‘मुझसे जबरदस्ती साइन करवाए गए…’, बांके बिहारी मंदिर में बने नियमों को लेकर मचा बवाल

बांके बिहारी मंदिर श्रद्धालुओं को सुविधा देने के लिए कॉरिडोर प्रस्तावित था. लेकिन इस कॉरिडोर पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लग गई थी. उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई लेवल पावर मैनेजमेंट कमेटी बांके बिहारी मंदिर पर नियुक्त की थी. इस कमेटी पर मंदिर व्यवस्था को सुधारने की जिम्मेदारी थी. हाई लेवल मैनेजमेंट कमेटी […]

बांके बिहारी मंदिर

बांके बिहारी मंदिर श्रद्धालुओं को सुविधा देने के लिए कॉरिडोर प्रस्तावित था. लेकिन इस कॉरिडोर पर सुप्रीम कोर्ट की रोक लग गई थी. उस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई लेवल पावर मैनेजमेंट कमेटी बांके बिहारी मंदिर पर नियुक्त की थी. इस कमेटी पर मंदिर व्यवस्था को सुधारने की जिम्मेदारी थी.

हाई लेवल मैनेजमेंट कमेटी के बनने के बाद अभी तक सिर्फ पांच बैठकें हुई हैं. इन पांचों बैठक में ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के 9 नियमों पर सहमति मिली थी. इसमें बांके बिहारी के दर्शन का समय बढ़ाने का भी फैसला लिया गया था ताकि श्रद्धालुओं को अपने आराध्य के दर्शन करने में किसी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े.

मंदिर के दर्शन में हुए बदलाव किए गए लागू

ठाकुर बांके बिहारी हाई लेवल मैनेजमेंट कमेटी की चौथी बैठक में ही यह आदेश पारित कर दिया गया लेकिन लागू नहीं हो सका. फिर पांचवी बैठक में कमेटी ने मंदिर के दर्शन के समय में बदलाव करने के सख्ती से आदेश दिए. फिलहाल, 30 सिंतबर से बांके बिहारी मंदिर के समय में परिवर्तन लागू कर दिया गया है.

फैसले के बाद विवाद की स्थिति

हालांकि, बांके बिहारी के दर्शन के समय के बदलाव के बाद विवाद की स्थिति बन गई है. दरअसल, 30 सितंबर यानी मंगवाल को सोशल मीडिया पर एक लेटर वायरल हो रहा है. इस लेटर में हाई लेवल मैनेजमेंट कमेटी के सदस्य शैलेंद्र गोस्वामी ने आरोप लगाया है कि मंदिर के समय में परिवर्तन कराने की उनकी कोई इच्छा नहीं थी. लेकिन उनपर मानसिक तौर पर दबाव बनाकर यह फैसला कराया गया.

शैलेंद्र गोस्वामी ने लगाए ये आरोप

इस मसले पर TV9 ने शैलेंद्र गोस्वामी से बात की. उन्होंने कहा कि मैं शुरू से बांके बिहारी मंदिर के दर्शन के समय में बदलाव के विरोध में था. फैसले के खिलाफ मैं लेटर भी लेकर गया था. लेकिन मेरा लेटर किसी ने रिसीव नहीं किया. दर्शन के समय में बदलाव के लिए उनसे जबरदस्ती साइन कराए गए.