गावस्कर, कपिल देव ने जिस क्रिकेट बैट से पहचान बनाई…वे अब फिर से प्रयागराज में बनेंगे!

अब तक संगम, कुंभ और दिग्गज रचनाकारों, अभिनेताओं और राजनेताओं से अपनी पहचान दर्ज करने वाला प्रयागराज एक नई पहचान से दुनिया में खुद की धाक जमाने को तैयार है हो चुका है. ये पहचान सायमंड्स के विश्व प्रसिद्ध क्रिकेट बल्लों को बनाने और उसके कारोबार से जुड़ी है. करीब 31 साल पहले प्रयागराज में […]

प्रयागराज के सायमंड्स बैट

अब तक संगम, कुंभ और दिग्गज रचनाकारों, अभिनेताओं और राजनेताओं से अपनी पहचान दर्ज करने वाला प्रयागराज एक नई पहचान से दुनिया में खुद की धाक जमाने को तैयार है हो चुका है. ये पहचान सायमंड्स के विश्व प्रसिद्ध क्रिकेट बल्लों को बनाने और उसके कारोबार से जुड़ी है. करीब 31 साल पहले प्रयागराज में बंद हो चुके क्रिकेट बल्लों को बनाने का काम अगले कुछ महीनों में फिर शुरू किया जा रहा है.

साइमंड्स क्रिकेट बल्लों की थी कभी धूम

एक ऐसा भी दौर था, जब प्रयागराज के बने साइमंड्स के बल्लों की विश्व क्रिकेट में धूम थी. कई अंतरराष्ट्रीय बल्लेबाजों ने इनसे मैदान पर चौकों-छक्कों की बौछार कर इन्ही से अपनी पहचान बनाई. इनमें भारत के मंसूर अली खान पटौदी, सुनील गावस्कर, कपिल देव, लाला अमरनाथ, मोहिंदर अमरनाथ, रोजर बिन्नी, सैयद किरमानी, मोहम्मद अजहरुद्दीन, ऑस्ट्रेलिया के एलन बॉर्डर, इयान चैपल, स्टीव वॉग, मार्क वॉग, वेस्टंडीज के क्लाइव लॉयड, मैलकम मार्शल, लैरी गोम्स जैसे खिलाड़ी शामिल हैं. पर हुआ कुछ यूं कि 1994 से प्रयागराज में इन बल्लों का निर्माण बंद हो गया. तब से ये सिलसिला थमा सा हुआ था. लेकिन अब इसे दुबारा शुरू किया जा रहा है.

बनर्जी परिवार आगे बढ़ा रहा ये काम

1958 में आरएन बनर्जी की चौफटका स्थित फैक्टरी में इंग्लैंड के स्लेजेंजर कंपनी के बल्ले बनते थे. 1962 में उन्होंने इंग्लिश विलो के बैट बनाने की शुरुआत की. साइमंड्स नाम आरएन बनर्जी की सेक्रेटरी मैडलीन ब्रेकर ने दिया था. इसी दौरान 1994 में स्लेजेंजर कंपनी का करार खत्म हो गया. तब यहां पर सिर्फ साइमंड्स के ही बल्ले बनने लगे. फिर 1995 तक इन बल्लों ने विश्व क्रिकेट में अपना दबदबा बनाया. आरएन बनर्जी के बाद उनके बेटे दीपू बनर्जी ने बल्लों को बनाना जारी रखा.

वहीं, अब एक बार फिर से इनको विश्व क्रिकेट में उतारने की तैयारी में दीपू के भतीजे अमित बनर्जी और उनके भतीजे सुजोय लगे हुए हैं. इसके लिए इंग्लिश विलो की एकमात्र सप्लायर कंपनी जेएस राइट एंड कंपनी से बात चल रही है. साइमंड्स कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित बनर्जी का कहना है कि दीपू बनर्जी के निधन के बाद इन बल्लों की देखभाल करने के लिए मेरी उम्र काफी कम थी. इसकी वजह से इनका निर्माण नहीं हो सका. अब एक बार फिर से इनके निर्माण की तैयारी है. उम्मीद है कुछ महीनों इन बल्लों का निर्माण शुरू हो जाएगा.

इसलिए खास होते हैं साइमंड्स के ये बल्ले

दरअसल ये बल्ले एक खास तरह की लकड़ी – विलो से बने होते हैं. ये अपनी उच्च गुणवत्ता, हल्के वजन और बेहतरीन शॉक गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं. ये लकड़ी मुख्य रूप से इंग्लैंड में पाई जाती है. साइमंड्स बल्लों में सुपर टस्कर, टस्कर जैकवर, टस्कर क्लासिक, ऑल राउंडर, स्ट्राइकर और बॉम्बर सहित कई तरह के बल्ले शामिल हैं.