंडल के चार जिलों के अलावा पूर्वांचल के कई क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है.

इससे लोगों की परेशानी- दैनिक आवागमन में देरी, जाम, दुर्घटना का खतरा और आपातकालीन सेवाओं (एम्बुलेंस आदि) में बाधा हो रही है. क्षेत्रवासी और कार्यकर्ता अब धैर्य खो चुके हैं. हाल ही में “संजय सेतु संघर्ष दिवस” मनाया गया, जहां युवाओं ने स्थायी समाधान की मांग की. उम्मीद है कि जल्द ही सरकार की ओर से कदम उठाए जाएंगे.