सावन में बड़ौत में दिखी महाकाल के तांडव श्रृंगार की अद्भुत झलक

बागपत के बड़ौत स्थित श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में भगवान शिव का अनोखा शृंगार किया गया. खोपड़ियों, रूद्राक्ष, सर्पों और फूलों से सजा यह श्रृंगार महाकाल का तांडव जैसा था. यह पारंपरिक शृंगार से अलग, कला और श्रद्धा का अद्भुत संगम था, जिसने भक्तों को भावुक कर दिया. पुजारियों की टीम ने इस अद्भुत दृश्य को रचा, जो वर्षों तक याद रहेगा.

सावन में बड़ौत में दिखी महाकाल के तांडव श्रृंगार की अद्भुत झलक
महाकाल के तांडव जैसा शृंगार, क्या आपने कभी भगवान शिव को इस रूप में देखा है? जटाओं में उलझी समय की रेखाएं, आंखों में तांडव की चेतना, मुख पर भस्म की आभा और नागों की छाया तले विराजित महाकाल! कुछ ऐसा ही अद्भुत नज़ारा उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के बड़ौत में स्थित श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में देखने को मिला.
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सावन में बड़ौत में दिखी महाकाल के तांडव श्रृंगार की अद्भुत झलक
मंदिर में पारंपरिक श्रृंगार से अलग, इस बार शिव की मूर्ति को खोपड़ियों, रूद्राक्ष, सर्पों की छाया और कमल व गुलाब की पंखुड़ियों से इस तरह सजाया गया कि श्रद्धालु देखते ही ठिठक गए.
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सावन में बड़ौत में दिखी महाकाल के तांडव श्रृंगार की अद्भुत झलक
महादेव का शृंगार इतना दिव्य और भव्य रहा कि मानों बाबा का चेहरा जैसे खुद बोल उठा, “मैं ही संहार हूं, मैं ही सृजन. यह कोई आम पूजा नहीं थी बल्कि, यह था रचनात्मकता और श्रद्धा का संगम था.
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सावन में बड़ौत में दिखी महाकाल के तांडव श्रृंगार की अद्भुत झलक
मंदिर के प्रबंधक अमित जैन विक्की ने कहा कि रोजाना भोले बाबा का श्रृंगार होता है, पर इस बार का आयोजन केवल पूजा नहीं, एक दृश्य-यात्रा थी. जैसे महाकाल स्वयं इस श्रावण में पृथ्वी पर उतर आए हों.
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यहां पर सुबह से ही भक्तों की कतार लगी रही लेकिन, इस बार केवल दर्शन नहीं, भाव और कल्पना का अनुभव हुआ. फूलों से सजी वेदी, बीच में विराजे त्रिनेत्रधारी शिव और चारों ओर बिखरी आध्यात्मिक ऊर्जा ने लोगों को ठहरने पर मजबूर कर दिया.
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