पीलीभीत और लखीमपुर खीरी में 1000 करोड़ की जमीन का घोटाला, 240 रजिस्ट्री पेपर और फर्जी पैन का किया इस्तेमाल

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और लखीमपुर खीरी जिलों में फर्जी पैन कार्ड के जरिए करीब 1000 करोड़ रुपये की जमीन की खरीद-फरोख्त का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. आयकर विभाग की जांच में 240 रजिस्ट्री दस्तावेजों में फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल पाया गया है. विभाग ने 400 से ज्यादा डॉक्यूमेंट जब्त किए हैं. वहीं कार्यालयों के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है.

रजिस्ट्री पेपर (सांकेतिक फोटो)

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भारत-नेपाल सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के पीलीभीत और लखीमपुर खीरी जिलों में फर्जी पैन कार्ड के जरिए करीब 1000 करोड़ रुपये की जमीन की खरीद-फरोख्त का सनसनीखेज मामला सामने आया है. आयकर विभाग की गहन जांच में अब तक 240 रजिस्ट्री दस्तावेजों में फर्जी पैन कार्ड का उपयोग पाया गया है, जिसकी वजह से कालेधन के इस्तेमाल की आशंका जताई जा रही है. विभाग ने संबंधित व्यक्तियों को नोटिस जारी करने की तैयारी शुरू कर दी है.

आयकर विभाग की छापेमारी और खुलासा

आयकर विभाग की चार टीमों ने इस माह पीलीभीत और लखीमपुर खीरी के उपनिबंधन कार्यालयों से 400 से अधिक रजिस्ट्री दस्तावेजों को अपने कब्जे में लिया. इन दस्तावेजों की गहन पड़ताल में सामने आया कि बड़े पैमाने पर फर्जी पैन कार्ड का उपयोग कर कालेधन को सफेद करने की कोशिश की गई है. सूत्रों के अनुसार, लखीमपुर खीरी के मोहम्मदी क्षेत्र के उपनिबंधन कार्यालय से बरामद दस्तावेजों में 50 से ज्याद प्लॉट्स की रजिस्ट्री की जानकारी आयकर विभाग को नहीं दी गई थी. इनमें से ज्यादातर में फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल हुआ. वहीं, पीलीभीत में करीब 190 प्लॉट्स की खरीद में भी फर्जी पैन कार्ड पाए गए.

650 करोड़ रुपये की जमीन में गड़बड़ी

अब तक की जांच में पीलीभीत में करीब 350 करोड़ रुपये और लखीमपुर खीरी में लगभग 300 करोड़ रुपये कीमत के भूखंडों में फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल सामने आया है. इनमें पीलीभीत टाइगर रिजर्व के पास एक रिसॉर्ट की जमीन भी शामिल है, जिसकी रजिस्ट्री में भी अनियमितता पाई गई है. अधिकारियों का अनुमान है कि इस घोटाले में कुल मिलाकर 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की जमीन की खरीद-फरोख्त फर्जी पैन कार्ड के जरिए की गई है.

आयकर विभाग के नियमों के अनुसार, 30 लाख रुपये से अधिक कीमत के भूखंड की रजिस्ट्री होने पर उसकी सूचना विभाग को देना अनिवार्य है. साथ ही, 10 लाख रुपये से अधिक कीमत की जमीन की रजिस्ट्री के लिए पैन कार्ड का उल्लेख जरूरी है. इसके बावजूद, कई रजिस्ट्रियों की जानकारी आयकर विभाग तक नहीं पहुंची, जिसके चलते उपनिबंधन कार्यालयों के कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है.

आयकर विभाग धारा 133ए के तहत इस मामले की जांच कर रहा है और जल्द ही उपनिबंधन कार्यालयों के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखने की तैयारी में है. इसके साथ ही, फर्जी पैन कार्ड से जुड़े व्यक्तियों को नोटिस जारी कर पूछताछ की जाएगी.