सुपरटेक सुपरनोवा प्रोजेक्ट में घर खरीदारों को SC से बड़ी राहत, 497 फ्लैट्स की रजिस्ट्री का रास्ता साफ
सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक सुपरनोवा प्रोजेक्ट के घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है. अब 497 फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता साफ हो गया है, जिससे वर्षों से इंतजार कर रहे बायर्स को उनका आशियाना मिल सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए एक निगरानी समिति के गठन को भी मंजूरी दी है, जिससे कानूनी और प्रशासनिक बाधाएं दूर होंगी और बायर्स को मालिकाना हक मिल पाएगा.
नोएडा में ओखला बर्ड सेंचुरी मेट्रो स्टेशन से सटे सेक्टर-94 स्थित बहुचर्चित सुपरटेक सुपरनोवा प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदारों के लिए बड़ी राहत की खबर है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस प्रोजेक्ट में 497 फ्लैटों की रजिस्ट्री का रास्ता अब साफ हो गया है. कई सालों से आशियाने का इंतज़ार कर रहे बायर्स ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए जश्न मनाया है. अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट को पूरा कराने के लिए एक निगरानी समिति के गठन को मंजूरी दी है.
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने आईआरपी, लेनदारों की समिति और निलंबित निदेशक मंडल को भंग कर दिया है. जिससे प्रोजेक्ट को कानूनी अड़चनों से बाहर निकालने की प्रक्रिया तेज हो सकेगी. बताया जा रहा है कि यह नोएडा का सबसे प्रीमियम और महंगा मिक्स यूज़ प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट में आलीशान विला, बड़े फ्लैट्स, पेंट हाउस, अपार्टमेंट आदि शामिल हैं. हालांकि कानूनी, वित्तीय और प्रशासनिक उलझनों की के फेर में यह प्रोजेक्ट बुरी तरह से फंस गया था.
छह साल से बंद है प्रोजेक्ट
बायर्स के मुताबिक साल 2018–19 के बाद सुपरटेक ग्रुप की आर्थिक स्थिति बिगड़ने लगी थी. इसकी वजह से कई प्रोजेक्ट्स को रोक दिया गया था. स्थिति यहां तक आ गई कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों का कर्जा बड़ा हो गया और ठेकेदारों और मजदूरों तक भुगतान नहीं हो पाया. ऐसे हाल में कर्ज ना चुका पाने की स्थिति की वजह से सुपरटेक बिल्डर को दिवालिया घोषित करना पड़ा था. दूसरी ओर, निर्माणाधीन प्रोजेक्ट के ज्यादातर फ्लैट्स बेच दिए गए, लेकिन सुपरटेक बिल्डर पर अथॉरिटी का बकाया, बैंकों का लोन ज्यादा होने की वजह से मामला NCLT पहुंच गया.
बायर्स ने लड़ी लंबी लड़ाई
सुपरटेक सुपरनोवा में करीब 1200 फ्लैट खरीदार थे. इनमें से 105 खरीदार ऐसे थे जिन्होंने पैसा भी जमा किया और कोर्ट में अलग से केस भी लड़ा. लेकिन उनको मालिकाना हक नहीं मिला. बायर्स ने आरोप लगाया कि सारी गलती बिल्डर की है तो सजा बॉयर्स को क्यों. हालांकि इस लड़ाई का अब फल मिला है. बता दें कि सुपरनोवा परियोजना में कई टावरों का निर्माण पूरा हो चुका है. 497 फ्लैट ऐसे हैं जो रहने लायक हैं. खरीदारों ने पूरा या अधिकांश भुगतान पहले ही कर दिया था. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन फ्लैटों की रजिस्ट्री की अनुमति मिल गई है. इससे खरीदारों को कानूनी मालिकाना हक मिलेगा.
