बदमाशों ने घर पर की फायरिंग तो खुद ही संभाला मोर्चा, 25 साल पहले हुए BJP विधायक के मर्डर की कहानी
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में बीजेपी विधायक निर्भयपाल शर्मा की हत्या को 25 साल बीत चुके हैं. पर इसकी टीस आज भी बरकरार है. ईमानदार और निडर छवि के नेता शर्मा की 5 नवंबर 2000 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड को जिले के राजनीतिक इतिहास का सबसे दर्दनाक अध्याय माना जाता है.
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में बीजेपी विधायक निर्भयपाल शर्मा हत्याकांड को 25 साल बाद भी लोग भुला नहीं पाए हैं. उस हत्याकांड की गंज आज भी उसी तरह से कायम है. लोग उस घटना को याद कर ऐसे सिहर उठते हैं, मानों कल की ही बात हो. इस घटना में बदमाशों ने तीन बार के विधायक निर्भयपाल शर्मा को गोलियों से भूनकर छलनी कर दिया था. निडर और ईमानदार छवि के नेता निर्भयपाल शर्मा को की हत्या 5 नवंबर 2000 की सुबह उस समय हो गई थी, जब वह सहारनपुर स्थित अपनी फ्रेंड्स कॉलोनी की कोठी नंबर-1 में मौजूद थे.
स्थानीय लोग इस हत्याकांड को सहारनपुर की सियासत के सबसे दर्दनाक अध्याय मानते हैं. स्थानीय लोगों के मुताबिक विधायक निर्भयपाल शर्मा केवल नाम के नहीं व्यवहार से भी निर्भय थे. जनता भी उनके ऊपर भरोसा करती थी और जनता का भरोसा हासिल करने के लिए वह अकेले ही जीप में बैठकर अपने क्षेत्र के दौरे पर निकल पड़ते थे. कहा जाता है कि जिले में अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर होकर बोलने की सजा मिली और बदमाशों ने उन्हें दिन दहाड़े गोलियों से भून डाला.
हत्या का ये था कारण
इस घटनाक्रम के आज 25 साल पूरे हो चुके हैं. इस मौके पर आइए उस घटना को एक बार फिर याद करने की कोशिश करते हैं. घटना से एक दिन पहले की रात यानी 4 नवंबर की रात उनके मित्र पत्रकार महेश भार्गव उनसे मिलने पहुंचे थे. उस समय अपराध और अपराधियों के खिलाफ अभियान चला रहे विधायक निर्भयपाल शर्मा ने उन्हें बताया कि सरसावा क्षेत्र में एक अपराधी बुद्धू काला ने एक युवती की शादी से पहले उसके साथ रेप किया है. उन्होंने उसी समय एसएसपी सहारनपुर से बात की थी और उन्हें इस अपराधी का एनकाउंटर करने को कहा था.
अकेले बदमाशों का किया था मुकाबला
महेश भार्गव के मुताबिक, यह खबर अपराधियों तक पहुंच गई. इसके बाद अपराधियों ने रातों-रात प्लानिंग की और सुबह होने से पहले ही हथियारों से लैस होकर उनकी कोठी पर पहुंच गए. संयोग से उस रात निर्भयपाल शर्मा का सरकारी गनर भी अपने घर चला गया था. ऐसी स्थिति में घर में केवल विधायक, उनकी पत्नी प्रकाश कौर ही मौजूद थे. निर्भयपाल शर्मा को अभास हो गया कि घर के बाहर बदमाश मौजूद हैं. ऐसे में उन्होंने पत्नी को बाथरूम में छिपने को कहा और खुद लाइसेंसी बंदूक लेकर बदमाशों का मुकाबला करने लगे.
करीब 45 मिनट चली गोलीबारी
इसके बाद विधायक ने करीब 45 मिनट तक बदमाशों की गोली का जवाब दिया. इस दौरान दोनों ओर से हो रही फायरिंग में उनके घर के दरवाजे से लेकर फर्नीचर तक गोलियों से छलनी हो गए. इसी में से एक गोली विधायक को भी लगी. इससे वह जमीन पर गिर गए. इसके बाद बदमाशों ने कुल्हाड़ी से काटकर उनकी हत्या कर दी. जाते जाते बदमाश उनकी बंदूक और कीमती घड़ी भी झपट ले गए.
फायरिंग बंद होने का इंतजार करती रही पुलिस
स्थानीय लोगों के मुताबिक सुबह होने से पहले लगातार हो रही फायरिंग से पूरे इलाके के लोग जाग गए. चारो ओर चीख पुकार मच गई. गोलियों की तड़तड़ाहट की आवाजें चंद कदम पर स्थित मंडलायुक्त कार्यालय और पुलिस लाइन तक पहुंची रही थीं. स्थानीय लोगों ने भी पुलिस को फोन कर फायरिंग की जानकारी दी, लेकिन फायरिंग बंद होने और बदमाशों के भाग जाने तक पुलिस घटना स्थल के आसपास भी नजर नहीं आई.
खुद सीएम भी पहुंचे थे सहारनपुर
सुबह होते होते यह खबर जंगल की आग की तरह फैल गई. लोग आक्रोशित हो गए. चूंकि तत्कालीन SSP मुकुल गोयल छुट्टी पर थे, इसलिए माहौल खराब होते देख आनन फानन में मुजफ्फरनगर के SSP आशुतोष पांडे को सहारनपुर बुलाया गया. यहां तक कि तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह भी सहारनपुर पहुंचे और बदमाशों के खिलाफ क़ड़े एक्शन के आदेश दिए. उस दिन सहारनपुर के स्कूल कॉलेज से लेकर बाजार तक बंद रहे थे.
सुनियोजित हत्याकांड का खुलासा
पुलिस की जांच में पता चला कि यह वारदात पूरी तरह सुनियोजित थी. फॉरेंसिक रिपोर्ट में भी सामने आया कि विधायक के ऊपर 50 राउंड से भी अधिक फायरिंग हुई थी. अपराधियों की धरपकड़ में 10 से अधिक टीमों को लगाया गया, आखिरकार एक महीने बाद इन टीमों ने 5 आरोपियों को पकड़ा. यह सभी आरोपी बुद्धू काला गैंग से संबंधित थे. वहीं 15 साल बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस वारदात से जुड़े छठें आरोपी को पकड़ा.
आज भी सवालों के घेरे में है वारदात
इस घटना के 25 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी कई ऐसे सवाल हैं, जिनके जवाब अब तक नहीं मिले हैं. बड़ा सवाल तो यही है कि विधायक की बात एसएसपी से हुई तो बदमाशों को कैसे खबर हो गई. दूसरा सवाल यह कि एसएसपी अचानक से छुट्टी कैसे चले गए. तीसरा सवाल समय रहते सूचना के बाद भी पुलिस मौके पर क्यों नहीं पहुंची. वहीं चौथा सवाल यह कि क्या यह वारदात केवल बुद्धू काला ने अंजाम दिया या इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश भी थी. दरअसल, चर्चा यह भी हे कि निर्भयपाल शर्मा की लोकप्रियता बढ़ रही थी, ऐसे में उनके सियासी प्रतिद्वंदियों में बेचैनी बढ़ गई थी.
बेटे राघव ने संभाली विरासत
निर्भयपाल शर्मा के बाद उनके बेटे राघव लखनपाल शर्मा ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली. वहीं उनके दूसरे बेटे राहुल लखनपाल शर्मा मुंबई चले गए. पिता की मौत के बाद सरसवा सीट पर हुए उपचुनाव में राघव लखनपाल शर्मा ने बीजेपी के टिकट पा विजय हासिल की. इसके बाद वह दोबार 2007 और फिर 2012 में भी विधायक बने. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें सहारनपुर से टिकट दिया और पहली बार जीतकर संसद पहुंचे.