नशीली कफ सिरप केस: 6 राज्यों तक पहुंची ED की जांच, ऐसे खड़ा हुआ था अरबों का गोरखधंधा
नशीली कफ सिरप केस में ED की जांच 6 राज्यों तक पहुंच गई. बताया जा रहा है इन सभी राज्यों में फर्जी फर्मों के जरिए अरबों रुपये का कोडीन बेस्ड कफ सिरप विदेशों में तस्करी किया गया है. इस बीच ED ने उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) से अब तक की सभी कार्रवाइयों का पूरा ब्योरा मांगा है.
कोडीनयुक्त नशीले कफ सिरप की नेपाल-बांग्लादेश तस्करी का मामला अब देश के सबसे बड़े मनी लांड्रिंग केसों में शुमार हो गया है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने PMLA के तहत केस दर्ज कर जांच का दायरा उत्तर प्रदेश के साथ-साथ मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और झारखंड तक बढ़ा दिया है.
ED ने उत्तर प्रदेश के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (FSDA) से अब तक की सभी कार्रवाइयों का पूरा ब्योरा मांगा है. सूत्रों के मुताबिक इस सिंडिकेट ने फर्जी फर्मों के जरिए अरबों रुपये का कोडीन बेस्ड कफ सिरप विदेशों में तस्करी किया. सबसे हैरान करने वाली बात यह कि कई निर्माता कंपनियां और कुछ FSDA अधिकारी भी इस गोरखधंधे में शामिल पाए गए है.
मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल को 8 दिसंबर को तलब
ED ने बुधवार को ही PMLA के तहत केस दर्ज किया और तुरंत एक्शन शुरू कर दिया. वाराणसी के मुख्य आरोपी शुभम जायसवाल के घर पर समन चस्पा किया गया है. उन्हें 8 दिसंबर को पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा गया है. जेल में बंद आलोक सिंह और अमित सिंह टाटा से भी ED जल्द पूछताछ करेगी. दोनों ने पहले STF को दिए बयान में शुभम जायसवाल और आजमगढ़ के विकास सिंह नरवे का नाम लिया था.
दो CA भी रडार पर
ED की जांच में दो चार्टर्ड अकाउंटेंट तुषार और विष्णु अग्रवाल भी घेरे में आ गए हैं. ये दोनों आरोपी फर्मों का हिसाब-किताब रखते थे और फर्जी बिलिंग व मनी लांड्रिंग में मदद करते थे. दोनों को जल्द समन भेजा जाएगा. इस मामले में 118 एफआईआर दर्ज की गई है. वाराणसी में 38, जौनपुर में 16, कानपुर नगर में 08, गाजीपुर में 06, लखीमपुर खीरी में 04, लखनऊ में 03 और अन्य जिले में 43 FIR दर्ज किए गए है.
कैसे चल रहा था खेल?
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक हिमाचल प्रदेश की 2, उत्तराखंड की 3, हरियाणा की 1 और झारखंड की 1 निर्माता कंपनियों से भारी मात्रा में कोडीन युक्त सिरप खरीदा जाता था. यूपी के लखनऊ, कानपुर, लखीमपुर खीरी, बहराइच जिलों से नेपाल और वाराणसी-गाजियाबाद की फर्मों से बांग्लादेश भेजा जाता था. ज्यादातर फर्में सिर्फ बिलिंग पॉइंट थीं, कोई गोदाम या स्टॉक नहीं. झारखंड की एक कंपनी का सुपर स्टॉकिस्ट शुभम जायसवाल की फर्म “सैली ट्रेडर्स” थी.
विकास सिंह नरवे फरार
सिंडिकेट का अहम सदस्य आजमगढ़ का विकास सिंह उर्फ नरवे पिछले 5 दिनों से STF को चकमा दे रहा है. सूत्र बता रहे हैं कि नरवे किसी माफिया के संरक्षण में दुबई भाग सकता है. उसकी आखिरी लोकेशन लखनऊ के एक बड़े निजी अस्पताल में एक मंत्री के साथ देखी गई थी.
आगे ये होंगी कार्यवाही
सभी निर्माता कंपनियों के लाइसेंस, प्रोडक्शन रिकॉर्ड और बैंक ट्रांजेक्शन खंगाले जा रहे हैं. FSDA के उन अधिकारियों की लिस्ट तैयार हो रही है जिन्होंने आंखें मूंदीं या सक्रिय मदद की. विदेशी खातों और हवाला रूट की जांच भी शुरू हो गई है.
एक छोटी सी खांसी की दवा कैसे अंतरराष्ट्रीय नशे का साम्राज्य बन गई और उसमें बाहुबलियों से लेकर अफसरों तक की मिलीभगत सामने आ रही है. यह मामला जितना गहराई में जा रहा है, उतना ही खतरनाक होता जा रहा है. ED सूत्रों की माने तो “यह सिर्फ कफ सिरप की तस्करी नहीं, अरबों की मनी लांड्रिंग और संगठित अपराध का नेटवर्क है. हम हर कड़ी तक पहुंचेंगे.”
